अमेरिका और यूरोप के बाजारों ने अपने प्रतिस्पर्धी भारतीय बाजारों से बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश बरकरार रखी। सालाना आधार पर इस साल अब तक (वाईटीडी) आधार पर भारत के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन करने के बाद, अमेरिकी और यूरोपीय बाजारों ने इस महीने अब तक बड़े अंतर से भारत को मात दी है।
अक्टूबर में, डाउ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज (डाउ) 14.4 प्रतिशत मजबूत हुआ, वहीं यूरो स्टॉक्स 50 में 9 प्रतिशत की तेजी आई है। तुलनात्मक तौर पर, भारतीय बाजार अमेरिकी डॉलर संदर्भ में 3 प्रतिशत से कम चढ़े हैं।
हालांकि वाईटीडी आधार पर, बीएसई का सेंसेक्स 7 प्रतिशत गिरा है। वहीं डाउ में 9.6 प्रतिशत और यूरो स्टॉक्स 50 में 26 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आई है।
मॉर्गन स्टैनली कैपिटल इंटरनैशनल इमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स का प्रदर्शन भी कमजोर रहा है और इसमें वाईटीडी आधार पर 31.4 प्रतिशत की कमजोरी आई है। खासकर चीन के कमजोर प्रदर्शन की वजह से इस सूचकांक पर दबाव बढ़ा है।
अमेरिका और यूरोप में तेजी सितंबर में हुई भारी बिकवाली के बाद दर्ज की गई है। विश्लेषकों का कहना है कि विकसित बाजारों में ताजा तेजी इस उम्मीद से आई है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दर वृद्धि का चक्र अगले साल के अंत तक समाप्त हो जाएगा।
निवेशकों को फेडरल रिजर्व द्वारा अगले सप्ताह लगातार चौथी बार दरों में 75 आधार अंक, दिसंबर में 50 आधार अंक, और बाद की दो बैठकों में 25 आधार अंक तक का इजाफा किए जाने की संभावना है।
निर्माण, सेवा क्षेत्रों में दबाव और अनुमान से कमजोर अमेरिकी आवास बिक्री से संकेत मिला है कि तेज मुद्रास्फीति के खिलाफ फेड के प्रयासों में कुछ तेजी आई है।
पिछले सप्ताह जारी हुए जीडीपी के आंकड़े से मंदी की चिंताओं का संकेत मिला है। विश्लेषकों का मानना है कि इसके अलावा, चीन में आर्थिक मंदी अमेरिका के लिए कुछ पूंजी प्रवाह को बढ़ावा दे रही है।
