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न्यूनतम वैकल्पिक कर से एलएलपी को राहत, सरकार करेगी आयकर विधेयक में सुधार

विधेयक में ऐसे गैर-कॉरपोरेट करदाताओं के लिए अध्याय 6-ए के तहत कटौती का संदर्भ हटा दिया था।

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मोनिका यादव   
Last Updated- June 17, 2025 | 11:12 PM IST

सरकार आयकर विधेयक, 2025 के उस प्रावधान में अहम बदलाव कर सकती है जिसके तहत गैर-कॉरपोरेट करदाताओं के लिए न्यूनतम वैक​ल्पिक कर (एएमटी) का दायरा बढ़ा दिया गया था। एक सरकारी अ​धिकारी ने बताया कि इस श्रेणी में पार्टनर​शिप फर्म और लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (एलएलपी) फर्म जैसी करदाता आती हैं जो केवल दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) कमाती हैं। विधेयक में ऐसे गैर-कॉरपोरेट करदाताओं के लिए अध्याय 6-ए के तहत कटौती का संदर्भ हटा दिया था। ऐसे में लग रहा था कि किसी भी कर लाभ का का दावा न करने वाले करदाताओं को भी वैक​ल्पिक न्यूनतम कर देना पड़ सकता है।

गैर-कॉरपोरेट करदाताओं से उपकर और अधिभार के अलावा 18.5 फीसदी न्यूनतम वैक​ल्पिक कर लिया जाता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि उच्च आय वाले लोग कर में छूट का लाभ उठाते हुए अपनी कर देनदारियों से नहीं बच पाएं। हालांकि केवल दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कमाने वाली एलएलपी को 12.5 फीसदी कर देना पड़ता है। आयकर विधेयक में इस छूट के कारण केवल दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कमाने वाली एलएलपी को भी 18.5 फीसदी न्यूनतम वैक​ल्पिक कर का भुगतान करना पड़ता। ऐसे में उनका कर बोझ बढ़ सकता था।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि सरकार का ऐसा कोई इरादा नहीं था और बिल की समीक्षा के दौरान इस प्रावधान को बहाल कर दिया जाएगा। अधिकारी ने कहा, ‘मूल प्रावधान को बहाल कर दिया जाएगा। न्यूनतम वैक​ल्पिक कर केवल उन लोगों के लिए है जो कटौती का दावा करते हैं। यह पूंजीगत लाभ जैसी नियमित आय अर्जित करने वाली फर्मों के लिए नहीं है।’ इस संबंध में वित्त मंत्रालय को भेजे गए ईमेल का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया।

कंपनी मामलों के मंत्रालय के अनुसार इस साल 30 अप्रैल तक सक्रिय एलएलपी की संख्या 3.95 लाख थी जो अप्रैल 2024 में पंजीकृत एलएलपी के मुकाबले 19.5 फीसदी अधिक है। विशेषज्ञों के अनुसार कई फैमिली ऑफिस दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ अर्जित करने के लिए निवेश करते समय एलएलपी ढांचे का उपयोग करते हैं। इस प्रकार वे 12.5 फीसदी की एलटीसीजी की रियायती दर के दायरे में आ जाते हैं जो 18.5 फीसदी के न्यूनतम वैक​ल्पिक कर से कम है।

आयकर अधिनियम, 1961 के तहत न्यूनतम वैक​ल्पिक कर केवल उस ​स्थिति में ही लागू होता है जब एलएलपी या पार्टनर​​शिप फर्म अध्याय 6-ए के तहत खास कटौती का दावा करती हैं। जैसे कि परोपकार के लिए दान (80जी), बुनियादी ढांचा कारोबार से लाभ (80-आईए से 80 आईई) या नए कर्मचारियों की भर्ती (80जेजेएए) और अपशिष्ट रीसाइक्लिंग कारोबार (80 जेजेए)। अगर ऐसे लाभ का दावा करने के बाद उनकी कर देयता 18.5 फीसदी से कम हो जाती है तो उन्हें उसी दर पर न्यूनतम वैक​ल्पिक कर का भुगतान करना होता है।

ध्रुव एडवाइजर्स में पार्टनर पुनीत शाह ने कहा, ‘मौजूदा प्रावधान उन सभी एलएलपी पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है जो दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कमाती हैं क्योंकि दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर कर की रियायती दर है। इस विसंगति को दूर करने के लिए प्रावधान में आवश्यक संशोधन करना उचित होगा।’ उद्योग संगठनों ने मसौदा विधेयक की समीक्षा कर रही संसदीय प्रवर समिति के सामने यह मुद्दा उठाया है।

First Published : June 17, 2025 | 11:01 PM IST