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IndusInd Bank crisis: सेबी की कार्रवाई जारी, देरी से खुलासे पर भी आ सकता है आदेश

10 मार्च को शेयर बाजार को इसकी जानकारी दी, जिसके बाद इंडसइंड का शेयर 27 फीसदी गिर गया था।

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- May 29, 2025 | 10:16 PM IST

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) इंडसइंड बैंक को एक और आदेश जारी कर सकता है। बाजार नियामक द्वारा जारी 32 पन्नों के अंतरिम आदेश से संकेत मिलता है कि लिस्टिंग दायित्वों और डिस्क्लोजर आवश्यकताओं (एलओडीआर) विनियमों के संभावित उल्लंघन के लिए इंडसइंड पर आदेश जारी किया जा सकता है।

सेबी द्वारा विश्लेषित किए गए ईमेल, जिनके अंश 28 मई को जारी आदेश में किए गए हैं उससे पता चलता है कि बैंक के मुख्य वित्त अधिकारी सहित तमाम वरिष्ठ प्रबंधन को नवंबर 2023 की शुरुआत से ही इन गड़बड़ियों के बारे में जानकारी थी। बावजूद इसके बैंक ने इसका तुरंत खुलासा नहीं किया और 4 मार्च को ही डेरिवेटिव घाटे से संबंधित जानकारी को अप्रकाशित मूल्य संवेदनशील सूचना (यूपीएसआई) के तौर पर वर्गीकृत किया। 10 मार्च को शेयर बाजार को इसकी जानकारी दी, जिसके बाद इंडसइंड का शेयर 27 फीसदी गिर गया था।

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उल्लेखनीय है कि बैंक ने पिछले साल फरवरी में सलाहकार फर्म केपीएमजी द्वारा एक बाह्य सत्यापन भी कराया था, जिसमें इसके डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में गड़बड़ियों के कारण 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के घाटा की पहचान की गई थी। मगर बैंक ने इसकी जानकारी करीब 15 महीने की देरी से इस साल मार्च में दी।

दिसंबर 2023 में बैंक के मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) ने भारतीय रिजर्व बैंक को गड़बड़ियों का विवरण प्रस्तुत करने का भी प्रस्ताव दिया था। सीएफओ ने गड़बड़ियों के नकारात्मक प्रभाव के कारण अनुमानित पूंजी से जोखिम परिसंपत्ति अनुपात (सीआरएआर) की गणना की जानकारी तत्कालीन प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी को भी दी थी।

सेबी के आदेश में कहा गया है कि बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी सुमंत कठपालिया ने चूक की गंभीरता को स्वीकार किया और दोबारा गणना करने के लिए कहा। कानून के जानकारों का कहना है कि नियामक का ध्यान डिस्क्लोजर की भौतिकता और महत्त्वपूर्ण सूचनाओं को यूपीएसआई के तौर पर वर्गीकृत करने पर है क्योंकि डिस्क्लोजर नहीं करने से निवेशक जोखिम में रहेंगे।

उल्लेखनीय है कि एलओडीआर विनियमन सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा भौतिक जानकारी का खुलासा करने के लिए पालन की जाने वाली समयसीमा तय करता है। यदि घटना या जानकारी सूचीबद्ध इकाई के भीतर उत्पन्न होती है तो इसे होने के 12 घंटे के भीतर इसका खुलासा किया जाना चाहिए।

कानून के जानकारों के अनुसार, यदि यह सूचना बाहर से आई है, तो इसकी जानकारी प्राप्त होने के 24 घंटे के भीतर इसका खुलासा किया जाना चाहिए। कानून के विशेषज्ञों का कहना है कि डिस्क्लोजर आवश्यकताओं का अनुपालन करने में विफल रहने पर सेबी के पास इंडसइंड बैंक पर मौद्रिक जुर्माना लगाने का भी अधिकार है।

First Published : May 29, 2025 | 9:56 PM IST