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फेडरल रिजर्व की दर कटौती के अनुमान से भारतीय बाजारों में गिरावट, सेंसेक्स 940 अंक फिसला

चार दिन की गिरावट में निवेशकों को ₹10 लाख करोड़ का नुकसान, एफपीआई ने इस सप्ताह ₹12,000 करोड़ निकाले

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सुन्दर सेतुरामन   
Last Updated- December 19, 2024 | 10:53 PM IST

अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा वर्ष 2025 में नीतिगत दरों में सिर्फ दो कटौती का पूर्वानुमान लगाए जाने के बाद भारतीय शेयर बाजारों में आज लगातार चौथे सत्र में गिरावट आई, क्योंकि उम्मीद की जा रही थी कि तीन से चार दर कटौतियां की जाएंगी।

सेंसेक्स 940 अंक या 1.2 फीसदी गिरकर 79,262.61 पर बंद हुआ। वहीं 50 शेयर वाला सूचकांक निफ्टी गुरुवार को 247 अंक या 1.02 फीसदी कमजोर होकर 23,952 पर बंद हुआ। पिछले चार कारोबारी सत्रों में, सेंसेक्स 3.5 फीसदी और निफ्टी 3.3 फीसदी तक गिरा है।

बाजार में हुई बिकवाली से निवेशकों की संपत्ति में 2.8 लाख करोड़ रुपये की कमी आई, जिससे चार दिनों की गिरावट का नुकसान बढ़कर लगभग 10 लाख करोड़ रुपये हो गया। गुरुवार को एफपीआई ने 4,225 करोड़ रुपये की बिकवाली की, जबकि घरेलू संस्थानों ने 3,943 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। इस सप्ताह, एफपीआई ने शेयर बाजार से 12,000 करोड़ रुपये निकाले हैं। फेडरल रिजर्व के अधिकारियों ने बुधवार को लगातार तीसरी बार अपनी बेंचमार्क ब्याज दर घटाई। फेड ने यह दर घटाकर 4.25-4.5 प्रतिशत के दायरे मे कर दी, लेकिन मुद्रास्फीति की चिंता को ध्यान में रखते 2025 में संभावित दर कटौती की संख्या घटा दी।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी धीरज रेल्ली ने कहा, ‘बाजार ज्यादा दर कटौतियों की उम्मीद कर रहे थे, इसलिए फेड द्वारा अगले साल सिर्फ दो दर कटौती का अनुमान जताना नकारात्मक है। अगला वर्ष उतार-चढ़ाव भरा रह सकता है और प्रमुख सूचकांक स्तर की वृद्धि 18 फीसदी से नीचे बनी रहेगी। लेकिन अच्छे शेयरोंमें अवसर बने रहेंगे।’

इस सप्ताह घरेलू शेयर बाजारों में बिकवाली देखी गई, क्योंकि रुपये में कमजोरी और एफपीआई द्वारा भारतीय शेयर बाजारों से अमेरिकी बाजारों में पूंजी जाने की चिंताओं ने निवेशकों को परेशान कर दिया। विश्लेषकों ने घरेलू आय वृद्धि और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में मंदी के साथ-साथ महंगे मूल्यांकन जैसी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए शेयर बाजारों में लगातार अस्थिरता की चेतावनी दी है।

जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘बैंक ऑफ जापान द्वारा ब्याज दर स्थिर रखने के निर्णय ने अर्थशास्त्रियों को आश्चर्यचकित कर दिया क्योंकि इससे बिकवाली दबाव कम करने में मदद मिली। इसके बावजूद, एफआईआई की चल बिक्री के बीच निवेशक सतर्क बने रहे, और फार्मा जैसे रक्षात्मक क्षेत्रों की ओर बड़ा बदलाव देखा गया।’

बाजार धारणा नकारात्मक रही। गिरने वाले शेयरों की संख्या 2,414 और चढ़ने वालों की संख्या 1,589 रही। तीन शेयरों को छोड़कर, सेंसेक्स के सभी शेयरों में कमजोरी दर्ज की गई। आईसीआईसीआई बैंक 2 फीसदी, रिलायंस इंडस्ट्रीज 1.8 फीसदी गिरावट के शिकार हुए।

एक को छोड़कर, सभी सेक्टोरल सूचकांक गिरावट के साथ बंद हुए। बैंकिंग और आईटी शेयरों में ज्यादा गिरावट आई और बीएसई पर इनके सूचकांकों में 1.16 तथा 1.13 फीसदी तक की गिरावट आई। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि आर्थिक आंकड़े और आरबीआई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) बैठक के निष्कर्ष बाजार की दिशा के लिए महत्वपूर्ण बने हुए हैं। मौजूदा गिरावट के बावजूद, इक्विटी बेंचमार्क लगातार 9वें वर्ष बढ़त के साथ समाप्त होने जा रहे हैं, जो अब तक की सबसे लंबी तेजी का सिलसिला है।

First Published : December 19, 2024 | 10:53 PM IST