लेख

समुचित मूल्यांकन

Published by
बीएस संपादकीय
Last Updated- March 22, 2023 | 10:53 PM IST

सिलिकन वैली बैंक के पतन और क्रेडिट सुइस के खस्ता हालात ने बाजार के रुझानों में भारी अनि​श्चितता पैदा की है। निवेशक वित्तीय क्षेत्र में पैदा हो रहे हालात को लेकर चिंतित हैं क्योंकि उनके कारण बड़े पैमाने पर समस्या पैदा हो सकती है।

वित्तीय संकट की ​स्थिति में राजस्व वृद्धि में धीमापन आ सकता है और कॉर्पोरेट आय में कमी आ सकती है। बढ़ती ब्याज दरों के कारण मूल्यांकन रियायत (समकक्ष कंपनियों की तुलना में मूल्यांकन में अंतर) भी कम हो सकता है।

बीते 30 दिनों में निफ्टी में 4.8 फीसदी की गिरावट आई है और यह नवंबर 2022 के 18,887 के उच्चतम स्तर से 16.8 फीसदी गिरावट पर है। मानक सूचकांक अब 20.2 फीसदी के मूल्य आय अनुपात पर काम कर रहा है जो दो वर्ष के 24 के औसत और पांच वर्ष के 26.7 के औसत से काफी कम है।

बहरहाल अन्य उभरते बाजारों की तुलना में मूल्यांकन ऊंचा बना हुआ है। उदाहरण के लिए ब्राजील के बोवेस्पा में कीमत आय अनुपात 6 है, इंडोने​शिया के आईडीएक्स में यह 12 और चीन के शांघाई कंपोजिट में 13 है। परंतु भारत के वृद्धि पूर्वानुमान अधिक हैं जो मूल्यांकन आ​धिक्य को उचित ठहराते हैं।

चिंता और कमजोर प्रदर्शन वाले कई क्षेत्र हैं जिन्हें निवेशकों के लिए अवसर में बदला जा सकता है। औद्योगिक धातु क्षेत्र का प्रदर्शन पिछले वर्ष कमजोर रहा और हाल ही में इनके शेयरों में बिकवाली देखने को मिली। ऐसा इसलिए हुआ कि निवेशकों ने बैंकिंग क्षेत्र के हालात को देखते हुए अचानक प्रतिक्रिया दी।

परंतु भारत की सूचीबद्ध धातु कंपनियों में दुनिया के कई किफायती उत्पादक शामिल हैं। यह बात ध्यान देने वाली है कि चीन की अर्थव्यवस्था दोबारा खुल गई है लेकिन उसने कार्बन उत्सर्जन वाले धातु उत्पादन को कम किया है और ऐसे में वह एल्युमीनियम, कॉपर और इस्पात का विशुद्ध आयातक बन गया है। यही वजह है कि भारत के धातु उत्पादक निवेशकों को अपनी ओर आक​र्षित कर सकते हैं। ईंधन क्षेत्र के रुझान भी एक दिलचस्प पाठ प्रस्तुत करते हैं।

वै​श्विक मांग में कमी के कारण कच्चे तेल और गैस कीमतों में भी कमी और ​स्थिरता आई है। यह भारत जैसे ऊर्जा आयातक देश के लिए सकारात्मक बात है क्योंकि वह अपनी जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है। ऐसे में खुदरा विक्रेताओं के लिए भी हालात सुधर सकते हैं जो 15 महीनों से अंडर रिकवरी से दो-चार हैं। इसके अलावा ईंधन की कम कीमत विमानन और लॉजि​स्टिक्स क्षेत्र के लिए भी बेहतर हो सकती है।

यकीनन वाहन क्षेत्र जिसमें वा​णि​ज्यिक वाहन और दोपहिया-तिपहिया वाहन शामिल हैं, अभी भी मांग में कमजोरी से गुजर रहा है। इससे पता चलता है कि निजी खपत मजबूत नहीं है। बहरहाल, सालाना आधार पर वृद्धि मजबूत हुई है हालांकि दोपहिया वाहन जैसे क्षेत्र में वह अभी भी कोविड पूर्व के स्तर से कम है।

अतीत में निवेशकों का पसंदीदा रहा आईटी क्षेत्र बाजार की तुलना में ज्यादा कमजोर हुआ है। आईटी सूचकांक पिछले महीने 8.8 फीसदी नीचे रहा। वृद्धि अनुमानों को लेकर प्रबंधन अनुमान सतर्कता भरा रहा है। नई नौकरियों का सिलसिला धीमा रहा है। बहरहाल, बड़ी आईटी कंपनियों का प्रबंधन इस बात को लेकर यकीन से भरा हुआ है कि वे मार्जिन बरकरार रखने के लिए जरूरी वृद्धि मुहैया करा सकती हैं।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के रुख में बदलाव आया है। घरेलू म्युचुअल फंड्स की आवक मजबूत बनी रही है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने जनवरी में 28,852 करोड़ रुपये और फरवरी में 5,295 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी बेची। मार्च में अब तक उन्होंने 7,891 करोड़ रुपये की खरीद की। वर्तमान समय जैसे अनि​श्चित दौर में उचित मूल्यांकन हासिल करना चुनौतीपूर्ण है।

अगर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का रुख सकारात्मक हुआ है तो कह सकते हैं बाजार अपने निचले स्तर को छू चुका है। हालांकि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि वै​श्विक बैंकिंग संकट को थाम लिया जाए और यूक्रेन युद्ध के कारण मंदी का माहौल नए सिरे से न तैयार हो।

First Published : March 22, 2023 | 10:53 PM IST