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ITR Filing 2025: आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के लिए ITR-1, 3, 4 फॉर्म के बाद आयकर विभाग ने असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए ITR फॉर्म 2 अधिसूचित कर दिया है। इस नए फॉर्म में फाइनेंस एक्ट 2024 के तहत किए गए कुछ अहम बदलावों को शामिल किया गया है। ये बदलाव उन टैक्सपेयर्स के लिए खास हैं जो पूंजीगत लाभ, शेयर बायबैक और टैक्स डिडक्शन क्लेम करते हैं। आइए जानते हैं इस फॉर्म में क्या नए अपडेट जोड़े गए हैं:
यह फॉर्म उन वेतनभोगी कर्मचारियों, पेंशनर्स और अन्य करदाताओं के लिए है जिनकी आय ₹50 लाख से 1 अधिक है और जिनकी आय में व्यापार या पेशे से होने वाली आय शामिल नहीं है।
पूंजीगत लाभ (Capital Gain) का नया बंटवारा
अब ITR Form 2 में शेड्यूल कैपिटल गेन को दो हिस्सों में बांटा गया है—23 जुलाई 2024 से पहले और इसके बाद के पूंजीगत लाभ के आधार पर। यह बदलाव फाइनेंस एक्ट 2024 के बाद हुए संशोधनों को दर्शाता है।
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शेयर बायबैक पर पूंजीगत हानि (Capital Loss) की छूट
यदि आपने 1 अक्टूबर 2024 या उसके बाद किसी कंपनी के शेयर बायबैक से हानि (capital loss) दर्ज की है, तो यह छूट तभी मिलेगी जब उसी पर मिले डिविडेंड को ‘अन्य स्रोत से आय’ (Income from Other Sources) में दिखाया गया हो।
एसेट और लायबिलिटी रिपोर्टिंग की सीमा बढ़ी
अब जिन टैक्सपेयर्स की कुल आय ₹1 करोड़ या उससे अधिक है, उन्हें अपनी संपत्ति और देनदारियों (Assets & Liabilities) का विवरण फॉर्म में भरना अनिवार्य होगा। पहले यह सीमा कम थी।
डिडक्शन की विस्तृत जानकारी मांगी गई
अब धारा 80C और 10(13A) जैसी टैक्स डिडक्शन क्लेम करने वालों को और अधिक स्पष्ट विवरण देना होगा। इससे पारदर्शिता और डेटा की सटीकता बढ़ेगी।
TDS की रिपोर्टिंग के लिए नया कोड
Schedule-TDS में अब टैक्सपेयर्स को उस सेक्शन कोड का उल्लेख करना होगा जिसके तहत टीडीएस काटा गया है। इससे टैक्स क्रेडिट की जानकारी अधिक साफ और ट्रैक करने योग्य हो सकेगी।
इन बदलावों का मकसद टैक्स रिटर्न की प्रक्रिया को ज्यादा पारदर्शी और व्यापक बनाना है। टैक्सपेयर्स को सलाह दी जाती है कि वे ITR फाइल करते वक्त इन नए पॉइंट्स का ध्यान रखें।
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आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, अगर आप ITR-2 फाइल करना चाहते हैं तो आपको कुछ जरूरी दस्तावेजों की जरूरत पड़ेगी। ये दस्तावेज आपकी आय, टैक्स कटौती और छूटों से जुड़ी जानकारी को सही तरीके से दर्ज करने में मदद करते हैं। आइए जानते हैं, कौन-कौन से कागजात आपके पास होने चाहिए—
फॉर्म-16: अगर आप नौकरी करते हैं और आपकी आय वेतन से है, तो यह फॉर्म जरूरी है।
फॉर्म-16A: अगर आपने फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज कमाया है और उस पर TDS कटा है, तो यह फॉर्म बैंक से मिलेगा।
फॉर्म 26AS: यह फॉर्म यह दिखाता है कि आपके ऊपर कितना टैक्स कट चुका है। इसे आप आयकर ई-फाइलिंग पोर्टल से डाउनलोड कर सकते हैं।
किराया भुगतान की रसीदें: अगर आपने पुराने टैक्स स्लैब का विकल्प चुना है और एचआरए क्लेम करना चाहते हैं, तो रेंट रसीदें जरूरी होंगी (अगर आपने ये पहले से नियोक्ता को नहीं दी हैं)।
शेयर या सिक्योरिटी लेन-देन का सारांश: सालभर में जितनी भी शेयर या अन्य पूंजीगत संपत्तियों की खरीद-बिक्री की है, उसका प्रॉफिट/लॉस स्टेटमेंट।
बैंक पासबुक और एफडी की रसीदें (FDRs): ताकि बैंक ब्याज की सही गणना हो सके।
किरायेदार की जानकारी, हाउस टैक्स और होम लोन का ब्याज: अगर आपके पास रेंटल प्रॉपर्टी है तो ये दस्तावेज आय की गणना के लिए जरूरी होंगे।
नुकसान के दस्तावेज़: अगर आपने इस वित्त वर्ष में कोई घाटा उठाया है (जैसे शेयर मार्केट में), तो उसके दस्तावेज साथ रखें।
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धारा 80C, 80D, 80G, 80GG के तहत छूट से जुड़े दस्तावेज: जैसे कि जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा की रसीदें, दान की रसीदें, ट्यूशन फीस या किराया भुगतान की रसीदें। खासकर तब, जब ये जानकारी आपके फॉर्म-16 में शामिल न हो।
ITR की ई-वेरिफिकेशन: ITR फाइल करने के बाद उसे ऑनलाइन या ऑफलाइन (ITR-V फॉर्म भेजकर) वेरिफाई करना जरूरी है।