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आपको जानकर हैरानी होगी कि 1 रुपये का सिक्का बनाने में उसकी असली कीमत से भी ज्यादा खर्च आता है। एक RTI के जवाब में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2018 में बताया था कि 1 रुपये का सिक्का बनाने में 1.11 रुपये का खर्च आता है। यानी सरकार को हर सिक्के पर 11 पैसे का घाटा उठाना पड़ता है।
RBI की जानकारी के मुताबिक, सिर्फ 1 रुपये ही नहीं, बल्कि बाकी सिक्कों की ढलाई भी सरकार के लिए नुकसान का सौदा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार:
इन सिक्कों की ढलाई भारत सरकार की मुंबई और हैदराबाद की टकसालों में होती है।
1 रुपये का सिक्का स्टेनलेस स्टील से बनता है। इसका:
यह सिक्का मजबूत और टिकाऊ होता है, जो सालों तक आसानी से चल सकता है।
भले ही कुछ सिक्कों को बनाने में सरकार को नुकसान होता है, लेकिन सिक्के नोटों की तुलना में ज्यादा टिकाऊ होते हैं। नोटों को कुछ सालों में बदलना पड़ता है, लेकिन सिक्के सालों तक चलते हैं। इससे मुद्रा व्यवस्था में स्थिरता बनी रहती है।
हालांकि यह कैलकुलेशन चौंकाने वाला जरूर है, लेकिन सरकार का मानना है कि सिक्कों का निर्माण एक रणनीतिक और दीर्घकालिक निर्णय है। ये सिक्के नकद लेनदेन को आसान और स्थिर बनाते हैं, इसलिए घाटा उठाकर भी सरकार इन्हें बनाती है।