बाजार

आरपीटी मानकों की परिभाषा में शब्दों के खेल की गुंजाइश नहीं

SEBI ने कहा है कि एलओडीआर के तहत ‘संबंधित पक्ष लेनदेन’ और ‘संबंधित पक्ष के साथ लेनदेन’ के बीच कोई कानूनी अंतर नहीं है।

Published by
समी मोडक   
Last Updated- July 23, 2025 | 11:22 PM IST

बाजार नियामक ने बहुराष्ट्रीय औद्योगिक गैस कंपनी लिंडे इंडिया के साथ चल रहे विवाद में प्रतिभूति अपील न्यायाधिकरण (सैट) के समक्ष कड़ा रुख अपनाया है। उसने लिस्टिंग ऑब्लिगेशन्स ऐंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स (एलओडीआर) नियमों के तहत ‘संबंधित पक्ष लेनदेन’ (आरपीटी) शब्द की व्यापक व्याख्या पेश की है।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा है कि एलओडीआर के तहत ‘संबंधित पक्ष लेनदेन’ और ‘संबंधित पक्ष के साथ लेनदेन’ के बीच कोई कानूनी अंतर नहीं है। सेबी के अनुसार दोनों शब्दों का ‘एक दूसरे के स्थान पर प्रयोग’ किया जाता है। इन्हें अनुपालन और प्रवर्तन के समानार्थी माना जाना चाहिए। बिजनेस स्टैंडर्ड ने सैट को 11 जुलाई को दिए गए सेबी के जवाब की प्रति देखी है।

सेबी के ये विचार इसलिए भी महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि लिंडे इंडिया के आरपीटी और उनकी मूल्यांकन से जुड़ी और लंबे समय से चल रही लड़ाई अब सैट द्वारा इस मामले में आदेश सुरक्षित रखे जाने के साथ ही लगभग समाप्त हो सकती है।

सेबी और सार्वजनिक शेयरधारकों दोनों ने लिंडे इंडिया पर आरोप लगाया है कि वह शेयरधारकों की जांच से बचने के लिए अपनी सहायक कंपनी प्रैक्सेयर इंडिया के साथ हुए लेनदेन को ‘नॉन-मैटेरियल’ के रूप में वर्गीकृत करने के लिए शब्दों के खेल में लगी हुई है। इस सिलसिले में सेबी और लिंडे को भेजे गए ईमेलों का जवाब नहीं मिला है।

यदि किसी वित्त वर्ष के दौरान उनका मूल्य पिछले वित्तीय वर्ष में कंपनी के कारोबार के 10 प्रतिशत से अधिक हो तो आरपीटी को महत्त्वपूर्ण माना जाता है। लिंडे इंडिया का कहना है कि इस 10 प्रतिशत सीमा का निर्धारण करते समय केवल ‘कॉमन कॉन्ट्रैक्ट’ के तहत हुए लेनदेन पर ही विचार किया जाना चाहिए। सेबी ने शुरू में इस बात पर जोर दिया था कि बाजार मानकों के अनुसार सभी आरपीटी को किसी विशेष संबंधित पक्ष के साथ जोड़ना आवश्यक है, चाहे अनुबंध संरचना या समूह कुछ भी हो। अपने नए प्रस्तुतीकरण में सेबी ने लिंडे इंडिया के इस दावे का सीधा खंडन किया है कि ‘संबंधित पक्ष लेनदेन’ और ‘संबंधित पक्ष के साथ लेनदेन’ के नियमों में अलग-अलग अर्थ हैं। बाजार नियामक ने तर्क दिया है कि लिंडे के दृष्टिकोण को स्वीकार करने से विसंगतियां पैदा होंगी, जिससे खुलासा संबंधित सीमा के पीछे की मंशा संभावित रूप से कमजोर हो जाएगी।

First Published : July 23, 2025 | 10:44 PM IST