पेंट कंपनियां पिछले साल उपभोग क्षेत्र की अपनी समकक्ष फर्मों से पीछे रही। चार सबसे बड़ी सूचीबद्ध पेंट कंपनियों ने हालांकि अपना रिटर्न मामूली रूप से ऋणात्मक पाया, वहीं एसऐंडपी बीएसई एफएमसीजी और निफ्टी एफएमसीजी इंडेक्स ने इस अवधि के दौरान 16 फीसदी का ठोस रिटर्न दिया।
शुरू में वॉल्यूम में बढ़ोतरी व घटी लागत ने इस क्षेत्र के सेंटिमेंट को मजबूती प्रदान की, लेकिन ब्रोकरेज फर्मों की सतर्कता में बढ़े प्रतिस्पर्धी दबाव के कारण इजाफा हुआ। नई कंपनियों के प्रवेश और विज्ञापन पर अतिरिक्त निवेश की आवश्यकता पुरानी फर्मों के लाभ पर असर डाल सकती है।
वॉल्यूम में नरमी को लेकर चिंता और कच्चे तेल की कीमतों में तीव्र बढ़ोतरी ने इस क्षेत्र की समस्याओं को और गहरा दिया है। ऐसे में बाजार पर नजर रखने वाले जुलाई-सितंबर तिमाही में मार्जिन में सुधार के अलावा वॉल्यूम की रफ्तार पर ध्यान देंगे।
अप्रैल-जून तिमाही में पेंट कंपनियों ने पिछले साल के मुकाबले वॉल्यूम की रफ्तार में उत्साजनक दो अंकों की बढ़ोतरी दर्ज की। बाजार की अग्रणी एशियन पेंट्स ने डेकोरेटिव पेंट सेगमेंट में 10 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की, वहीं बर्जर पेंट्स ने 12.7 फीसदी का इजाफा दर्ज किया।
जयकुमार दोशी की अगुआई में कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषकों ने एक नोट में कहा है, पहली तिमाही में दो अंकों में वृद्धि दर्ज करने के बाद मौजूदा तिमाही में डेकोरेटिव पेंट की मांग अपेक्षाकृत नरम रही है।
उन्होंने कहा, हमारा अनुमान है कि उद्योग के वॉल्यूम व वैल्यू की रफ्तार में जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान क्रमश: 5-6 फीसदी व 3.4 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज का भी जुलाई-अगस्त में इस क्षेत्र के वॉल्यूम में एक अंक में बढ़ोतरी का अनुमान है।
डीलर सितंबर व अक्टूबर में मजबूती अनुमान लगा रहे हैं, जिसकी वजह अनुकूल आधार और 2023 की दीवाली की तारीख आगे होना है, यानी इस साल दीवाली देर से हो रही है। ब्रोकरेज के मनोज मेनन की अगुआई में विश्लेषकों का यही कहना है।
आगे यह क्षेत्र दो प्रमुख चुनौतियों का सामना करेगा। पहला, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और सूचीबद्ध दिग्गजों के कच्चे माल की लागत पर इसके असर को लेकर चिंता है। दूसरा, ग्रासिम का पेंट ब्राड बिड़ला ओपस मौजूदा वित्त वर्ष के आखिर में बाजार में उतरने वाला है।
ब्रेंट क्रूड की कीमतें अभी 94 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है और पिछले तीन महीने में यह 26 फीसदी उछला है। पेंट कंपनियों के लिए अहम कच्चामाल टाइटेनियम डायऑक्साइड कच्चे तेल का डेरिवेटिव है, ऐसे में इसकी बढ़ती कीमतें कच्चे माल की लागत और महंगा कर देगी। पेंट कंपनियों के कच्चे माल की लागत में करीब 50-60 फीसदी का योगदान कच्चे तेल का होता है।
हालिया रिपोर्ट में मोतीलाल ओसवाल रिसर्च ने बताया है कि कच्चे तेल की कीमतें बढ़कर 90 डॉलर प्रति बैरल के पार जा रही है और इस तरह से यह नौ महीने के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई। रूस और सऊदी अरब की तरफ से आपूर्ति कटौती को लेकर फैसले से यह बढ़ोतरी हुई है।
कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज ने कहा है कि कच्चे तेल की कीमतें रुपये के लिहाज से लगातार दूसरी तिमाही में करीब 10 फीसदी बढ़ी है और यह ऐसे समय में हुआ है जब बढ़ रही प्रतिस्पर्धा ज्यादा छूट आदि का मामला बना रहा है। ब्रोकरेज को उम्मीद है कि पेंट के लिए कमोडिटी की इनपुट कीमतें पेंट कपनियों के मार्जिन पर कुछ दबाव बढ़ा सकता है।
इनपुट की कम लागत और परिचालन के लिहाज से मजबूत प्रदर्शन ने एशियन पेंट्स को जून तिमाही में सकल मार्जिन सालाना आधार पर 523 आधार अंकों की बढ़ोतरी के साथ 42.9 फीसदी पर ले जाने में मदद की, वहीं परिचालन लाभ मार्जिन सालाना आधार पर 502 आधार अंक बढ़कर 23.1 फीसदी पर पहुंचा। लेकिन क्रमिक आधार पर मार्जिन में विस्तार चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
देश में 70,000 करोड़ रुपये के पेंट उद्योग में बिड़ला ओपस के साथ ग्रासिम के प्रवेश से पुरानी कंपनियों के सामने चुनौती खड़ी हो सकती है क्योंकि कंपनी ने 10,000 करोड़ रुपये निवेश किया है और अपने मौजूदा वितरण नेटवर्क को मजबूत बनाया है। पुरानी कंपनियों पर नई व बड़ी कंपनियों के प्रवेश से पड़ने वाले असर को लेकर ब्रोकरेज फर्मों की राय मिलीजुली है।
नुवामा रिसर्च का सुझाव है कि ग्रासिम गंभीर चुनौती सामे रख सकती है, लेकिन उसका यह भी कहना है कि डेकोरेटिव पेंट की अग्रणी एशियन पेंट्स व बर्जर पेंट्स ने ज्यादातर वर्षों में वॉल्यूम में दो अंकों की वृद्धि बरकरार रखी है जबकि कई देसी व अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत के पेंट बाजार में उनके सामने विज्ञापन में आक्रामक खर्च व उत्पादों के नवोन्मेष के साथ कड़ी चुनौती सामने रखी।
अवनीश रॉय की अगुआई में ब्रोकरेज के विश्लेषकों का मानना हैकि प्रतिस्पर्धा में खड़े रहने और अच्छी रफ्तार से आगे बढ़ने की उसकी क्षमता इस क्षेत्र प्रवेश को लेकर कई तरह के अवरोध को प्रतिबिंबित करते हैं।
यह मानते हुए कि पेंट क्षेत्र में ग्रासिम दूसरे नंबर हासिल करने में जुटा है, कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज रिसर्च का मानना है कि ग्रासिम के प्रवेश के बाद बर्जर पेंट्स, एशियन पेंट्स के मुकाबले ज्यादा नाजुक दिख रही है।
ब्रोकरेज के मुताबिक, नई कंपनी एशियन पेंट्स से शायद सीधे संघर्ष नहीं करना चाहेगी और डीलर आउटलेट्स पर दो अग्रणी से चार ब्रांड की मौजूदगी बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगी। इसके अतिरिक्त एशियन पेंट्स की वाटरप्रूफिंग व होम डेकोरेशन में मजबूती से उसे बड़े खुदरा आउटलेट में बाजार हिस्सेदारी को बेहतर तरीके से बचाए रखने में मदद मिल सकती है।