विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने पिछले कुछ कारोबारी सत्रों में आक्रामक तरीके से बैंकों के शेयर खरीदे हैं। यह जानकारी एनएसई के वायदा एवं विकल्प (F&O) के कारोबारी आंकड़ों से मिली। अनुबंध के लिहाज से एफआईआई की तरफ से खरीदे गए कुल इंडेक्स फ्यूचर सौदे बुधवार को 56,911 पर पहुंच गए।
इसमें अकेले बैंक निफ्टी का हिस्सा 56,593 अनुबंधों का है जबकि निफ्टी फ्यूचर का हिस्सा 3,028 अनुबंधों का है। कीमत के लिहाज से एफआईआई 19 जून को 4,356.46 करोड़ रुपये के इंडेक्स फ्यूचर के शुद्ध खरीदार रहे, जिसमें बैंक निफ्टी फ्यूचर के 4,307.54 करोड़ रुपये के अनुबंधों की शुद्ध खरीदारी शामिल है।
एफआईआई ने बुधवार को निफ्टी फ्यूचर में 179.21 करोड़ रुपये जोड़े जबकि मिडकैप निफ्टी फ्यूचर में शुद्ध बिकवाल रहे।
परिणामस्वरूप निफ्टी बैंक इंडेक्स ने बुधवार को पिछले सर्वोच्च स्तर को पीछे छोड़ते हुए 51,957 की नई ऊंचाई को छू लिया और गुरुवार को उतारचढ़ाव भरे कारोबार के बीच अपना आधार बरकरार रखा। ऐसे में एफआईआई को बैंक शेयर क्यों लुभा रहे हैं और क्या यह रफ्तार कायम रहेगी?
वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज के निदेशक (इक्विटी) क्रांति बाथिनी के मुताबिक बैंकिंग व वित्तीय सेवा क्षेत्र (बीएफएसआई) भारत की वृद्धि के लिए मजबूत वाहक है। उन्होंने कहा कि एफआईआई को भारत की प्रगति की कहानी पर भरोसा है और यह क्षेत्र हमेशा से ही उनकी नजर में रहा है।
उन्होंने कहा, इसके अलावा ये शेयर कुछ समय से सुस्त पड़े हुए थे। इसलिए वे उनको उठा रहे हैं। क्रेडिट में तेजी और आरबीआई की तरफ से अगले कुछ महीने में दरों में कटौती भी बैंक शेयरों की रफ्तार को बनाए रखेगी। 4 जून के 46,077 के निचले स्तर से (जब लोक सभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए थे) निफ्टी बैंक इंडेक्स 11 फीसदी चढ़कर बुधवार को पहली बार 51,000 के स्तर को छू गया।
ऐस इक्विटी के आंकड़ों के अनुसार बैंक ऑफ बड़ौदा, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक, फेडरल बैंक और बंधन बैंक इस अवधि में बढ़त हासिल करने में सबसे आगे रहे हैं और 4 जून के बाद से इनमें 12 फीसदी से लेकर 14.5 फीसदी तक का इजाफा हुआ है।
मैक्वेरी के विश्लेषकों को बैंकों में प्राइवेट बैंक पसंद हैं और उन्हें लगता है कि अगले तीन साल में ये परिसंपत्तियों पर बढ़िया रिटर्न और इक्विटी पर 16-18 फीसदी के दायरे में रिटर्न दर्ज करेंगे। साथ ही ये बढ़त को गति देते रहेंगे।
मैक्वेरी के सुरेश गणपति और पुनीत बहलानी ने हालिया नोट में लिखा है कि प्राइवेट बैंक संभावित क्रेडिट लॉस नियमन से कम प्रभावित हैं और उनके साथ आकस्मिक बफर भी रहता है। हमें उनकी परिसंपत्ति गुणवत्ता के परिदृश्य में कोई प्रतिकूलता नजर नहीं आ रही।
दरों में कटौती के चक्र में देरी अल्पावधि में उनके शुद्ध ब्याज मार्जिन को सहारा देगा। पीएसयू बैंक इक्विटी पर रिटर्न में गिरावट देखेंगे क्योंकि क्रेडिट लागत सामान्य होने का असर पड़ेगा।
तकनीकी तौर पर निफ्टी बैंक इंडेक्स रोजाना के चार्ट पर 52,090 के प्रतिरोध स्तर को परख सकता है। सालाना फिबोनाची चार्ट के अनुसार ऊपर की ओर यह इंडेक्स 54,500 तक जा सकता है और अंतरिम प्रतिरोध करीब 53,300 व 52,100 है।