आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आज की तारीख में तकरीबन 28 लाख छात्र दूर शिक्षा यानी डिस्टैंट एज्यूकेशन प्रणाली के तहत पढ़ाई कर रहे हैं।
यह हम नहीं, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के आंकड़ों कहते हैं। इसके बावजूद दूर शिक्षा प्रणाली को अब भी क्लासरूम शिक्षा प्रणाली के मुकाबले कमतर (खासकर फ्रेशर्स के मामले में) आंका जाता है।
एक ओर जहां ज्यादातर कंपनियां अपने कर्मचारियों को एग्जिक्यूटिव एजुकेशन प्रोग्राम के लिए आईआईएम और आईआईटी जैसे संस्थानों में भेजती हैं, वहीं नए लोगों की भर्ती में पारंपरिक डिग्री को ही तवज्जो दी जाती है। कंपनियों की अब भी यह मान्यता है कि दूर शिक्षा प्रणाली क्लासरूम प्रोग्राम की जगह नहीं ले सकता। यहां सवाल यह पैदा होता है कि दूर शिक्षा प्रणाली के बारे में ऐसी धारणा क्यों है?
आईटीसी के मानव संसाधन प्रमुख आनंद नायक कहते हैं कि दूर शिक्षा प्रणाली में केस स्टडी और विश्लेषण के लिए बहुत कम गुंजाइश होती है। उन्होंने बताया कि इसके मद्देनजर आईटीसी पारंपरिक शिक्षा प्रणाली के तहत डिग्री लेने वालों की भर्ती करती है। हालांकि, अनुभवी कर्मचारियों को दूर शिक्षा प्रणाली के तहत उच्चशिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
मसलन, प्रबंधन से जुड़े आईटीसी के 25 फीसदी कर्मचारी हर साल आईआईएम के एग्जिक्यूटिव एजुकेशन प्रोग्राम में हिस्सा लेते हैं। सूचना प्रोद्योगिकी आउटसोर्सिंग कंपनी मास्टेक के सीईओ वी. सुधाकर राम कहते हैं कि उनकी कंपनी नए लोगों की भर्ती में दूर शिक्षा प्रणाली से कोर्स करने वालों को तवज्जो नहीं देती है।
हालांकि कंपनी अपने कर्मचारियों को एग्जिक्यूविट एजुकेशन प्रोग्राम के लिए आईआईएम भेजती है और अतिरिक्त योग्यता हासिल करने के लिए दूर शिक्षा प्रणाली के तहत कोर्स करने के लिए प्रोत्साहित भी करती है।
खुदरा क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी स्पेन्सर्स भी नए लोगों की भर्ती में पारंपरिक तरीके से डिग्री हासिल करने वाले लोगों को ही तवज्जो देती है। स्पेन्सर्स रिटेल लिमिटेड की एचआर सर्विसेज के प्रमुख अमल गुप्ता कहते हैं कि दूर शिक्षा प्रणाली के तहत कोर्स करने वाले ज्यादातर छात्र नियमित कोर्स में दाखिला नहीं मिल पाने की वजह से इस प्रणाली का चयन करते हैं।
उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी नए लोगों की भर्ती में हमेशा नियमित कोर्स वाले छात्रों को तवज्जो देती है। एफएमसीजी सेक्टर की कंपनी मेरिको इंडिया भी नियमित कोर्स के तहत एमबीए की डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को ही भर्ती में तवज्जो देती है।
हालांकि इस ट्रेंड के कुछ अपवाद भी हैं। मसलन दूर शिक्षा प्रणाली के तहत शिक्षकों की ट्रेनिंग के लिए चलाया जाने वाला कोर्स काफी प्रचलित हो रहा है। हाल में उत्तराखंड में 30 हजार गैर प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षकों ने दूर शिक्षा प्रणाली के तहत टीचर्स ट्रेनिंग कोर्स किया है। इसके अलावा बिहार में अब तकरीबन 2 लाख 40 हजार प्राथमिक शिक्षक दूर शिक्षा प्रणाली के तहत यह कोर्स करेंगे।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अगले 5 साल में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में दूर शिक्षा प्रणाली का हिस्सा वर्तमान के 25 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी करने का लक्ष्य तय किया है। सूत्रों के मुताबिक, मंत्रालय की इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 8 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है।
सूचना तकनीक के बढ़ते प्रचलन की वजह से इंटरनेट के जरिये दूर शिक्षा प्रणाली का प्रचलन बढ़ने की उम्मीद है। ब्रॉड बैंड सेवा मुहैया कराने वाली विश्व की प्रमुख कंपनी ह्यूजेज ने भी इस बाबत पहल की है। कंपनी ने इंटरएक्टिव ऑन साइट लर्निंग के जरिये नया एजुकेशन प्लेटफॉर्म मुहैया कराया है।
इसके लिए कंपनी ने डायेरक्वे ग्लोबल एजुकेशन (डीडब्ल्यूजीई) नामक प्लेफॉर्म बनाया है। डीडब्ल्यूजीई ने भारत में ऑन साइट लर्निंग के लिए भारत के मशहूर प्रबंधन संस्थानों से समझौता किया है। इन संस्थानों में आईआईएफटी दिल्ली, आईआईएम बैंगलोर, आईआईएम कोलकाता, आईआईएम कोझीकोड, आईआईटी दिल्ली, मनिपाल यूनिवर्सिटी, नरसी मोंजी इंस्टिटयूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, मुंबई और जमेशेदपुर स्थित प्रबंधन संस्थान एक्सएलआरआई शामिल हैं।
इन संस्थानों की मदद से डीडब्ल्यूजीई ग्रैजुएट्स और पेशेवरों के लिए कोर्स चलाएगा।देश के प्रतिष्ठित संस्थान पहले से ही कई ऑनलाइन कोर्स चला रहे हैं। मिसाल के तौर पर आईआईएम कोलकाता में व्यापार प्रबंधन समेत कई ऑनलाइन कोर्स चलाए जा रहे हैं।