कुछ समय से धातु कंपनियों के शेयरों की चमक बनी हुई है। धातु कंपनियों के प्रदर्शन का पैमाना समझे जाने वाला निफ्टी मेटल इंडेक्स पिछले 6 महीने में 40 प्रतिशत से ज्यादा चढ़ा है, जबकि निफ्टी-50 सूचकांक में इस अवधि में 15.6 प्रतिशत की तेजी आई।
इस क्षेत्र में कुछ खास शेयरों की बात करें तो हिंदुस्तान कॉपर 155.4 प्रतिशत चढ़ा जबकि जिंदल स्टील ऐंड पावर, हिंदुस्तान जिंक, एनएमडीसी, वेदांत, सेल और नालको के शेयरों में इस दौरान 50 से 93 प्रतिशत के बीच तेजी दर्ज की गई।
कैलेंडर वर्ष 2024 में मेटल इंडेक्स अब तक 16 प्रतिशत मजबूत हुआ है जबकि निफ्टी-50 में इस अवधि में 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सभी श्रेणियों में कीमत वृद्धि की सीमित गुंजाइश को देखते हुए विश्लेषकों ने निवेशकों को गिरावट पर अच्छे धातु शेयरों पर दांव लगाने का सुझाव दिया है।
उनका कहना है कि बुनियादी स्तर पर शेयर कीमतों में तेजी काफी हद तक वैश्विक बाजारों में चुनौतीपूर्ण आपूर्ति के साथ साथ खासकर चीन में मांग सुधार की उम्मीदों के कारण आई है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में शोध प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, ‘कैलेंडर वर्ष 2024 की पहली तिमाही में चीन की जीडीपी 5.3 प्रतिशत बढ़ी, जो पिछले तीन महीनों से थोड़ी अधिक और अनुमानों से ज्यादा है। इसके अलावा चीन की विनिर्माण क्षमता अप्रैल में पिछले 14 महीने में सर्वाधिक तेजी से बढ़ी जिसकी वजह नए निर्यात ऑर्डरों में तेजी आना रहा।’
उनका कहना है कि अमेरिका, जर्मनी और ब्रिटेन में विनिर्माण गतिविधियां सुधरने से वैश्विक रूप से धातुओं की मांग में सुधार आ रहा है। इस बीच, कमजोर उत्पादन, लाल सागर संकट और लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) में रूसी धातुओं पर प्रतिबंध की वजह से आपूर्ति चुनौतीपूर्ण बनी हुई है।
मजबूत घरेलू मांग
विश्लेषकों के अनुसार रियल एस्टेट क्षेत्र में मजबूती आने, सरकार की इन्फ्रास्ट्रक्चर पहल और रक्षा क्षेत्र पर खर्च बढ़ने से घरेलू धातु बाजार में भी मांग बढ़ रही है। रेटिंग एजेंसी आईसीआरए के अनुसार, घरेलू मांग में वृद्धि वित्त वर्ष 2025 में 10 प्रतिशत बनी रहने का अनुमान है जो वैश्विक मांग में 2 प्रतिशत की संभावित वृद्धि से काफी ज्यादा है।
सभी श्रेणियों में धातु कीमतें महीने की कई महीनों की ऊंचाई पर पहुंच गई हैं। मांग में सुधार से कीमतों में तेजी आई है। उदाहरण के लिए, एलएमई कॉपर का भाव अप्रैल 2022 के बाद पहली बार 10,000 डॉलर प्रति टन के पार पहुंच गया है।
दूसरी तरफ, एल्युमीनियम की कीमतें एलएमई पर 2,400-2,500 डॉलर प्रति टन के दायरे में हैं। अप्रैल में ये कीमतें 2,725 डॉलर के 20 महीने ऊंचे स्तर पर पहुंच गई थीं।
इसके विपरीत इस्पात कीमतों में गिरावट आई है। चीन की घरेलू हॉट-रॉल्ड कॉइल (एचआरसी) कीमत अप्रैल के अंत में प्रति टन 582 डॉलर के आसपास थी जो अक्टूबर 2023 के बाद से सबसे कम है। इस बीच भारत की एचआरसी कीमतें अप्रैल के आखिर में 53,400 रुपये प्रति टन रहीं।
धातु बाजार का परिदृश्य
विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिकी डॉलर में मजबूती के साथ-साथ अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती में देरी से मुख्य धातुओं की मौजूदा तेजी थम सकती है। आनंद राठी इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज में धातु एवं खनन मामलों के मुख्य विश्लेषक पार्थिव झोंसा ने कहा, ‘एलएमई पर रूसी धातुओं पर प्रतिबंध का प्रभाव एल्युमीनियम की कीमतों में दिखा है।
भले ही कीमतें कैलेंडर वर्ष 2023 के स्तर तक नहीं गिर सकती हैं, लेकिन हमारा मानना है कि कीमतें 2,600-2,650 डॉलर से ऊपर टिकी नहीं रह सकती हैं। इसी तरह लौह अयस्क कीमतें सीमित दायरे में रहने का अनुमान है।’
झोंसा ने निवेशकों को घरेलू कंपनियों के मजबूत शेयरों का चयन करने का सुझाव दिया है। उन्होंने जेएसपीएल, कोल इंडिया, हिंडाल्को और जेएसडब्ल्यू स्टील पर ‘खरीदें’ रेटिंग दी है।