इस माह के आरंभ में बिज़नेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट में बताया गया कि वित्त वर्ष 2023 में भारतीय कारोबारी जगत की आय में तेज गिरावट आई। गैर बैंकिंग गैर वित्तीय सेवा और बीमा (गैर बीएफएसआई) क्षेत्र की 823 कंपनियां जो बीएसई 500, बीएसई मिड कैप और बीएसई स्मॉल कैप सूचकांकों का हिस्सा हैं, उनकी आय सालाना 8.9 फीसदी गिरी।
रिपोर्ट में कहा गया कि कंपनियों के मार्जिन में हुआ सामान्यीकरण इसका कारण है क्योंकि वित्त वर्ष 2022 और 2021 में यह असामान्य रूप से अधिक था।
इसके विपरीत बैंकिंग क्षेत्र का प्रदर्शन इतना बेहतर कभी नहीं था। 32 सूचीबद्ध निजी और सरकारी बैंकों का संयुक्त शुद्ध लाभ वित्त वर्ष 2023 में 40.56 फीसदी बढ़कर 2.29 लाख करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया। शुद्ध लाभ के मामले में दोनों तरह के बैंकों ने एक लाख करोड़ रुपये का स्तर पार किया। निजी बैंकों के लिए यह 1.24 लाख करोड़ रुपये और सरकारी बैंकों के लिए 1.05 लाख करोड़ रुपये रहा।
कुछ बैंकों ने तो अपना उच्चतम शुद्ध लाभ भी हासिल किया। भारतीय स्टेट बैंक उनमें से एक है। उसने 50,232 करोड़ रुपये का लाभ अर्जित किया जो सूचीबद्ध बैंकों में सर्वाधिक है।
एचडीएफसी बैंक 44,109 करोड़ रुपये के लाभ के साथ दूसरे स्थान पर रहा जबकि आईसीआईसीआई बैंक ने 31,896 करोड़ रुपये के साथ तीसरा स्थान पाया। तीन अन्य बैंकों ने भी 10,000 करोड़ रुपये से अधिक मुनाफा अर्जित किया। ये हैं बैंक ऑफ बड़ौदा (14,110 करोड़ रुपये), कोटक महिंद्रा बैंक (10,939 करोड़ रुपये) और केनरा बैंक (10,604 करोड़ रुपये)।
ऐक्सिस बैंक, येस बैंक और पंजाब नैशनल बैंक को छोड़कर अन्य सभी बैंकों ने रिकॉर्ड मुनाफा कमाया। ऐक्सिस बैंक को इसलिए नुकसान हुआ कि उसने भारत में सिटी बैंक का उपभोक्ता कारोबार खरीदने के लिए 12,490 करोड़ रुपये खर्च किए।
आरबीएल बैंक ने गत वर्ष 74.74 करोड़ रुपये का घाटा सहा था लेकिन इस वर्ष उसने 882.73 करोड़ रुपये का लाभ कमाया। बंधन बैंक का शुद्ध मुनाफा 125.79 करोड़ से बढ़कर 2,195 करोड़ रुपये
हो गया।
बैंकिंग उद्योग के परिचालन मुनाफे में इजाफा अपेक्षाकृत कम बढ़ा और यह 16.04 फीसदी यानी 4.64 लाख करोड़ रुपये बढ़ा। आरबीएल बैंक, बंधन बैंक, यूको बैंक, धनलक्ष्मी बैंक और डीसीबी बैंक का परिचालन मुनाफा कम हुआ।
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और करुर वैश्य बैंक लिमिटेड दोनों के परिचालन लाभ में 50 फीसदी का इजाफा हुआ। जम्मू ऐंड कश्मीर बैंक का परिचालन लाभ 39.48 फीसदी, कर्नाटक बैंक लिमिटेड का 35.14 फीसदी और बैंक ऑफ इंडिया का 34.08 फीसदी बढ़ा। चार अन्य बैंकों ऐक्सिस बैंक, फेडरल बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और आईसीआईसीआई ने परिचालन लाभ में 25 फीसदी इजाफा दर्ज किया।
बिना परिचालन लाभ में तेज वृद्धि के उद्योग जगत ने शुद्ध लाभ में रिकॉर्ड कैसे कायम किया? दरअसल फंसे कर्ज के लिए प्रोविजनिंग में भारी कमी आई। निजी बैंकों की प्रोविजनिंग में रिकॉर्ड 32.61 फीसदी की और सरकारी बैंकों में 9.7 फीसदी की कमी आई।
निजी बैंकों में केवल सिटी यूनियन बैंक के प्रोविजन में मामूली इजाफा हुआ जबकि सरकारी बैंकों में बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी प्रोविजनिंग में 62 फीसदी का इजाफा किया। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया समेत चार अन्य बैंकों की प्रोविजनिंग बढ़ी। यानी 32 सूचीबद्ध बैंकों में से 26 की प्रोविजनिंग में कमी आई जिससे मुनाफा बढ़ा।
शुद्ध ब्याज आय बैंकों की आय की बुनियाद है और उसमें भी इजाफा हुआ। बंधन बैंक को छोड़कर हर सूचीबद्ध बैंक की शुद्ध ब्याज आय दो अंकों में बढ़ी। बैंक ऑफ इंडिया की शुद्ध ब्याज आय में 44.18 फीसदी का इजाफा हुआ और पांच बैंकों ने 30 फीसदी से अधिक इजाफा दर्ज किया। ये बैंक हैं- साउथ इंडियन बैंक, धनलक्ष्मी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक। कुल मिलाकर सूचीबद्ध बैंकों की शुद्ध ब्याज आय वित्त वर्ष में करीब 23 फीसदी बढ़ी।
परंतु अन्य आय जिसमें शुल्क और ट्रेजरी से होने वाली आय शामिल होती है, ज्यादातर मामलों में नहीं बढ़ी है। छह निजी बैंक और 12 में से आठ सरकारी बैंकों की अन्य आय घटी है। धनलक्ष्मी बैंक में सर्वाधिक 55.94 फीसदी की गिरावट आई है। जबकि करूर वैश्य बैंक में 50.7 फीसदी, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में 38.64 फीसदी और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 37.57 फीसदी का इजाफा हुआ।
कुल मिलाकर सरकारी बैंकों की अन्य आय में 1.97 फीसदी की कमी आई जबकि निजी बैंकों की अन्य आय 7.8 फीसदी बढ़ी। समस्त सूचीबद्ध बैंकों में यह 2.44 फीसदी बढ़ी।
सभी सरकारी बैंकों के सकल और शुद्ध फंसे हुए कर्ज में कमी आई। बहरहाल, निजी बैंकों में एचडीएफसी बैंक और इंडसइंड बैंक समेत कुछ बैंकों का विशुद्ध फंसा कर्ज बढ़ा भी। हालांकि कुल ऋण पोर्टफोलियो के प्रतिशत के रूप में कमी ही देखने को मिली।
कुछ मामलों में तीव्र गिरावट देखने को मिली। उदाहरण के लिए आईडीबीआई बैंक का सकल फंसा हुआ कर्ज 20.16 फीसदी से घटकर 6.38 फीसदी रह गया और येस बैंक लिमिटेड का फंसा हुआ कर्ज 13.93 फीसदी से घटकर 2.17 फीसदी रह गया।
सकल फंसे कर्ज की बात करें तो निजी बैंकों में आईडीबीआई बैंक का शुद्ध फंसा हुआ कर्ज 6.38 फीसदी है। जम्मू ऐंड कश्मीर बैंक का 6.04 फीसदी और धनलक्ष्मी बैंक का 5.19 फीसदी। पंजाब नैशनल बैंक का सकल फंसा हुआ कर्ज 8.74 फीसदी के साथ सरकारी बैंकों में सर्वाधिक है जबकि बैंक ऑफ महाराष्ट्र 2.47 फीसदी के साथ न्यूनतम है। स्टेट बैंक में यह 2.78 फीसदी है। 12 सरकारी बैंकों में से 8 में यह कम से कम 5 फीसदी है।
अब तस्वीर के उस हिस्से का रुख करते हैं जो उतना खुशनुमा नहीं है। सभी सूचीबद्ध बैंकों में जमा की वृद्धि की दर 11.3 फीसदी रही जबकि ऋण वृद्धि की दर 17.7 फीसदी रही। सरकारी बैंकों और निजी बैंकों के अग्रिम में हुए इजाफे में समानता नजर आती है लेकिन जमा के मामले में निजी बैंक बेहतर स्थिति में हैं। उनका जमा 15.3 फीसदी की दर से बढ़ा जबकि सरकारी बैंकों में यह दर 9.26 फीसदी रही।
एक सरकारी बैंक इंडियन ओवरसीज बैंक के जमा पोर्टफोलियो में गिरावट आई जबकि उसका अग्रिम 23.44 फीसदी बढ़ा। कुछ बैंकों के अग्रिम में तो उनके जमा की तुलना में कई गुना का इजाफा हुआ। ऐसे बैंकों में साउथ इंडियन बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक, पंजाब ऐंड सिंध बैंक तथा बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं।
क्या बैंकों का यह स्वप्निल सफर जारी रहेगा? एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स को तो ऐसा ही लगता है। अपनी एक हालिया रिपोर्ट में उसने कहा कि इस क्षेत्र का मुनाफा स्वस्थ स्तर पर स्थिर होगा और बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता सुधरेगी। उसका यह भी कहना है कि बट्टे खाते में डाले गए खातों में सुधार से भी बैंकों का मुनाफा बढ़ रहा है।
बहरहाल, मेरा मानना है कि भविष्य में चुनौतियां हैं। बैंकिंग क्षेत्र के लिए हर तिमाही में बेहतर प्रदर्शन करना आसान नहीं होगा। ढेर सारे जमा का पुनर्मूल्यांकन होने की स्थिति में शुद्ध ब्याज मार्जिन में कमी आएगी। ऋण दरों में इजाफा होने से खुदरा कीमतों की गुणवत्ता प्रभावित होगी और सुधार की प्रक्रिया धीमी होगी। तब हर बैंक शानदार प्रदर्शन करने की स्थिति में नहीं रहेगा।