प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
बीएसई ने मुख्य प्लेटफॉर्म का रुख करने वाले छोटे व मझोले उद्यमों (एसएमई) के पात्रता मानकों को मजबूत बनाया है, साथ ही सीधी सूचीबद्धता की इच्छा रखने वाली उन कंपनियों के लिए भी नियम सख्त हो गए हैं, जो दूसरे एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध हैं।
एक्सचेंज ने कहा, यह कदम पारदर्शिता, निवेशकों की सुरक्षा और सूचीबद्धता की कुल गुणवत्ता में इजाफे के इरादे से उठाया गया है।
संशोधित मानदंडों के तहत, कंपनियों को अब पिछले तीन वित्त वर्षों में कम से कम 15 करोड़ रुपये का परिचालन लाभ अर्जित करना होगा, जिसमें हर वर्ष न्यूनतम 10 करोड़ रुपये शामिल होंगे। यह पिछले तीन वर्षों में से कम से कम दो वर्षों में सकारात्मक परिचालन लाभ की पहले की अनिवार्यता से बढ़ा है।
इसके अतिरिक्त, आवश्यक सार्वजनिक शेयरधारकों की न्यूनतम संख्या को चार गुना बढ़ाकर 250 से 1,000 कर दिया गया है। नई नकदी अनिवार्यताएं भी लागू कर दी गई हैं।
पिछले छह महीनों में इक्विटी शेयरों के भारांकित औसत संख्या का कम से कम 5 फीसदी ट्रेड होना चाहिए। इसके अलावा, इस अवधि में कम से कम 80 फीसदी बाजार दिवसों पर ट्रेडिंग होनी चाहिए।
कंपनियों के पास पिछले तीन वित्त वर्षों में हर वर्ष कम से कम 3 करोड़ रुपये की शुद्ध मूर्त संपत्ति होनी चाहिए और उस अवधि के दौरान एक साफ़-सुथरा अनुपालन रिकॉर्ड बनाए रखना होगा। बीएसई ने कहा कि ये बदलाव मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंस्टिट्यूशंस और अग्रणी नियामक के रूप में निवेशकों का विश्वास और बाजार की अखंडता में सुधार लाने के उसके निरंतर प्रयासों का हिस्सा हैं।
बीएसई के एसएमई प्लेटफॉर्म पर 600 से ज्यादा कंपनियां सूचीबद्ध हैं। इनमें से लगभग 200 मुख्य बोर्ड में स्थानांतरित हो चुकी हैं। बीएसई एसएमई प्लेटफॉर्म पर अभी कारोबार कर रही 405 कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण 75,000 करोड़ रुपये है।