आयकर विभाग मार्च 2025 तक जारी 1.7 लाख आयकर नोटिस का पुनराकलन कर सकता है। यह नोटिस मार्च 2021 से मार्च 2024 के बीच बीते आकलन वर्षों की अघोषित आय के लिए जारी किए थे।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने इस अवधि के दौरान के व्यक्तिगत आयकर के छह लाख मामले फिर से खोले थे। इन मामलों में आयकर रिटर्न में घोषित जानकारी और आयकर विभाग के पास उपलब्ध सूचनाओं में अंतर था।
इस मामले की प्रत्यक्ष तौर पर जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि इनमें से करीब 4.3 लाख नोटिस का आकलन पूरा हो चुका है और इस संबंध में आदेश भी जारी हो चुके हैं।
इन मामलों से कुल कितनी राशि जुड़ी है इसका खुलासा नहीं हो पाया है। हालांकि अनुमानों के अनुसार यह राशि एक हजार करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है। अधिकारी ने बताया, ‘ये नोटिस विभिन्न आकलन वर्षों के रहे हैं। यह सात साल पुराना (2014-15) आकलन भी हो सकता है और हाल के समय (2022-23) का भी हो सकता है। इसमें से कई की समयसीमा भी खत्म हो रही थी।’
आयकर अधिनियम की धारा 148 (पुराने आकलन को फिर से शुरू किए जाने से संबंधित) के तहत ये नोटिस जारी किए गए थे। अधिकारी ने बताया कि कुल पुनराकलन वाले नोटिस में ज्यादार में व्यक्तिगत आय 50 लाख रुपये से अधिक थी। आयकर की धारा 148 (पुरानी व्यवस्था) के तहत आयकर अधिकारी छह साल से पुराने आय के मामले का फिर से आकलन नहीं कर सकते थे।
हालांकि धारा 148 ए (वित्त अधिनियम, 2021 में शामिल) के अनुसार आकलन की राशि 50 लाख रुपये से अधिक होने की स्थिति में एक दशक से पुराने मामले को भी खोला जा सकता है। लेकिन 50 लाख रुपये से कम के मामलों में संबंधित आकलन वर्ष के तीन वर्ष बीते जाने के बाद नोटिस जारी नहीं किए जा सकते हैं। सीबीडीटी के मुहैया कराए गए दिशानिर्देश के मुताबिक बीते वर्षों के आकलन फिर से खोलने के मामले में संबंधित वित्तीय सीमा का पालन किया जाता है।