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लिस्टेड कंपनियों के लिए अफवाहों के सत्यापन नियमों में नरमी का प्रस्ताव- SEBI

बाजार नियामक का यह भी प्रस्ताव है कि अफवाह की स्थिति में प्रवर्तकों, निदेशकों व अहम अधिकारियों को समय पर व सटीक प्रतिक्रिया देनी चाहिए, न कि सूचीबद्ध फर्म को।

Last Updated- December 28, 2023 | 10:04 PM IST
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बाजार नियामक सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों के लिए अफवाहों के सत्यापन से जुड़े नियमों में बदलाव का प्रस्ताव किया है, जिसमें 24 घंटे की समयसीमा में छूट, शेयर कीमतों पर असर पड़ने की संभावना पर ही सत्यापन और तरजीही इश्यू, पुनर्खरीद और सौदों की कीमतों पर स्पष्टता शामिल है।

गुरुवार को पेश परामर्श पत्र में बाजार नियामक ने इंडस्ट्री स्टैंडर्ड फोरम (आईएसएफ) की तरफ से दिए गए सुझावों को फीडबैक के लिए सार्वजनिक कर दिया।

फोरम में उद्योग निकाय मसलन फिक्की, एसोचैम व सीआईआई के प्रतिनिधि हैं। फोरम ने सुझाव दिया है कि सूचीबद्ध फर्मों को तभी सत्यापन करने की जरूरत होनी चाहिए जब ऐसी अफवाह के कारण कीमत की चाल पर बहुत ज्यादा असर पड़ता हो। कीमत की चाल की वजह सिर्फ अफवाह होनी चाहिए।

फोरम का सुझाव है कि कीमत की चाल प्रतिभूतियों के कीमत दायरे पर आधारित होनी चाहिए। उच्च कीमत का दायरे में आने वाले शेयरों के लिए कम बढ़ोतरी को अहम माना जाएगा, और कम कीमत दायरे वाले शेयरों के मामले में उच्च विचलन को अहम माना जाएगा।

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फोरम ने यह भी कहा है कि बेंचमार्क सूचकांकों मसलन सेंसेक्स और निफ्टी-50 की चाल को शेयरों की अहम चाल तय करने का कारक माना जाना चाहिए।
पत्र में सेबी का प्रस्ताव है कि बाजार की अफवाहों के सत्यापन की समयसीमा कीमत की चाल के 24 घंटे के भीतर होनी चाहिए, न कि मुख्यधारी की मीडिया में रिपोर्टिंग के 24 घंटों के भीतर।

बाजार नियामक का यह भी प्रस्ताव है कि अफवाह की स्थिति में प्रवर्तकों, निदेशकों व अहम अधिकारियों को समय पर व सटीक प्रतिक्रिया देनी चाहिए, न कि सूचीबद्ध फर्म को।

जब अफवाह से कोई अहम असर नहीं पड़ रहा तो कंपनी शायद इसकी पु​ष्टि नहीं कर सकती है, इनकार कर सकती है या स्पष्टीकरण दे सकती है। ऐसे मामलों में इनसाइडर ट्रेडिंग को रोकने के मामले में सेबी ने कहा, मीडिया की ऐसी रिपोर्ट का इस्तेमाल बाद में किसी आंतरिक व्यक्ति की तरफ से इसका बचाव करने के लिए नहीं होना चाहिए कि सूचना सामान्य तौर पर उपलब्ध थी।

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अफवाह की पुष्टि की स्थिति में सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों की तरफ से तरजीही इश्यू, सौदे, डीलिस्टिंग, पुनर्खरीद और ऐसे कुछ निश्चित फैसले के चलते कीमत की चाल पर पड़ने वाले असर को लेकर स्पष्टता लाने की कोशिश की है।

बाजार नियामक ने 18 जनवरी, 2024 तक इन प्रस्तावों पर प्रतिक्रिया मांगी है। इससे पहले सेबी ने 100 अग्रणी फर्मों के लिए अफवाह सत्यापन के नियमों के क्रियान्वयन की तारीख आगे बढ़ाकर 1 फरवरी, 2024 कर दी थी।

उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा कि नियामक को इसके क्रियान्वयन की तारीख आगे बढ़ानी पड़ सकती है, अगर सेबी का बोर्ड इन प्रस्तावों को मंजूर नहीं करता।

First Published - December 28, 2023 | 10:04 PM IST

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