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सेबी चीफ और टॉप अफसरों को अपनी संपत्ति और कर्ज का सार्वजनिक खुलासा करना चाहिए, समिति ने दिया सुझाव

यह कदम सेबी की पूर्व प्रमुख माधबी पुरी बुच के खिलाफ लगे आरोपों के मद्देनजर उठाया गया। उन पर हितों के टकराव के कारण अदाणी ग्रुप के खिलाफ जांच रोकने का आरोप लगाया गया था

Last Updated- November 12, 2025 | 7:10 PM IST
SEBI Chairman Tuhin Kanta Pandey

सेबी चेयरमैन और टॉप अफसरों को पारदर्शिता एवं जवाबदेही बढ़ाने के लिए अपनी संपत्तियों व देनदारियों का सार्वजनिक खुलासा करना चाहिए। एक उच्चस्तरीय समिति ने सुझाव दिया है। पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त प्रत्यूष सिन्हा की अध्यक्षता वाली समिति ने यह भी सुझाव दिया कि सभी सेबी बोर्ड सदस्यों तथा कर्मचारियों को परिसंपत्तियों, देनदारियों, व्यापारिक गतिविधियों व पारिवारिक संबंधों के साथ-साथ अन्य व्यावसायिक एवं संबंधपरक हितों का प्रारंभिक, वार्षिक और कुछ भी बदलाव होने पर व उससे अलग होने संबंधी खुलासा करना चाहिए।

समिति ने सेबी चीफ पांडेय को सौंपी रिपोर्ट

यह खुलासा प्रस्तावित सेबी के नैतिकता एवं अनुपालन कार्यालय (ओईसी) तथा नैतिकता एवं अनुपालन निरीक्षण समिति (ओसीईसी) के समक्ष किया जाना चाहिए। सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय को 10 नवंबर को सौंपी गई रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि चेयरमैन व सदस्यों के पद तथा ‘लैटरल एंट्री’ पदों (उच्च पद पर सीधी भर्ती) के लिए आवेदकों को नियुक्ति प्राधिकारी के समक्ष वित्तीय व गैर-वित्तीय प्रकृति के वास्तविक, संभावित तथा कथित हितों के टकराव के जोखिमों का खुलासा करना होगा।

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अंशकालिक सदस्यों को मिल सकती है छूट

समिति की रिपोर्ट में, ‘‘चेयरमैन, डब्ल्यूटीएम (पूर्णकालिक सदस्य) और सीजीएम (मुख्य महाप्रबंधक) तथा उससे ऊपर के स्तर के सेबी कर्मचारियों को अपनी परिसंपत्तियों व देनदारियों का सार्वजनिक विवरण देने’’ का सुझाव दिया गया। इसमें कहा गया कि सेबी बोर्ड के अंशकालिक सदस्यों को इससे छूट दी जा सकती है क्योंकि वे सेबी की दिन-प्रतिदिन की नियामक गतिविधियों को नहीं संभालते हैं।

सेबी बोर्ड के अंशकालिक सदस्य कॉरपोरेट मामलों व वित्त मंत्रालयों के सचिव हैं। वर्तमान में, चेयरमैन पांडेय के नेतृत्व में सेबी बोर्ड में दो पूर्णकालिक सदस्य और दो अंशकालिक सदस्य हैं।

हितों के टकराव पर लगाम कसने की तैयारी

सेबी बोर्ड ने हितों के टकराव और सेबी सदस्यों एवं अधिकारियों द्वारा संपत्ति, निवेश, देनदारियों तथा अन्य संबंधित मामलों के खुलासे से संबंधित मौजूदा प्रावधानों की व्यापक समीक्षा करने के लिए समिति गठित करने का मार्च में निर्णय लिया था। यह कदम सेबी की पूर्व प्रमुख माधबी पुरी बुच के खिलाफ लगे आरोपों के मद्देनजर उठाया गया। उन पर हितों के टकराव के कारण अदाणी ग्रुप के खिलाफ जांच रोकने का आरोप लगाया गया था। हालांकि, बुच और अदाणी ग्रुप दोनों ने इस आरोपों का खंडन किया है।

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समिति में कौन-कौन शामिल?

समिति के कार्य में.. हितों के टकराव को नियंत्रित करने वाली वर्तमान नीतियों व रूपरेखाओं की समीक्षा करना, किसी भी कमी या अस्पष्टता की पहचान करना तथा जनता के लिए हितों के टकराव व प्रकटीकरण से संबंधित चिंताओं को उठाने के लिए एक तंत्र (जिसमें शिकायतों का निपटान करने की प्रक्रिया शामिल हो) का सुझाव देना है। उच्चस्तरीय समिति में इंजेती श्रीनिवास वाइस चेयरमैन, उदय कोटक, जी महालिंगम, सरित जाफा और आर नारायणस्वामी सदस्य हैं।

(PTI इनपुट के साथ)

First Published - November 12, 2025 | 6:59 PM IST

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