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भारतीय बाजारों से एक साल में ज्यादा रिटर्न की उम्मीद न रखें: मार्क फैबर

‘द ग्लूम, बूम ऐंड डूम रिपोर्ट’ के संपादक और प्रकाशक मार्क फैबर ने पुनीत वाधवा से फोन पर बातचीत के दौरान यह कहा।

Last Updated- May 22, 2025 | 12:20 AM IST
MARC FABER
‘द ग्लूम, बूम ऐंड डूम रिपोर्ट’ के संपादक और प्रकाशक मार्क फैबर

वैश्विक बाजार अनिश्चितता से जूझ रहे हैं और ऐसे माहौल में इंडेक्स में निवेश करने के बजाय अच्छे शेयरों का चयन करना ज्यादा फायदेमंद साबित होगा। ‘द ग्लूम, बूम ऐंड डूम रिपोर्ट’ के संपादक और प्रकाशक मार्क फैबर ने पुनीत वाधवा से फोन पर बातचीत के दौरान यह कहा। उन्होंने कहा कि इंडेक्स शायद अच्छा प्रदर्शन न कर पाएं, लेकिन सही शेयर का चयन करने से अभी भी अच्छा रिटर्न मिल सकता है। बातचीत के अंश:

हाल के सप्ताहों में आप डॉनल्ड ट्रंप के टैरिफ एजेंडे को कैसे देखते हैं? क्या वैश्विक बाजारों को और भी झटकों का सामना करना पड़ेगा?

इस साल डॉलर विदेशी मुद्राओं, विशेष रूप से येन और स्विस फ्रैंक और साथ ही कीमती धातुओं के मुकाबले कमजोर हुआ है। टैरिफ निश्चित रूप से अमेरिकी डॉलर के लिए अनुकूल नहीं हैं। यह बहस का मसला है कि यह गिरावट सीधे टैरिफ की वजह से है या इसका कोई अन्य कारण है, लेकिन टैरिफ से निश्चित रूप से मदद नहीं मिलती है। जहां तक चौंकाने की बात करें तो हमें कई की उम्मीद करनी चाहिए। इसकी वजह यह है कि ट्रंप नतीजों पर पूरी तरह से विचार किए बगैर निर्णय लेते हैं और फिर अपने सलाहकारों या धनी दानदाताओं के सुझावों के आधार पर उन्हें पलट देते हैं। इससे बाजार में अस्थिरता बढ़ जाती है। टेस्ला के शेयर को ही देख लीजिए जो दिसंबर और अप्रैल के बीच 63 प्रतिशत गिर गया, फिर लगभग 40 प्रतिशत चढ़ गया।

क्या आपको लगता है कि वैश्विक बाजारों में आगे और अस्थिरता आएगी?

हां, वैश्विक बाजार अस्थिर बने रहेंगे। ट्रंप के अप्रत्याशित निर्णय लेने और उन्हें लगातार पलटने की वजह से बाजार में उतार-चढ़ाव आता है।

2025 किसके अनुकूल होगा विकसित या उभरते बाजारों के?

मेरी राय में 2025 में उभरते बाजार अमेरिका से बेहतर प्रदर्शन करेंगे और यूरोप भी अमेरिका से बेहतर प्रदर्शन करेगा। इसकी एक वजह डॉलर में गिरावट होगी।

भारत के बारे में आपका क्या खयाल है?

मुझे भारतीय बाजार बहुत महंगा लगता है। हां, कुछ शेयर अभी भी सस्ते हो सकते हैं, लेकिन आम तौर पर मुझे उभरते बाजारों में कहीं और बेहतर वैल्यू दिख रही है। हाल में, ब्राजील और कोलंबिया जैसे कुछ लैटिन अमेरिकी बाजारों और हॉन्गकॉन्ग सहित दक्षिण पूर्व एशियाई बाजारों ने अमेरिका से बेहतर प्रदर्शन किया है। मुझे अभी भी भारत की तुलना में इंडोनेशिया, थाईलैंड और मलेशिया जैसे देश ज्यादा आकर्षक लगते हैं।

 क्या भारतीय निवेशकों को तेजी में बाहर निकलने पर विचार करना चाहिए?

यह व्यक्ति के निवेश के उद्देश्य और समय सीमा पर निर्भर करता है। मुझे नहीं लगता कि भारतीय शेयर अगले 12 महीनों में ज्यादा रिटर्न देंगे।

इस समय एक आदर्श निवेश रणनीति क्या है?

सतर्क रहें। हम बहुत बड़े परिसंपत्ति बुलबुले में हैं। पिछले 30-40 साल में सब कुछ ऊपर गया है – प्रॉपर्टी, कला, सोना, चांदी, शेयर, बॉन्ड। मुझे नहीं लगता कि निवेशकों को भविष्य में हर क्षेत्र में बहुत पैसा मिलेगा। अमेरिकी शेयर महंगे हैं। सोने से जुड़ी कंनियों के शेयर, हेल्थकेयर शेयर और फार्मास्युटिकल कंपनियां उचित मूल्य पर हैं। इंडेक्स इन्वेस्टिंग की तुलना में अच्छे शेयर का चयन ज्यादा महत्त्वपूर्ण होगा। इंडेक्स कमजोर प्रदर्शन कर सकते हैं, लेकिन सही शेयर चुनने से अभी भी अच्छा रिटर्न मिल सकता है।

कोविड-19 का नया स्ट्रेन फैल रहा है। क्या यह बाजार की तेजी पर विराम लगा सकता है?

मुझे नहीं लगता कि बाजार मुख्य रूप से नए कोविड स्ट्रेन को लेकर चिंतित हैं। महत्त्वपूर्ण यह है कि सरकारें कैसी प्रतिक्रिया देती हैं। अगर सरकारें फिर से इकॉनमी को बंद कर देती हैं, तो हां, इससे बाजारों पर नकारात्मक असर पड़ेगा।

चीन पर आपके क्या विचार हैं?

पश्चिमी मीडिया चीन पर बहुत नकारात्मक रिपोर्ट देता है, लेकिन वास्तविकता उतनी बुरी नहीं है। चीन की अर्थव्यवस्था धीमी हो गई है और सिकुड़ती आबादी के कारण अब यह सालाना 8-12 प्रतिशत की दर से नहीं बढ़ेगी। सही है कि चीन अभी भी प्रगति कर रहा है, खासकर टेक्नोलॉजी, ऑटोमेशन, रोबोटिक्स और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में।  

First Published - May 22, 2025 | 12:20 AM IST

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