लीमन के दिवालिया होने और मेरिल लिंच और एआईजी संकट की वजह से दुनियाभर के बाजारों में दहशत का माहौल है। भारतीय बाजार भी इस सदमे से उबर नहीं पा रहे हैं।
शुरुआती कारोबार में बंबई स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स करीब 700 अंकों की गिरावट पर पहुंच गया था। हालांकि वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बयान के बाद बाजार ने शानदार वापसी की और वह 52.70 अंकों की बढ़त के साथ 13,315.60 के स्तर पर बंद हुआ।
निफ्टी भी 29.90 अंक चढ़ कर 4,038.15 के स्तर पर पहुंच गया। दिन के निचले स्तरों से सेंसेक्स में 750 अंक और निफ्टी में लगभग 240 अंकों का सुधार आया। बावजूद इसके बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांक गिरावट पर ही रहे।
दरअसल, वित्त मंत्री ने कहा कि अमेरिकी वित्तीय संकट से भारतीय बैंकों और वित्तीय संस्थानों को घबराने की आवश्यकता नहीं है। उनके मुताबिक, हमारे बैंकिंग संस्थान अमेरिकी संकट से सुरक्षित हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि बाजार को तरलता प्रदान करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
वित्त मंत्री ने कहा कि ऋण में कुछ कमी आएगी, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक में कोई समस्या नहीं है। अमेरिकी सरकार द्वारा अधिगृहीत ‘अमेरिकन इंटरनैशनल ग्रुप’ के साथ टाटा के संयुक्त उद्यम के भविष्य के बारे में चिदंबरम ने कहा कि टाटा ने बीमा नियामक इरडा को आश्वस्त किया है कि टाटा-एआईजी के सभी भुगतान दायित्व को पूरा कर लिया जाएगा।
उसमें किसी तरह की समस्या नहीं आएगी। इससे बाजार को सहारा मिला, खासकर बैंकिग सूचकांकों में।
बीएसई के बैंकिंग, तेल-गैस सूचकांकों में 2 फीसदी की तेजी दर्ज की गई, जबकि ऊर्जा, वाहन और पूंजीगत वस्तु सूचकांक भी बढ़त पर बंद हुए। आईटी, तकनीकी क्षेत्र और फार्मा सूचकांकों में गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स में एचडीएफसी बैंक, रिलायंस और एनटीपीसी के शेयरों में करीब 3 फीसदी की उछाल आया, जबकि आईसीआईसीआई बैंक, मारुति सुजुकी, रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर, एसबीआई और ओएनजीसी के शेयर 2 फीसदी बढ़त पर बंद हुए।
हालांकि रैनबैक्सी के शेयरों में करीब 10 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इसके अलावा, सत्यम कंप्यूटर्स और जेपी एसोशिएट्स के शेयरों में भी गिरावट का रुख रहा।
दुनियाभर में दहशत :
अमेरिकी सरकार की ओर से बीमा कंपनी एआईजी को वित्तीय सहायता मुहैया कराने की घोषणा के बावजूद अमेरिकी बाजारों में भय का माहौल देखा गया। बुधवार को डाऊ जोंस 449 अंक और नैस्डेक 101 अंक लुढ़क गए थे।
एशियाई बाजारों पर भी दबाव देखा गया, लेकिन बाद में विभिन्न देशों की सरकारों की ओर से वैश्विक बाजारों में तरलता बढ़ाने के लिए और पैसा डालने की घोषणा से बाजार को अच्छा सहारा मिला। ब्रिटेन और फ्रांस के बाजारों में बढ़त का रुख देखा गया।
वित्त मंत्री उवाच
अमेरिकी संकट से भारतीय बैंकों पर कोई खतरा नहीं
तरलता के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे
टाटा-एआईजी को भुगातन दायित्व पूरा करने में कोई समस्या नहीं
वित्तीय संस्थानों को घबराने की कोई जरूरत नहीं