लेख

US Debt Crisis: जोखिम मुक्त नहीं ऋण सीमा बढ़ाना

Published by
बीएस संपादकीय   
Last Updated- May 29, 2023 | 10:52 PM IST

अमेरिका में जो बाइडन प्रशासन और अमेरिकी संसद के निचले सदन (प्रतिनिधि) सभा के अध्यक्ष ने घोषणा की है कि वे ऋण सीमा बढ़ाने पर ‘सैद्धांतिक रूप’ से सहमत हो गए हैं। प्रतिनिधि सभा में रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों का बहुमत है।

अमेरिका में सरकार वैधानिक रूप से तय एक सीमा से अधिक ऋण नहीं ले सकती है। यह सीमा वर्तमान में 31.4 लाख करोड़ डॉलर है, जो जनवरी 2025 तक प्रभावी होगी। ऋण सीमा बढ़ाने पर सहमति बनने का समाचार केवल अमेरिका ही नहीं बल्कि दुनिया भर के निवेशकों के लिए राहत पहुंचाने वाला है।

समझा जा रहा है कि अमेरिका में संघीय सरकार के पास 5 जून या उसके बाद व्यय करने के लिए वित्तीय संसाधन नहीं रह जाएंगे। सरकार कुछ अन्य व्यय जैसे वेतन आदि मदों में कटौती कर कुछ समय तक के लिए ऋण भुगतान जारी रख सकती है मगर कुछ अन्य ऋणों पर भुगतान में चूक का संकट तब वास्तविक हो जाएगा। अगर अमेरिका ऋण भुगतान में विफल रहता तो बाजार के लिए इसके गंभीर आर्थिक परिणाम होते। दीर्घ अवधि के परिणाम तो दूर निकट अवधि में होने वाले असर की कल्पना कर पाना भी कठिन होता।

अमेरिकी सरकार के बॉन्ड दुनिया में सर्वाधिक सुरक्षित वित्तीय संसाधन माने जाते हैं और निवेशक प्रायः इनमें निवेश के बाद प्रतिफल को लेकर आश्वस्त रहते हैं। अमेरिकी सरकार के बॉन्ड के आधार पर कई दूसरी वित्तीय संरचनाएं तैयार होती हैं। अगर सरकार ऋण भुगतान में चूक कर जाती तो इससे अमेरिकी बॉन्ड को लेकर पूरी दुनिया में निवेशकों का विश्वास डोल जाता।

इसके साथ ही सैकड़ों दूसरे वित्तीय बाजारों में हालात बिगड़ जाते। बैंक, कंपनियों और सरकारों को अपनी पूंजी का पुनर्निर्धारण एवं पुनर्आवंटन करना पड़ता। निवेशकों की जोखिम लेने की क्षमता भी प्रभावित होती और भारत जैसे बाजारों में पूंजी के प्रवाह पर व्यापक असर होता।

इस दृष्टिकोण से ऋण सीमा बढ़ाने पर हुए समझौते को एक बड़ी उपलब्धि मानी जा सकता है। यह समझौता किसी अस्थिरता के साथ हुआ है इसलिए यह राष्ट्रपति और प्रतिनिधि सभा के वर्तमान अध्यक्ष केविन मैकार्थी के हुनर को भी दर्शाता है।

रिपब्लिकन कुछ सीमा तक व्यय पर अंकुश लगाने में सफल रहे हैं और डेमोक्रेटिक पार्टी भी अपने कुछ विशेष नए कार्यक्रमों के लिए रकम में कटौती की आशंका दूर करने में सफल रही है। हालांकि, यह प्रकरण जल्द समाप्त होता नहीं दिख रहा है। दोनों राजनीतिक दलों में कुछ लोग इस समझौते से खुश नहीं हैं।

रिपब्लिकन पार्टी में कुछ चरम विचारधारा रखने वाले लोग पर्याप्त समर्थन जुटा कर 5 जून से पहले इस सैद्धांतिक सहमति को अमेरिकी संसद में पारित होने में व्यवधान उत्पन्न कर सकते हैं। मगर इस बात की आशंका बहुत कम है। यह समझौता पारित होने के उपरांत भी 2024 में चुनाव समाप्त होने तक ही प्रभाव में रहेगा।

इस तरह, दो वर्ष बीतने के बाद एक बार फिर ऐसी चुनौतियां खड़ी हो जाएंगी। अगर कांग्रेस और व्हाइट हाउस पर एक ही दल का नियंत्रण रहता है तो टकराव की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी। मगर अमेरिकी संसद और व्हाइट हाउस अलग-अलग दल के नियंत्रण में रहे और दोनों ही दलों में चरम विचार रखने वाले लोग मजबूत होते रहे तो भविष्य में कोई सहमति बनाना और पेचीदा हो सकता है।

अमेरिका में ऋण से संबंधित जोखिम के व्यापक प्रश्नों की अनदेखी नहीं की जा सकती है। क्या इस तरह संरचनात्मक जोखिम वाली परिसंपत्तियों को वास्तव में जोखिम-मुक्त माना जा सकता है? अर्थशास्त्रियों एवं निवेशकों को इस बिंदु पर चर्चा शुरू कर देनी चाहिए कि अमेरिका में ऋण भुगतान में किसी अस्थायी चूक के गंभीर परिणामों से वैश्विक अर्थव्यवस्था को सुरक्षित रखने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।

अमेरिकी सरकार के बॉन्ड से इतर कोई बड़ा बदलाव (कुछ केंद्रीय बैंकों ने ऐसा करना भी शुरू कर दिया है) भी वैश्विक वित्तीय बाजारों को अस्थिर और निवेशकों में जोखिम लेने की क्षमता कमजोर कर सकता है।

First Published : May 29, 2023 | 10:52 PM IST