सितंबर के महीने में 85 लाख अतिरिक्त रोजगार पैदा होने की असाधारण घटना हुई। हाल का इतिहास हमें बताता है कि एक महीने में रोजगार के मोर्चे पर हासिल बढ़त कुछ महीनों में ही आसानी से गंवाई जा सकती है और जल्द ही शुद्ध बढ़त नगण्य हो जाती है। अगर इस बार वैसा ही रुझान बना रहता तो सितंबर में सृजित नए रोजगारों का एक हिस्सा अक्टूबर में मुक्त हो चुका होता। लेकिन यह मानने के समुचित कारण हैं कि अक्टूबर में भी रोजगार वृद्धि का सिलसिला कायम रहेगा। निश्चित रूप से हम वर्ष 2019-20 में बढ़े रोजगार अवसरों की बराबरी करने से अभी दूर हैं। भारत ने सितंबर 2021 में कुल 40.62 करोड़ लोगों को रोजगार दिए जबकि वर्ष 2019-20 में यह संख्या 40.89 करोड़ रही थी। लेकिन अक्टूबर में 2019-20 के आंकड़े को पीछे छोडऩे की तगड़ी संभावना दिख रही है।
पहली बात, सितंबर 2021 में रोजगार में आई उछाल हाल की तरह कृषि रोजगार में हुई वृद्धि का नतीजा नहीं था। यह महज प्रच्छन्न बेरोजगार नहीं था। दूसरी, भले ही सितंबर की रोजगार वृद्धि ग्रामीण भारत में गैर-आनुपातिक ढंग से ज्यादा थी लेकिन शहरी क्षेत्रों में भी करीब 20 लाख नए रोजगार पैदा हुए थे। इस तरह रोजगार वृद्धि का फलक अधिक व्यापक था, लिहाजा इसके टिकाऊ होने की उम्मीद है। और अंत में, सितंबर में निर्माण एवं खाद्य उद्योगों में हुई रोजगार वृद्धि के अगस्त की तुलना में अधिक टिकाऊ साबित होने की संभावना है। अगस्त 2021 में रोजगार वृद्धि मुख्य रूप से निजी गैर-पेशेवर सेवाओं (बड़े स्तर पर खराब गुणवत्ता वाले काम) और खुदरा कारोबार (सितंबर में यह कायम नहीं रह पाया) तक ही सीमित थी।
गत 3 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह के आंकड़े निराशाजनक थे। लेकिन 10 अक्टूबर को खत्म हफ्ते ने पहले गंवाई जा चुकी जमीन की काफी हद तक भरपाई कर ली और फिर 17 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में फिर से तेजी का दौर देखा गया। हम वर्तमान श्रम बाजार के हालात का जायजा लेने के लिए हर हफ्ते के आंकड़ों को गौर से देखते हैं। श्रम भागीदारी दर, बेरोजगारी दर और रोजगार दर की मदद से हम यह समझने की कोशिश करते हैं कि सितंबर के बाद के दौर में रोजगार परिदृश्य कैसा है?
सितंबर 2021 में 6.9 फीसदी पर रही बेरोजगारी दर की तुलना में अक्टूबर के पहले तीन हफ्तों में संख्या बढ़ी है। बेरोजगारी दर 3 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 7.6 फीसदी थी और 10 अक्टूबर को खत्म हफ्ते में यह बढ़कर 8.9 फीसदी हो गई। 17 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में यह गिरकर 7.3 फीसदी पर आ गई। बेरोजगारी दर अक्टूबर के पहले पखवाड़े में बढ़ी रही है लेकिन अन्य दोनों पैमानों पर हालात अच्छे दिख रहे हैं।
श्रम भागीदारी दर (एलपीआर) सितंबर 2021 में 40.7 फीसदी रही जो एक साल को सर्वोच्च स्तर था। लेकिन सितंबर के आखिरी दिनों और अक्टूबर के शुरुआती दिनों में हालत कुछ बिगड़ती दिखी। 3 अक्टूबर को खत्म सप्ताह में एलपीआर 39.2 फीसदी पर आ गई थी जो वाकई में काफी कम थी। लेकिन अगले ही हफ्ते में यह तीव्र सुधार के साथ 40.4 फीसदी हो गई और 17 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में तो यह 41.6 फीसदी के उच्च स्तर पर जा पहुंची। इस तरह 3 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह ही एलपीआर में जारी सुधार के लिहाज से अपवाद कहा जा सकता है। अगर इस दर में बढ़त बनी रहती है तो इस महीने एलपीआर सितंबर के 40.7 फीसदी के आसपास रह सकती है। यह अनुमान लगाना सही लगता है कि मौजूदा त्योहारी मौसम में एलपीआर में बढ़त बनी रह सकती है। इसके अलावा फसलों की कटाई का मौसम करीब होने से भी इसे मजबूती मिलेगी।
गत 17 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह एलपीआर में सुधार के साथ ही बेरोजगारी दर में गिरावट आने की वजह से भी बहुत अच्छा रहा। इस वजह से रोजगार दर एक सप्ताह पहले के 36.8 फीसदी की तुलना में 38.5 फीसदी हो गई। हाल के समय में 38.5 फीसदी की रोजगार दर खासी असरदार कही जाएगी। हमने मार्च 2020 के बाद से ही रोजगार दर के मासिक अनुमान में ऐसा स्तर नहीं दिखा है। पिछले साल में यह स्तर सिर्फ दो बार ही पार हो पाया है।
एलपीआर और रोजगार दर में तेजी होने से अक्टूबर महीने में रोजगार वृद्धि का सिलसिला कायम रहने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। हो सकता है कि सितंबर में हासिल रोजगार वृद्धि में थोड़ी बढ़त आ जाए।
वैसे सितंबर की तुलना में 17 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में रोजगार दर ग्रामीण एवं शहरी दोनों ही क्षेत्रों में बेहतर रही है। शहरी भारत में कहानी कहीं ज्यादा अच्छी रही है। शहरी क्षेत्रों में रोजगार दर 35 फीसदी रही जबकि सितंबर में यह 34.8 फीसदी थी। इसी तरह 30 दिवसीय चल औसत शहरी भारत में 34.7 फीसदी रहा जो सितंबर में 34.6 फीसदी था। यहां तक कि बेरोजगारी दर का 30 दिवसीय चल औसत भी शहरी भारत में पिछले हफ्ते 7.9 फीसदी रहा जबकि सितंबर में यह 8.6 फीसदी रहा था।
उधर ग्रामीण भारत के लिए भी 17 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह सितंबर की तुलना में बेहतर था लेकिन 30 दिवसीय चल औसत पिछले महीने की तुलना में कमजोर रहा। ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार दर सितंबर के दौरान 39.5 फीसदी थी लेकिन 17 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 30 दिवसीय चल औसत 38.9 फीसदी पर आ गया। फसल कटाई का मौसम करीब होने से अक्टूबर के अंतिम हफ्ते में स्थिति सुधर सकती है।
रोजगार दर में आई हालिया तेजी और आने वाले दिनों में यह सिलसिला जारी रहने की संभावना से रोजगार परिदृश्य के अक्टूबर में भी थोड़ा बेहतर होने की उम्मीद की जा सकती है।
(लेखक सीएमआईई के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी हैं)