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सियासी हलचल: अंतरिम बजट के जरिये चुनाव प्रचार अभियान!

भाजपा महिला मोर्चा को आशा है कि सरकार बजट में महिला स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देने के लिए प्रावधान जरूर करेगी।

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आदिति फडणीस   
Last Updated- January 30, 2024 | 9:49 PM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़े संगठन वर्ष 2024-25 के लिए अंतरिम बजट से ठीक पहले कई उपायों की वकालत कर रहे हैं। इनमें पांच दिन बैंकिंग सप्ताह, महिला किसानों के लिए किसान सम्मान निधि की राशि दोगुनी कर 12,000 रुपये वार्षिक करने, बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े कर्मचारियों के लिए पेंशन की गणना में विशेष भत्ता शामिल करने और उज्ज्वला योजना का उपभोक्ता आधार बढ़ाने जैसी अनेक मांगें शामिल हैं।

आरएसएस की किसान शाखा भारतीय किसान संघ, आरएसएस की ही श्रमिक शाखा भारतीय मजदूर संघ और भाजपा महिला मोर्चा जैसे संगठनों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को अपने-अपने सुझाव भेजे हैं। हालांकि वार्ताकार इस बात को लेकर पूरी तरह सचेत हैं कि 1 फरवरी को केवल अंतरिम बजट पेश होना है और पूर्ण बजट जुलाई में आएगा।

भाजपा से जुड़े अर्थशास्त्री और वित्तीय बाजार के विशेषज्ञ संदीप वेम्पति कहते हैं, ‘वर्ष 2019 के अंतरिम और पूर्ण बजट का आकलन करने पर पता चला कि दोनों में बहुत कम बदलाव था। इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि अंतरिम बजट भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है, जितना जुलाई में पेश होने वाला पूर्ण बजट, क्योंकि दोनों में बहुत अधिक अंतर नहीं होगा।’

आम चुनाव के मद्देनजर इस वर्ष बजट प्रस्तावों का महत्त्व बहुत बढ़ गया है और चुनौती से निपटने के लिए सभी प्रमुख संगठन तैयारी में जुटे हैं। उदाहरण के तौर पर बजट में विशेष मांगों के अतिरिक्त भाजपा से संबद्ध किसान मोर्चा को निर्देश दिया गया है कि वह देशभर में लगभग एक लाख गांवों में जाए और राष्ट्रीय स्तर पर कम से कम दो किसान सम्मेलन आयोजित करे।

विशेषकर ऐसे विधानसभा क्षेत्रों को लक्षित करने के लिए कहा गया है, जहां के मतदाता तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हुए आंदोलन में शामिल हुए थे और सरकार को अपने कदम पीछे खींचने को मजबूर कर दिया था।

यह अभियान अंतरिम बजट के फौरन बाद शुरू होगा। इसके जरिये किसानों के लिए सरकार द्वारा शुरू किए गए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, फसल बीमा योजना और सिंचाई योजना जैसे अनेक कार्यक्रमों के फायदे बताने पर अधिक जोर रहेगा। भाजपा के शीर्ष स्तर के एक सूत्र ने बताया कि इस दौरान यह संगठन बजट में किसानों के कल्याण के लिए आवंटित धनराशि का भी जोर-शोर से प्रचार करेगा।

यह पूरा अभियान तेलंगाना भाजपा के नेता बंदी संजय की देखरेख में चलेगा। इसी प्रकार सरकार से पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली की मांग करते हुए पिछले साल नवंबर में नई दिल्ली में बड़ा प्रदर्शन आयोजित करने वाले भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने अपनी मांगों की लंबी फेहरिस्त बीते 20 जनवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सौंपी है।

इसमें बैंकिंग क्षेत्र के कर्मचारियों से जुड़ी मांगों और समस्याओं पर विशेष रूप से ध्यान देने का अनुरोध किया गया है, जिनमें सेवानिवृत्त बैंक कर्मियों के लिए सर्वोच्च न्यायालय की सिफारिशों के अनुरूप पेंशन में सुधार, पेंशनधारियों के लिए स्वास्थ्य बीमा और विशेष भत्ते की समीक्षा जो मौजूदा समय में पेंशन का हिस्सा नहीं हैं, आदि शामिल हैं।

बीएमएस के महासचिव गिरीश चंद्र आर्य ने कहा, ‘देश भर से एक दर्जन से अधिक याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिन पर दिल्ली उच्च न्यायालय सुनवाई कर रहा है। यदि उच्च न्यायालय इस संबंध में आदेश पारित कर देता है तो बैंकों को 2012 से अब तक के बकाये के रूप में हजारों करोड़ रुपये चुकाने पड़ेंगे।’

भाजपा महिला मोर्चा को आशा है कि सरकार बजट में महिला स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देने के लिए प्रावधान जरूर करेगी। महिला मोर्चा की अध्यक्ष और कोयंबत्तूर की विधायक वानती श्रीनिवासन को पहले ही देश भर में एक करोड़ स्वयं सहायता समूहों से संपर्क करने की जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी है।

वेम्पति के अनुसार अंतरिम बजट से बहुत अधिक उम्मीदें हैं। बजट आवंटन से उन क्षेत्रों को खासा बल मिलेगा जो पहले से बहुत अच्छा परिणाम दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि ‘आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण 2022-23 से पता चलता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 2017-18 से 2022-23 के बीच श्रमबल में महिलाओं की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है।

पहले जहां श्रमबल में महिलाओं की संख्या 24.6 प्रतिशत थी, वह बढ़कर अब 46 प्रतिशत हो गई है। इसलिए बजट के जरिये इस सकारात्मक बदलाव का फायदा उठाया जाना चाहिए।’

वेम्पति ने कहा, ‘ वित्त वर्ष 2025 के लिए 10 प्रतिशत वृद्धि अनुमान के साथ (वित्त वर्ष 2023-24 के लिए यह 10.5 फीसदी अनुमानित थी) नॉमिनल जीडीपी 326.24 लाख करोड़ हो सकती है। नवंबर 2022 तक कुल संचयी प्राप्तियां वित्त वर्ष 2023 के लिए कुल प्राप्तियों का 59 प्रतिशत थीं।

कर में एक प्रतिशत की वृद्धि के अनुमान और वित्त वर्ष 2023 में कुल प्राप्तियों पर कर राजस्व 86 प्रतिशत होने पर वित्त वर्ष 2025 के लिए कुल अनुमानित प्राप्तियां 32.54 लाख करोड़ होंगी।’

वेम्पति ने बताया कि केंद्र सरकार को वित्त वर्ष 2024 में 5.9 प्रतिशत वित्तीय घाटा लक्ष्य हासिल कर लेने की उम्मीद है। उसका लक्ष्य वित्त वर्ष 2026 तक वित्तीय घाटा 4.5 प्रतिशत पर लाने का है।

पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2025 के लिए नॉमिनल जीडीपी वृद्धि केंद्रीय बजट 2023-24 में लगाए गए अनुमान से कम रह सकती है। इसलिए इस मामले में 5.4 प्रतिशत का वित्तीय घाटे का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है, जो कि 17.61 लाख करोड़ रुपये बैठता है।

उन्होंने कहा कि पूंजीगत खर्च वित्त वर्ष 2024 के बजट आवंटन 10 लाख करोड़ (वित्त वर्ष 2025 के लिए अनुमानित नॉमिनल जीडीपी वृद्धि 10 प्रतिशत की अपेक्षा अधिक) से करीब 15 प्रतिशत बढ़कर 11.5 लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है।

इसका नौकरियों और आजीविका कमाने के अवसरों पर बहुत विपरीत असर पड़ेगा। भाजपा से जुड़े अर्थशास्त्री के रूप में इन्हें अपनी निजी राय बताते हुए वेम्पति ने कहा कि सभी संकेत श्रमबल में महिलाओं की भागीदारी के लिहाज से उत्साहजनक हैं और यही विकसित भारत का लक्ष्य होना चाहिए।

वेम्पति केंद्र सरकार की ऐसी पहल फिर शुरू होने की उम्मीद कर रहे हैं, जो राष्ट्रीय वित्तीय सूचना रजिस्ट्री जैसे कार्यक्रमों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराती है। यह कार्यक्रम बहुत आगे नहीं बढ़ पाया है, जो एमएसएमई को कर्ज तक पहुंच के मामले में बेहतर सलाह दे सकता है।

First Published : January 30, 2024 | 9:49 PM IST