म्युचुअल फंड

टिके रहे फ्लेक्सिबल व मल्टी ऐसेट फंड

वैल्यू रिसर्च के आंकड़ों से पता चलता है कि एडलवाइस और व्हाइटओक मल्टी ऐसेट एलोकेशन फंडों की नियमित योजनाओं ने पिछले साल के दौरान लगभग 7.5 फीसदी का एसआईपी रिटर्न दिया है

Published by
अभिषेक कुमार   
Last Updated- March 04, 2025 | 10:17 PM IST

मल्टी ऐसेट एलोकेशन फंड श्रेणी में अलग तरीका अपनाने वाले फंड हाउस बाजार में जारी गिरावट के दौरान मुनाफा कमा रहे हैं। एक ओर जहां पिछले दो साल में पेश मल्टी ऐसेट एलोकेशन फंडों ने इक्विटी में भारी निवेश की रणनीति अपनाई, वहीं चुनिंदा फंड हाउस मसलन व्हाइटओक कैपिटल, एडलवाइस, डीएसपी, क्वांटम और महिंद्रा मनुलाइफ ने ज्यादा लचीले, डेट में निवेश की रणनीति को जगह दी। साल 2020 में पेश निप्पॉन इंडिया मल्टी ऐसेट एलोकेशन फंड भी अपने यूनिक फंड स्ट्रक्चर के चलते टिका रहा।

ये योजनाएं पिछले साल के दौरान सकारात्मक रिटर्न देने वाली श्रेणी की कुछ योजनाओं में शामिल हैं, चाहे वह सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) हो या एकमुश्त निवेश। इसके अलावा फ्रैंकलिन इंडिया, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल और मोतीलाल ओसवाल जैसे कुछ फंड-ऑफ-फंड्स (एफओएफ) मल्टी-ऐसेट सॉल्यूशन भी इस दौरान अग्रणी प्रदर्शन करने वालों के रूप में उभरे हैं।

वैल्यू रिसर्च के आंकड़ों से पता चलता है कि एडलवाइस और व्हाइटओक मल्टी ऐसेट एलोकेशन फंडों की नियमित योजनाओं ने पिछले साल के दौरान लगभग 7.5 फीसदी का एसआईपी रिटर्न दिया है जो कि श्रेणी के औसत रिटर्न -5.8 फीसदी से काफी बेहतर है। हालांकि यह ध्यान देने वाली बात है कि इनमें से कई योजनाएं अपेक्षाकृत नई हैं और इनका दीर्घकालिक ट्रैक रिकॉर्ड नहीं है। विशेषज्ञ इस बात पर जोर देते हैं कि मल्टी ऐसेट एलोकेशन फंडों का चयन निवेशक की जोखिम क्षमता और वित्तीय लक्ष्यों के अनुरूप होना चाहिए, न कि केवल हालिया प्रदर्शन के आधार पर।

प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के संस्थापक और सीईओ विशाल धवन ने कहा, मल्टी ऐसेट श्रेणी में अलग-अलग निवेशकों की जरूरतों के हिसाब से कई तरह की योजनाएं दी जाती हैं। जो लोग ज्यादा जोखिम उठाने की क्षमता रखते हैं और लंबे समय तक निवेश करना चाहते हैं, वे इक्विटी-ओरिएंटेड योजनाओं को प्राथमिकता दे सकते हैं, जबकि कम समयसीमा वाले रूढ़िवादी निवेशक डेट-हैवी फंड का विकल्प चुन सकते हैं।

जहां एडलवाइस और क्वांटम अपने मल्टी ऐसेट एलोकेशन फंड को डेट ओरिएंटेड फंड के रूप में संचालित करते हैं, वहीं व्हाइटओक, डीएसपी, निप्पॉन और महिंद्रा मनुलाइफ को मल्टी ऐसेट एलोकेशन फंड में सबसे सटीक माना जाता है, जो इक्विटी, ऋण और जिंसों में आवंटन के लिए अधिक लचीलापन मुहैया कराते हैं। मल्टी ऐसेट एलोकेशन फंड हाइब्रिड योजनाएं हैं, जो फंड मैनेजरों को बाजार की स्थितियों के आधार पर परिसंपत्ति वर्गों में आवंटन करने की अनुमति देते हैं। हालांकि यह आवंटन फंड के कर ढांचे (इक्विटी या हाइब्रिड) से प्रभावित होता है। इक्विटी कराधान के लिए न्यूनतम 65 फीसदी सकल इक्विटी आवंटन की आवश्यकता होती है जबकि हाइब्रिड योजनाओं को कम से कम 35 फीसदी इक्विटी में रखना होता है। दोनों संरचनाएं दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ के कराधान की पात्र हैं लेकिन होल्डिंग अवधि अलग-अलग है : इक्विटी योजनाओं के लिए एक वर्ष और हाइब्रिड योजनाओं के लिए दो वर्ष।

फंड मैनेजरों और विशेषज्ञों ने बताया कि ज्यादा लचीलेपन वाले मल्टी ऐसेट एलोकेशन फंडों ने हाल के महीनों में बढ़त हासिल की है क्योंकि वे अपने कोष का बड़ा हिस्सा सोने, चांदी और ऋण प्रतिभूतियों में लगाने में सक्षम रहे हैं। व्हाइटओक कैपिटल एएमसी के सीआईओ रमेश मंत्री ने कहा, हमारा फंड एकदम सटीक है। पिछले एक साल में समय पर ऐसेट एलोकेशन, मजबूत इक्विटी पोर्टफोलियो प्रदर्शन और सोने में अधिक निवेश ने रिटर्न में इजाफा किया है। इसके अलावा, रीट्स, इनविट्स और आर्बिट्रेज रणनीतियों में निवेश ने फंड की कामयाबी बढ़ाई है।

डीएसपी एमएफ ने सोने और विदेशी इक्विटी में आवंटन को फंड के अच्छे प्रदर्शन की वजह बताया है। डीएसपी फंड में क्वांटिटेटिव इन्वेस्टमेंट्स और एनालिटिक्स की प्रमुख अपर्णा कार्णिक ने कहा, हमारे फंड की संरचना बहुमूल्य धातुओं और विदेशी इक्विटी में निवेश के लिए अधिक लचीलापन देती है। इस कारण हाल के महीनों में नकारात्मक जोखिमों को सीमित करने में मदद मिली है क्योंकि लगभग 15 फीसदी कोष इन परिसंपत्ति वर्गों को आवंटित किया गया है। इसके उलट, इक्विटी ओरिएंटेड मल्टी ऐसेट एलोकेशन फंड 65 फीसदी सकल इक्विटी आवंटन की अनिवार्यता से बंधे हुए हैं।

First Published : March 4, 2025 | 10:15 PM IST