बाजार नियामक सेबी द्वारा पेश नए मार्जिन संग्रह एवं शेयर गिरवीं मानकों की पेशकश के बावजूद सितंबर में नकदी बाजार का कारोबार मजबूत बना रहा। सितंबर के लिए औसत दैनिक कारोबार वैल्यू (एडीटीवी) 58,697 करोड़ रुपये पर दर्ज की गई, जो मासिक आधार पर 10 प्रतिशत कम है, लेकिन सालाना आधार पर 47 प्रतिशत ज्यादा है।
कई बाजार कारोबारियों को आशंका थी कि नए अग्रिम मार्जिन संग्रह मानकों के साथ साथ नए मार्जिन गिरवी और पुन:-गिरवी मानकों की वजह से पैदा हुई समस्या से कारोबार मात्रा पर काफी प्रभाव पड़ेगा। बाजार कारोबारियों का कहना है कि कुछ समस्याओं के बाद, नई प्रणाली कुछ दिनों के अंदर सुव्यवस्थित हो गई है जिससे बिक्री मजबूत बनाए रखने में मदद मिली है। इसके अलावा, बाजार में लगातार तेजी से भी कारोबार में सालाना वृद्घि दर्ज की गई है। डेरिवेटिव के संदर्भ में गतिविधि मजबूत थी और एडीटीवी में मासिक आधार पर 16 प्रतिशत और सालाना आधार पर 50 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया।
ब्रोकरों द्वारा दुरुपयोग रोकने के लिए, सेबी अपने ग्राहकों के खातों तक पहुंचने के लिए उनसे पावर ऑफ अटॉर्नी (पीओए) हासिल करने की अपनी पिछली व्यवस्था से दूर नहीं हुई है। इसके बजाय, उसने ऐसी नई व्यवस्था भी पेश की है जो उसके ग्राहकों को मार्जिन हासिल करने के लिए अपने शेयर ब्रोकरों के साथ गिरवी या पुन: गिरवी रखने का प्रत्यक्ष अवसर देती है। जब ग्राहकों को कारोबार के लिए मार्जिन के संदर्भ में डिपोजिटरी के वेबपेज पर सीधे पहुंचना होता है। ओटीपी प्रमाणन के बाद, ग्राहक अपनी होल्डिंग देखने में सक्षम होंगे, जिसे ट्रेडिंग के लिए मार्जिन पैदा करने के संदर्भ में ब्रोकर के साथ गिरवी या पुन: गिरवी रखा जा सकेगा।
इसके अलावा, नए मार्जिन गिरवी मानकों के तहत सेबी ने अग्रिम मार्जिन के नियम सख्त बनाए हैं। इसके तहत ब्रोकरों को ज्यादा मार्जिन एकत्र करना पड़ता था, जो व्यक्तिगत शेयर की वैल्यू ऐट रिस्क (वीएआर) और एक्सट्रीम लॉस मार्जिन (ईएलएम) से जुड़ा हुआ था।वीएआर और ईएलएम हरेक शेयर के लिए अलग अलग होते हैं। इसके अलावा एक्सचेंजों को मार्जिन के गैर-संग्रह के लिए ब्रोकरों पर भारी जुर्माना लगाने का भी निर्देश दिया गया था।
नई व्यवस्था 1 सितसंबर से प्रभावी हो गई है। कई ब्रोकरों ने शुरुआती दिनों के दौरान कारोबार में बड़ी गिरावट दर्ज की थी, क्योंकि नई प्रणाली कई जटिलताओं से जुड़ी हुई थी जिससे उनके मार्जिन में कमी और भुगतान प्रक्रिया में विलंब जैसी समस्याएं सामने आई थीं।
हालांकि क्लियरिंग कॉरपोरेशंस और डिपोजिटरी ने इन समस्याओं को दूर करने की दिशा में काफी कार्य किया है।
बोनांजा पोटफोलियो के शोध प्रमुख विशाल वाघ का कहना है, ‘नई मार्जिन व्यवस्था ने ब्रोकरों और निवेशकों को नए मानकों के प्रति ढलने के लिए बाध्य किया है और इससे उनके संपूर्ण व्यावसायिक ढांचे में बदलाव आ गया है। हरेक नई व्यवस्था के कुछ लाभ और नुकसान होते हैं।’
उद्योग के जानकारों का कहना है कि कारोबार पर वास्तविक प्रभाव तब महसूस किया जाएगा जब इंट्रा-डे कारोबार के लिए अतिरिक्त पूंजी मुहैया कराने वाले ब्रोकरों पर सेबी की सीमाएं लागू होंगी। ये नए मानक दिसंबर 2020 से तीन चरणों में में क्रियान्वित होंगे, जिनमें ग्राहक के लिए मार्जिन वीएआर और ईएलएम की राश के 25 प्रश्तिात से ज्यादा पाया जाता है तो ब्रोकरों पर जुर्माना लगाया जाएगा।