दो-तिहाई सेक्टोरल सूचकांक 10 वर्षीय औसत के मुकाबले ऊपर

मीडिया, बैंक और वाहन कंपनियां अपने ऐतिहासिक औसत के मुकाबले गिरावट पर कारोबार कर रही हैं।

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सुन्दर सेतुरामन   
Last Updated- February 05, 2025 | 10:37 PM IST

घरेलू ब्रोकरेज कंपनी मोतीलाल ओसवाल की एक रिपोर्ट के अनुसार बेंचमार्क सूचकांकों में अपने ऊंचे स्तर से 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट के बावजूद, दो-तिहाई क्षेत्रीय सूचकांक अभी भी अपने 10-वर्षीय औसत पी/ई मल्टीपल से ऊपर कारोबार कर रहे हैं। सर्वाधिक प्रीमियम पर कारोबार कर रहे क्षेत्रों में इन्फ्रास्ट्रक्चर , यूटिलिटीज और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स शामिल हैं। इसके विपरीत, मीडिया, बैंक और वाहन कंपनियां अपने ऐतिहासिक औसत के मुकाबले गिरावट पर कारोबार कर रही हैं।

प्रमुख क्षेत्रों में, आईटी ऊपर कारोबार कर रहा है, जबकि बैंक डिस्काउंट के साथ उपलब्ध हैं। कंज्यूमर शेयर काफी हद तक अपने दीर्घावधि औसत के अनुरूप कारोबार कर रहे हैं।

आईटी क्षेत्र 27.6 गुना के पीई अनुपात के साथ 31 प्रतिशत प्रीमियम पर कारोबार कर रहा है। यह तेजी तीसरी तिमाही के नतीजों के बाद कई सॉफ्टवेयर निर्यातकों से अनुमान अपग्रेड किए जाने की वजह से आई है। मोतीलाल ओसवाल का कहना है, ‘कुछ क्षेत्रों में कमेंट्री सकारात्मक हो गई हैं और हमारा मानना है कि तकनीकी खर्च में सुधार (मुख्य रूप से पिछले छह महीनों में बीएफएसआई द्वारा संचालित) अब हाई-टेक और खुदरा जैसे अन्य क्षेत्रों में बढ़ रहा है।’

निजी बैंक मौजूदा समय में अपने 2.5 गुना के ऐतिहासिक औसत के 2.2 गुना के प्राइस-टु-बुक (पी/बी) अनुपात पर कारोबार कर रहे हैं जिससे गिरावट का संकेत मिलता है। ब्रोकरेज ने कहा है, ‘ऋण वृद्धि 11.5 फीसदी पर है, जो 18 फीसदी के ऊंचे स्तर से कम है, क्योंकि जमा बाजार आकर्षक बना हुआ है। इसके अलावा, ऊंचा ऋण-जमा अनुपात ऋण वृद्धि को प्रभावित कर रहा है, जबकि असुरक्षित ऋणों में दबाव बना हुआ है। जमा वृद्धि स्थिर रही, जबकि सावधि जमा में तेजी के बीच सीएएसए अनुपात में नकारात्मक रुझान देखने को मिल सकता है। ’

कंज्यूमर सेक्टर के पीई और पीबी अनुपात मौजूदा समय में 42.9 गुना और 10.4 गुना पर हैं, जो अपने 10 वर्षीय औसत के अनुरूप हैं। हालांकि इस क्षेत्र को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिनमें मांग सुधार में लगातार दबाव भी शामिल है। ऊंची खाद्य मुद्रास्फीति और पाम ऑयल की बढ़ती कीमतों के कारण मार्जिन पर भी दबाव है। इस दबावों को कम करने के लिए, कंपनियां कीमतों में बढ़ोतरी पर जोर दे रही हैं।

First Published : February 5, 2025 | 10:37 PM IST