घरेलू बाजार में सोने (gold) की कीमत अपने ऑल-टाइम हाई से 4 हजार रुपये से ज्यादा यानी तकरीबन 7 फीसदी नीचे है। फिलहाल घरेलू वायदा बाजार (futures market) एमसीएक्स (MCX) पर सोने की कीमत 57,500 रुपये प्रति 10 ग्राम के आस-पास है।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने का बेंचमार्क दिसंबर कॉन्ट्रैक्ट शुक्रवार को अपने पिछले क्लोजिंग प्राइस 57,846 रुपये के मुकाबले चढ़कर 57,897 रुपये प्रति 10 ग्राम खुला। 58,235 और 57,541 के रेंज में कारोबार करने के बाद यह 271 रुपये यानी 0.47 फीसदी टूटकर 57, 575 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ।
इससे पहले इसी वर्ष 6 मई को MCX पर सोने की कीमतें 61,845 रुपये प्रति 10 ग्राम के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी।
हाजिर (स्पॉट) बाजार में भी फिलहाल सोना 58 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के नीचे है। Indian Bullion and Jewellers Association (IBJA) के अनुसार सोना 24 कैरेट (999) शुक्रवार को 269 रुपये की कमजोरी के साथ 57,719 रुपये प्रति 10 ग्राम दर्ज किया गया। सोना 24 कैरेट (995) और सोना 22 कैरेट (916) भी क्रमश: 278 और 255 रुपये की नरमी के साथ 57,488 और 52,871 रुपये प्रति 10 ग्राम पर दर्ज किए गए।
ग्लोबल मार्केट में सोना फिलहाल 7 महीने के निचले स्तर पर है। पिछले हफ्ते गोल्ड में जून 2021 के बाद साप्ताहिक आधार पर सबसे बड़ी गिरावट देखी गई। इस तरह से जुलाई-सितंबर तिमाही में सोने की कीमतों में 3.7 फीसदी की नरमी आई।
हफ्ते के पहले कारोबारी दिन यानी सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में लगातार छठे दिन कमजोरी देखी गई। फिलहाल स्पॉट मार्केट में गोल्ड की कीमत 1,830 डॉलर प्रति औंस के करीब है। स्पॉट गोल्ड के लिए 10 मार्च के बाद का यह सबसे निचला स्तर है। इसी वर्ष 6 मई को स्पॉट गोल्ड 2,072.19 डॉलर प्रति औंस की ऊंचाई तक चला गया था। जबकि 2020 में इसने 2,072.49 का ऑल टाइम हाई बनाया था।
यूएस गोल्ड फ्यूचर्स (US gold futures) भी आज 1 फीसदी की कमजोरी के साथ 1,847.50 डॉलर प्रति औंस देखा गया। इससे पहले 6 मई को यह 2,085.40 की ऊंचाई तक जा पहुंचा था। जबकि अगस्त 2020 में इसने 2,0892 का रिकॉर्ड हाई बनाया था।
इस तरह से देखें तो घरेलू बाजार में सोना जहां अपने ऑल-टाइम हाई से 7 फीसदी कमजोर हुआ है। वहीं समान अवधि के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में गोल्ड अपने रिकॉर्ड हाई से 11 फीसदी से ज्यादा लुढ़क चुका है।
इंटरनैशनल मार्केट के मुकाबले घरेलू मार्केट में गोल्ड में कम गिरावट की पहली बड़ी वजह है – अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में कमजोरी। 6 मई के बाद से भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 1.5 फीसदी से ज्यादा कमजोर हो चुका है। चूंकि भारत सोने का आयात करता है, इसलिए रुपये में नरमी की वजह से सोने का आयात महंगा हो जाता है। लेकिन रुपये में गिरावट को घरेलू प्राइस में एडजस्ट भी कर दें तो इंटरनैशनल कीमतों के मुकाबले घरेलू कीमतों में कमजोरी तकरीबन 2 फीसदी कम है। जो साबित करता है कि भारत में सोने की कीमत को अतिरिक्त सपोर्ट मिला है।
यूएस डॉलर इंडेक्स (US Dollar Index) और बॉन्ड यील्ड (bond yield) में तेजी की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में गिरावट आई है। साथ ही इस बात की आशंका से भी गोल्ड पर दबाव है कि अमेरिका में ब्याज दरें ज्यादा समय तक ऊंची बनी रह सकती है। जानकारों के अनुसार मौजूदा स्थितियों में 2024 की दूसरी छमाही से पहले अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की कोई उम्मीद नहीं है।
यूएस डॉलर इंडेक्स में तेजी से अन्य करेंसी में सोने की कीमतों में नरमी आ जाती है। वहीं यदि आप गोल्ड होल्ड करते हैं तो अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़त गोल्ड के अपॉर्चुनिटी कॉस्ट को बढ़ा देती है। क्योंकि सोने पर आपको कोई यील्ड/ इंटरेस्ट नहीं मिलता।
फिलहाल यूएस डॉलर इंडेक्स अपने 10 महीने के उच्चतम स्तर पर है। आज सोमवार को यह 106.48 पर दर्ज किया गया। इसी तरह 10 वर्षीय बॉन्ड यील्ड भी 16 वर्षों के हाई पर है। फिलहाल यह 4.64 के स्तर पर है। पिछले 1 साल में 10 वर्षीय यूएस बॉन्ड यील्ड बढ़कर दोगुना हो गया है।
हाल ही में अमेरिका में आए आंकड़ों से भी इस बात को बल मिला है कि अमेरिका की इकोनॉमी बहुत ज्यादा लचर स्थिति में नहीं है इसलिए यूएस फेडरल रिजर्व इस साल कम से कम एक बार और ब्याज दरों में इजाफा कर सकता है ताकि महंगाई को 2 फीसदी के लक्ष्य के नीचे लाया जा सके।
जानकारों के अनुसार गोल्ड में शानदार तेजी तभी आ सकती है और यह नए रिकॉर्ड तभी बना सकता है जब ग्लोबल इकोनॉमी पर व्यापक और दीर्घकालिक दबाव स्पष्ट बनता दिखे। वहीं जब तक अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की संभावना बेहद मजबूत नहीं होती है गोल्ड पर दबाव बना रह सकता है।
कॉमट्रेंड्ज रिसर्च के निदेशक ज्ञानशेखर त्यागराजन ने कहा कि डॉलर में मजबूती के कारण सोने की कीमतों पर और दबाव बढ़ने की आशंका बनी हुई है। जब भी भाव गिरते हैं, निवेशकों को खरीदारी कर लंबी अवधि के लिए रकम लगा देनी चाहिए।
हालांकि कुछ जानकार मानते हैं कि कि इंटरनैशनल मार्केट में सोने की कीमतों में अब ज्यादा गिरावट की संभावना नहीं है। क्योंकि कीमतें लगभग बॉटम आउट यानी अपने निचले स्तर पर पहुंच गई हैं। इसलिए सोने में निवेश का यह सही मौका है।
केडिया एडवाइजरी के एमडी अजय केडिया के मुताबिक मौजूदा कैलेंडर ईयर (2023) के अंत तक घरेलू बाजार में सोना 60,500 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के लेवल को पार कर सकता है। जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में येलो मेटल के 2,080 डॉलर प्रति औंस तक जाने की संभावना है। अजय केडिया के अनुसार जियो-पॉलिटिकल टेंशन, महंगाई और केंद्रीय बैंकों की तरफ से लगातार हो रही खरीद गोल्ड के लिए प्रमुख सपोर्टिव फैक्टर्स हैं।
आने वाले फेस्टिव सीजन के दौरान खरीदारी निकलने से भी कीमतों को सपोर्ट मिल सकता है।
घरेलू स्तर पर ईटीएफ (ETF) में निवेश में हो रही बढ़ोतरी के आंकड़े भी इस बात को दर्शाते हैं कि निवेशक निचले स्तर पर सोने में रुचि ले रहे हैं।
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के अनुसार गोल्ड ईटीएफ (गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) में अगस्त में 1,028 करोड़ रुपये का निवेश आया, जो इसका 16 महीने का उच्च स्तर है। इससे पहले अप्रैल 2022 में इस कैटेगरी में 1,100 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था। जबकि जुलाई में इसमें 456 करोड़ रुपये का निवेश मिला था।
गोल्ड ईटीएफ में लगातार तीन तिमाहियों की बिकवाली के बाद अप्रैल-जून की अवधि के दौरान 298 करोड़ रुपये का निवेश देखा गया था। मार्च तिमाही में इस कैटेगरी से 1,243 करोड़ रुपये, दिसंबर तिमाही में 320 करोड़ रुपये और सितंबर तिमाही में 165 करोड़ रुपये की निकासी (outflow) हुई थी।
प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के मुख्य वित्तीय योजनाकार विशाल धवन की मानें तो निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में 5 से 15 फीसदी सोना रखना चाहिए। धवन कहते हैं, ‘आक्रामक निवेशकों को कम से कम 5 फीसदी निवेश सोने में करना चाहिए, लेकिन आम निवेशकों को अपने निवेश पोर्टफोलियो में सोने के लिए करीब 15 फीसदी जगह रखनी चाहिए।’