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शेयर बाजार ने इन 4 वजहों से भरी उड़ान…2 घंटे में ही करीब 2% की धुआंधार तेजी

ब्रॉडर मार्केट की बात करें तो निफ्टी मिडकैप इंडेक्स में 1.5 प्रतिशत और निफ्टी स्मॉलकैप इंडेक्स में 2 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई।

Last Updated- April 11, 2025 | 12:05 PM IST
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भारतीय शेयर बाजारों में शुक्रवार (11 अप्रैल) को जबरदस्त तेजी देखने को मिली। सेंसेक्स और निफ्टी में करीब 2 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई। इस तेजी का प्रमुख कारण अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) का यह ऐलान रहा कि वे रेसिप्रोकल टैरिफ (reciprocal tariffs) को 90 दिनों के लिए टाल रहे हैं। इस खबर के चलते निवेशकों में खरीदारी का उत्साह देखने को मिला।

सेंसेक्स और निफ्टी में जबरदस्त उछाल

बीएसई सेंसेक्स में आज 1,472 अंकों यानी 1.9 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई और यह दिन के उच्चतम स्तर 75,319 तक पहुंच गया। वहीं, एनएसई का निफ्टी इंडेक्स 475 अंक यानी 2.1 प्रतिशत उछलकर 22,874 के स्तर पर पहुंचा।

मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी बढ़त

ब्रॉडर मार्केट की बात करें तो निफ्टी मिडकैप इंडेक्स में 1.5 प्रतिशत और निफ्टी स्मॉलकैप इंडेक्स में 2 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई।

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बाजार में तेजी के पीछे क्या हैं कारण?

1. ट्रंप की टैरिफ पर 90 दिन की रोक

9 अप्रैल को अमेरिका ने 75 देशों, जिनमें भारत भी शामिल है, पर लगने वाले रेसिप्रोकल टैरिफ को 90 दिनों के लिए टालने का निर्णय लिया। ये वो देश हैं जिन्होंने अमेरिका से व्यापार वार्ता की पहल की है। हालांकि, इस दौरान 10 प्रतिशत के एकतरफा शुल्क (unilateral tariffs) लागू रहेंगे। ट्रंप ने साफ किया कि इन 75 देशों से अगले 3 महीनों तक कोई पारस्परिक शुल्क नहीं वसूला जाएगा।

2. चीन पर कड़ा रुख

जहां भारत को 90 दिन की राहत दी गई है, वहीं अमेरिका ने चीन पर 145 प्रतिशत का भारी-भरकम टैरिफ लगा दिया है। इसमें 125 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ और 20 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क शामिल है, जो चीन से अमेरिका में कथित तौर पर फेंटानिल की सप्लाई को लेकर लगाया गया है।

जवाबी कार्रवाई में चीन ने अमेरिकी उत्पादों पर रोक लगाने के कई कदम उठाए हैं। उदाहरण के लिए चीन ने अपने देश में हॉलीवुड फिल्मों की रिलीज़ की संख्या घटाने का फैसला लिया है।

3. भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड वार्ता

टैरिफ में छूट के इस समय का लाभ उठाते हुए भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत जोरों पर है। अमेरिका के ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने बताया कि अमेरिका “चीन के पड़ोसियों” जैसे जापान, दक्षिण कोरिया और भारत के साथ व्यापार वार्ताएं कर रहा है।

इसके अलावा, एक रिपोर्ट के अनुसार भारत ने अमेरिका से ऑटोमोबाइल्स पर शुल्क घटाने का प्रस्ताव रखा है, जिसके बदले वह कृषि उत्पादों पर रियायत चाहता है।

4. मजबूत रुपया और घटती कच्चे तेल की कीमतें

शुक्रवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 45 पैसे मजबूत होकर 86.24 पर खुला। दिन के दौरान यह 85.955 के उच्च स्तर तक पहुंच गया। इसकी वजह डॉलर इंडेक्स में गिरावट और तेल की कीमतों में आई कमी रही, जो अमेरिका-चीन तनाव से जुड़ी है। मजबूत रुपया विदेशी निवेशकों (FIIs) के लिए भारतीय बाज़ार को आकर्षक बनाता है। इससे एफआईआई निवेश को सहारा मिल सकता है।

इसके अलावा, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से भारत का चालू खाता घाटा (Current Account Deficit) भी नियंत्रित रहता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे आयात बिल में कमी आती है। फिलहाल ब्रेंट क्रूड $63.46 प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है।

First Published - April 11, 2025 | 12:04 PM IST

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