भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने निवेशकों के लिए क्रेडिट एक्सेस बढ़ाने के लिए शेयरों पर लोन की सीमा बढ़ा दी है। 1 अक्टूबर 2025 से, अब व्यक्ति अपनी लिस्टेड शेयरों को गिरवी रखकर ₹1 करोड़ तक का लोन ले सकते हैं, जबकि पहले यह सीमा ₹20 लाख थी। इसी तरह, IPO फाइनेंसिंग की सीमा भी ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹25 लाख कर दी गई है। यह घोषणा RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद की।
शेयरों पर लोन का मतलब है कि जब आपको पैसों की जरूरत हो लेकिन आप अपने शेयर नहीं बेचना चाहते, तो आप उन्हें बैंक या ब्रोकरेज हाउस में गिरवी रख सकते हैं। इसके बदले आपको लोन मिलता है, जो आम पर्सनल लोन की तुलना में कम ब्याज दर पर होता है। उदाहरण के लिए, अगर आपके पास ₹50 लाख के शेयर हैं, तो पहले आप केवल ₹20 लाख तक लोन ले सकते थे, लेकिन अब बैंक की मार्जिन नियमों के अनुसार आप ₹1 करोड़ तक उधार ले सकते हैं। इससे आप अपनी संपत्ति बेचे बिना खर्चों को पूरा कर सकते हैं या नए निवेश कर सकते हैं।
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, “पहले शेयरों पर बैंक लोन की सीमा ₹20 लाख थी, और IPO फाइनेंसिंग की सीमा ₹10 लाख थी। अब यह प्रस्ताव है कि शेयरों पर लोन की सीमा बढ़ाकर ₹1 करोड़ और IPO फाइनेंसिंग की सीमा बढ़ाकर ₹25 लाख की जाए। साथ ही लिस्टेड डेट सिक्योरिटीज़ पर लोन लेने की अधिकतम सीमा हटा दी जाए।”
इस बदलाव से निवेशकों को अपनी संपत्ति बेचे बिना बड़ी राशि का लोन लेने की सुविधा मिलेगी। यह शिक्षा, मेडिकल खर्च या व्यवसाय के लिए तत्काल पैसों की जरूरत में मदद करेगा। साथ ही, IPO में भी भागीदारी आसान हो जाएगी। अब निवेशक अपने पोर्टफोलियो का उपयोग करके ₹25 लाख तक का लोन लेकर नए शेयर इश्यू में आवेदन कर सकते हैं, बिना अपने पूरे नकद का इस्तेमाल किए।
IPO फाइनेंसिंग का मतलब है कि निवेशक नए शेयर इश्यू में आवेदन करने के लिए लोन लेते हैं। पुरानी लिमिट ₹10 लाख थी, जिसे अब बढ़ाकर ₹25 लाख कर दिया गया है। इसका मतलब है कि अब निवेशक बड़े IPO अलॉटमेंट के लिए उधार का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन यदि IPO में शेयर नहीं मिलते या स्टॉक का प्रदर्शन खराब रहता है, तो लोन ब्याज सहित चुकाना होगा।
RBI ने कॉरपोरेट बॉन्ड, सरकारी सिक्योरिटीज और डिबेंचर जैसी लिस्टेड डेट सिक्योरिटीज पर लोन की रोक को भी हटा दिया है। अब निवेशक इन संपत्तियों को गिरवी रखकर लोन ले सकते हैं और अधिक लचीला फंड एक्सेस कर सकते हैं।
हालांकि शेयरों पर लोन आम पर्सनल लोन की तुलना में सस्ता होता है, लेकिन इसमें जोखिम भी हैं। अगर गिरवी रखे शेयर की कीमत गिरती है, तो बैंक अधिक गिरवी मांग सकता है या कुछ शेयर बेच सकता है। लंबी अवधि में ब्याज और शुल्क भी बढ़ सकते हैं।
निवेशक अपने बैंक या ब्रोकरेज से पता करें कि नए लोन लिमिट्स उपलब्ध हैं या नहीं। लोन लेने से पहले ब्याज दर और नियम अच्छे से समझें और अलग-अलग विकल्पों की तुलना करें। उधार लिए पैसे का इस्तेमाल सोच-समझकर करें। इसे सिर्फ जरूरी खर्च या ऐसे निवेश में लगाएं, जिससे अच्छे लाभ मिलने की संभावना हो, सिर्फ जोखिम या अटकलों के लिए न लगाएं। अपनी गिरवी रखी संपत्ति और लोन के अनुपात पर ध्यान रखें और अगर बैंक अतिरिक्त गिरवी मांगे तो उसके लिए तैयार रहें। अगर आप IPO में निवेश करते हैं, तो यह आपके लिए मौका है कि आप बिना अपना पूरा पैसा खर्च किए, अच्छे रिटर्न देने वाले IPO में शेयर खरीद सकते हैं।