प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) में बड़ा अपडेट लाने की तैयारी कर रहा है। इससे उपयोगकर्ताओं को हर बार पिन दर्ज करने की जगह चेहरे की पहचान (फेस रिकॉग्निशन) और उंगलियों के निशान (फिंगरप्रिंट) जैसे बायोमेट्रिक्स का उपयोग करके लेनदेन को प्रमाणित करने की अनुमति मिलेगी। उद्योग के जानकारों ने इसकी पुष्टि की है।
इस नए फीचर की अभी समीक्षा की जा रही है और इसे लागू करने के लिए नियामक की मंजूरी की जरूरत होगी। जानकारों का कहना है कि इससे यूपीआई की सुरक्षा और पुख्ता होगी क्योंकि इनमें पिन चोरी और धोखाधड़ी की ज्यादा गुंजाइश रहती है। आगामी 2025 ग्लोबल फिनटेक फेस्ट में इसको प्रदर्शित किया जा सकता है। इस अपडेट को लागू करने के बाद उपयोगकर्ता पिन दर्ज किए बिना ही लेनदेन के लिए चेहरे की पहचान और अपनी उंगलियों के निशान का उपयोग कर सकेंगे।
सूत्रों ने पुष्टि की है कि भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम ने यूपीआई पारिस्थितिकी तंत्र के प्रतिभागियों के साथ समीक्षा, प्रतिक्रिया और लागू करने से पहले की तैयारी सुनिश्चित करने के लिए इस फीचर का विवरण साझा किया है। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम इस पर एक साल से ज्यादा समय से काम कर रहा है।
एक सूत्र ने बताया कि इस फीचर पर अभी काम चल रहा है। सूत्र ने कहा, ‘यह अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करने का मामला है जो ओटीपी से बेहतर हो। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम संचालन समिति और पूरे पारिस्थितिकी तंत्र से हरी झंडी मिलने के बाद इसे लागू किया जा सकता है।’
इस बारे में जानकारी के लिए भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम को ईमेल भेजा गया मगर खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया। एक भुगतान कंपनी के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘सबसे पहले फेस रिकॉग्निशन को प्राथमिकता दी जाएगी। अगर यह आपके डिवाइस पर चालू है तो फेस आईडी से सत्यापन की प्रक्रिया होगी।’
पहले चरण में, ऑथेंटिकेशन मैकेनिज्म उपयोगकर्ता के डिवाइस पर पहले से संग्रहीत बायोमेट्रिक डेटा पर निर्भर करेगा। सिस्टम बायोमेट्रिक डेटा के आधार पर एन्क्रिप्टेड कुंजी जेनरेट करेगा, जिसे अंतिम सत्यापन के लिए प्रेषक बैंक (उपयोगकर्ता का बैंक) को भेजा जाएगा। यूपीआई के लिए भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम की सामान्य लाइब्रेरी इस एन्क्रिप्शन प्रक्रिया को सुरक्षित रखेगी।
एक सूत्र ने बताया, ‘यह डिवाइस में संग्रहीत निजी कुंजी की तरह होगा। कुछ मूल्य इसमें एन्क्रिप्ट किया जाएगा और सार्वजनिक कुंजी जेनरेट होगी जिसे सत्यापन के लिए प्रेषक बैंक को भेजा जा सकता है। कुंजी सत्यापित होने के बाद लेनदेन पूरा हो जाएगा।’ प्रेषक बैंक यानी जिस बैंक में उपयोगकर्ता का वह खाता है उससे लेनदेन की राशि डेबिट की जाएगी।
उद्योग के सूत्रों ने कहा कि यह फीचर कई मायने में पारंपरिक वन-टाइम पासवर्ड (ओटीपी) या पिन से ज्यादा सुरक्षित होगा। पिन के विकल्प के रूप में बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण से सुरक्षा पुख्ता होने की उम्मीद है। ऐसी संभावना है कि बायोमेट्रिक्स के माध्यम से किए गए लेनदेन में शुरुआती चरण के दौरान अतिरिक्त सुरक्षा के लिए मूल्य सीमा तय की जा सकती है। यह देखना होगा कि बायोमेट्रिक-आधारित प्राधिकरण को फोनपे, गूगल पे, पेटीएम, भीम जैसे अन्य ऐप के लिए अलग से सेटअप करने की आवश्यकता होगी या नहीं।