लेख

इलेक्ट्रिक वाहनों की महत्त्वाकांक्षाएं

Published by
admin
Last Updated- January 12, 2023 | 11:57 PM IST

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में चल रहे ऑटो एक्सपो में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं, जिसमें वाहन निर्माता नए मॉडल और कॉन्सेप्ट वाहनों का जोरदार प्रदर्शन कर रहे हैं।

कुछ वाहन निर्माताओं का मानना है कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की दर हाल के अनुमान से कहीं अधिक तेज हो सकती है। सरकार भी अपनी तरफ से विभिन्न माध्यमों से ईवी की दिशा में हो रहे इस बदलाव का समर्थन कर रही है।

हाल के वर्षों में ईवी की बिक्री भी बढ़ी है। वर्ष 2022 में भारत में 10 लाख से अधिक ईवी की रिकॉर्ड बिक्री हुई जो कुल बिक्री का 4.7 प्रतिशत था। इस क्षेत्र में वाहन निर्माताओं की दिलचस्पी को देखते हुए यह उम्मीद करना लाजिमी है कि मध्यम अवधि में खरीदारों द्वारा भी इसे अपनाने की गति और तेज होगी। हालांकि नीतिगत स्तर और उद्योग दोनों ही स्तरों पर उत्साह को देखते हुए सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

इस संदर्भ में सुजूकी मोटर कॉरपोरेशन के प्रतिनिधि निदेशक और अध्यक्ष तोशिहिरो सुजूकी ने बुधवार को कहा कि भले ही वैश्विक स्तर पर लोगों का ध्यान इलेक्ट्रिक वाहनों पर है, लेकिन भारत को बिजली की स्थिति देखते हुए अपने वैकल्पिक समाधानों की तलाश करनी चाहिए। ईवी के जरिये आवागमन की पूरी प्रक्रिया में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के समाधान के तौर पर मदद मिल सकती है लेकिन भारत हाइब्रिड, फ्लेक्स फ्यूल, हाइड्रोजन और एथनॉल जैसे अन्य विकल्पों पर भी विचार कर सकता है।

हालांकि तर्क यह दिया जा सकता है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के वर्ग में प्रतिस्पर्धा करने का फैसला करने में मारुति सुजूकी के कदम धीमे रहे हैं लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह है कि भारत को एक तकनीक पर दांव नहीं लगाना चाहिए, खासतौर पर नीतिगत स्तर पर।

सरकार को प्रौद्योगिकी के मामले में विजेताओं को चुनने के बजाय बाजार की ताकतों को यह निर्धारित करने की अनुमति देनी चाहिए कि क्या संभव है और किसका दायरा बढ़ाने लायक है।

सरकार फिलहाल कई तरीकों से इलेक्ट्रिक वाहनों का समर्थन कर रही है। इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने का मुख्य कारण सरकार की फास्टर अडॉप्शन ऐंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ (हाइब्रिड ऐंड) इलेक्ट्रिक व्हीकल्स स्कीम यानी फेम इंडिया योजना है। कई ईवी निर्माता, वास्तव में इस बात को लेकर चिंतित हैं कि 31 मार्च, 2024 को फेम 2 समाप्त हो जाएगा।

इस अखबार में प्रकाशित एक विश्लेषण से पता चला है कि औसतन प्रत्येक इलेक्ट्रिक दोपहिया और चार-पहिया वाहनों को क्रमशः लगभग 45,000 रुपये और 300,000 रुपये की सब्सिडी मिलती है। सरकारी समर्थन खत्म किए जाने पर स्पष्ट रूप से ईवी की कीमतों में काफी वृद्धि होगी। ऐसे में सरकार पर वित्तीय समर्थन जारी रखने का दबाव होगा, खासतौर पर तब जब इस क्षेत्र में कई स्टार्टअप जुड़ी हुई हैं। हालांकि जैसे-जैसे इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की रफ्तार तेज होगी, राजकोष पर भी दबाव बढ़ेगा।

निरंतर और टिकाऊ वृद्धि के लिए यह महत्त्वपूर्ण है कि इलेक्ट्रिक वाहन, बाजार में प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हों। यह श्रेणी सरकार की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना का हिस्सा है। इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने वालों के लिए ऋण पर दिए जाने वाले 150,000 रुपये तक के ब्याज पर आयकर में कटौती का दावा करने का भी लाभ लेने की अनुमति है। राजकोषीय समर्थन के मुद्दे के अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की गति बढ़ाने के प्रयास में कई अन्य पहलू भी शामिल हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

उदाहरण के तौर पर निकट भविष्य में बिजली उत्पादन के लिए, कोयला के एक महत्त्वपूर्ण स्रोत बने रहने की पूरी संभावना है। इसका मतलब, वाहनों का एक बड़ा हिस्सा वास्तव में प्रभावी रूप से ईंधन के लिए पेट्रोल और डीजल से कोयले की तरफ में स्थानांतरित हो रहा है और इससे कुल उत्सर्जन लक्ष्यों को हासिल करने में मदद नहीं मिल सकती है। अन्य बुनियादी चुनौतियां भी हैं।

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की 2021 की रिपोर्ट में कहा गया है, स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने की ओर बढ़ने वाले कदम का मतलब ईंधन के बजाय अब सामग्री वाली प्रणाली के लिए होने वाला बदलाव है। उदाहरण के तौर पर एक इलेक्ट्रिक कार में खनिज सामग्री, पारंपरिक कार की तुलना में छह गुना ज्यादा इस्तेमाल की जाती है।

ऐसे खनिजों की वैश्विक मांग बढ़ने से उसका इंतजाम करना भी एक बड़ी चुनौती बन सकती है। यह संभव है कि आवागमन के साधनों में सबसे ज्यादा बदलाव ईवी की दिशा में ही होंगे क्योंकि अन्य विकल्पों के लिए अभी अधिक शोध किए जाने और इसमें वृद्धि करने की आवश्यकता है लेकिन निश्चित तौर पर विकल्पों को खुला रखना ही ठीक होगा।

First Published : January 12, 2023 | 11:47 PM IST