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ब्लॉक डील की मौजूदा व्यवस्था में नए सुधारों पर विचार कर रहा है सेबी

सेबी छोटे सौदों को रेग्युलर कैश प्लेटफॉर्म की ओर मोड़ने के लिए न्यूनतम ब्लॉक डील आकार को मौजूदा 10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 25 करोड़ रुपये करने की सोच रहा है।

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- August 20, 2025 | 11:04 PM IST

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ब्लॉक डील की मौजूदा व्यवस्था में नए सुधारों पर विचार कर रहा है। इस घटनाक्रम के जानकार लोगों का कहना है कि प्रमुख प्रस्तावों में सौदे का न्यूनतम आकार बढ़ाना और स्वीकार्य मूल्य दायरे का विस्तार करना शामिल है।

सूत्रों ने बताया कि सेबी छोटे सौदों को रेग्युलर कैश प्लेटफॉर्म की ओर मोड़ने के लिए न्यूनतम ब्लॉक डील आकार को मौजूदा 10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 25 करोड़ रुपये करने की सोच रहा है। मौजूदा सीमा वर्ष 2017 में तय की गई थी और तब सेबी ने इस ढांचे में बड़ा बदलाव किया था। एक और महत्त्वपूर्ण बदलाव ब्लॉक डील के लिए मूल्य दायरे को लेकर चर्चा है।

इस समय एक दिन पहले के अंतिम भाव के ऊपर-नीचे 1 प्रतिशत के दायरे के भीतर सौदे किए जा सकते हैं। समझा जाता है कि सेबी बिना डेरिवेटिव वाले शेयरों के लिए 3 प्रतिशत तक के दायरे की अनुमति पर विचार कर रहा है जबकि वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) खंड के शेयरों के लिए इस दायरे को 1 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा जा सकता है ताकि बाजार में हेरफेर के जोखिम को नियंत्रित रखा जा सके।

सूत्रों ने बताया कि एसएमई प्लेटफॉर्म पर सूचीबद्ध शेयरों के लिए भी एक अलग व्यवस्था की संभावना तलाशी जा रही है। नियामक, स्टॉक एक्सचेंजों और अन्य बाजार कारोबारियों के बीच हाल में हुई बैठक में इन प्रस्तावों पर विचार-विमर्श किया गया।  

सेबी ने पहले ब्लॉक डील फ्रेमवर्क की समीक्षा के लिए कार्य समूह का गठन किया था। सेबी को इस बारे में भेजे गए सवालों का जवाब नहीं मिला है। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि ब्लॉक डील का आकार बढ़ाना अच्छा कदम है क्योंकि 10 करोड़ रुपये का सौदा एक्सचेंज की सामान्य सुविधा से आसानी से किया जा सकता है।

इंडसलॉ के पार्टनर कौशिक मुखर्जी ने कहा, ‘एक दिन पहले के बंद भाव से एक प्रतिशत ऊपर/नीचे का कीमत दायरा काफी सीमित था। इससे बाजार मूल्य पर ब्लॉक डिस्काउंट और प्रीमियम दोनों में बाधा आती थी। अब तीन प्रतिशत की सीमा खरीदारों और विक्रेताओं को ब्लॉक में शेयर खरीदने की कीमत तय करने में थोड़ी अधिक स्वायत्तता मुहैया कराती है।’

उन्होंने कहा कि एफएंडओ खंड में शेयरों के लिए सीमा जारी रखना एक सोची-समझी पहल है। इसका उद्देश्य ब्लॉक डील से जुड़े सौदों के माध्यम से कृत्रिम मांग पैदा करके बाजारों में हेरफेर को रोकना है, ताकि एफएंडओ सेगमेंट में उसी शेयर पर सीधे दांव लगाकर या उस शेयर वाले सूचकांकों पर एफएंडओ दांव लगाकर पैसा कमाने को रोका जा सके।

प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा कि सीमा की समय-समय पर समीक्षा की जानी चाहिए, ‘खासकर, हर पांच साल में, ताकि वे बाजार की वृद्धि के अनुरूप बनी रहें।’ उन्होंने यह भी कहा कि ब्लॉक डील की सुविधा ने विदेशी निवेशकों को आसानी से निकासी की सुविधा देकर उन्हें राहत मुहैया कराई है।

आंकड़े बताते हैं कि ब्लॉक डील बड़े संस्थागत सौदों का एक प्रमुख जरिया बनी हुई हैं। कैलेंडर वर्ष 2025 में अब तक ब्लॉक डील के कुल लेनदेन लगभग 1.32 लाख करोड़ रुपये के रहे हैं जिनमें जून में सबसे ज्यादा 77,000 करोड़ रुपये के सौदे हुए। अगस्त में 4,300 करोड़ रुपये की डील हुईं।

किंग स्टब ऐंड कासिव, एडवोकेट्स एंड अटॉर्नीज मेंपार्टनर विवेक बोरे ने आगाह किया कि प्रस्तावित ढांचा पारदर्शिता और मूल्य निर्धारण में मदद तो कर सकता है लेकिन यह मध्यम आकार के निवेशकों के लिए विकल्प कम कर सकता है। 

First Published : August 20, 2025 | 10:58 PM IST