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नियामक ने एआईएफ प्रो-रेटा डिस्ट्रीब्यूशन के लिए तय किए मानक

बाजार नियामक ने एआईएफ के एक उद्योग निकाय को विशिष्ट अंतर संबंधित अधिकारों की एक सूची तैयार करने का भी निर्देश दिया है।

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- December 14, 2024 | 9:25 AM IST

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने शुक्रवार को वैकल्पिक निवेश फंडों (एआईएफ) के लिए आनुपातिक वितरण अधिदेश से ‘एक्सक्लूजंस’ को स्पष्ट किया। यह अधिदेश सुनिश्चित करता है कि एआईएफ योजना में निवेशकों की प्रतिबद्धताओं के अनुपात में लाभ वितरित किए जाएं।

निवेशकों को योजना में अपनी प्रतिबद्धताओं के अनुपात (प्रो-रेटा) में अधिकार एवं आय वितरण के लिए सेबी ने नवंबर में एआईएफ नियमों में बदलावों को अधिसूचित किया था। शुक्रवार को जारी एक सर्कुलर में सेबी ने कहा कि अगर किसी निवेशक को संबंधित निवेश में भाग लेने से छूट दे दी गई हो या बाहर रखा गया हो या निवेशक ने अंशदान देने में चूक की हो तो अधिदेश लागू नहीं होगा।

लिमिटेड पार्टीज (एलपी) या निवेशक, किसी कानूनी सलाहकार की राय के आधार पर यह पुष्टि करते हुए स्वयं को कुछ सौदों से बाहर कर सकते हैं कि उनकी भागीदारी किसी कानून या विनियमन का उल्लंघन होगी। कुछ एलपी ऐसे हैं जो आंतरिक प्रतिबंधों के कारण शराब से संबंधित कंपनियों, गेमिंग कंपनियों और कभी-कभी एनबीएफसी में भी निवेश की अनुमति नहीं देते हैं।

इसके अलावा, सेबी ने फंड के प्रबंधकों या प्रायोजकों, डेवलपमेंट फाइनैंशियल इंस्टीट्यूशंस, या सरकारी स्वामित्व वाली संस्थाओं को निवेश में उनके आनुपातिक अधिकारों से कम रिटर्न स्वीकार करने या अधिक नुकसान साझा करने की अनुमति भी दी है।

बाजार नियामक ने एआईएफ के एक उद्योग निकाय को विशिष्ट अंतर संबंधित अधिकारों की एक सूची तैयार करने का भी निर्देश दिया है, जो सेबी द्वारा निर्धारित सिद्धांतों के आधार पर एआईएफ द्वारा पेश किए जा सकते हैं।

First Published : December 14, 2024 | 9:23 AM IST