देश के शेयर बाजार में घरेलू संस्थागत निवेशक (DIIs), खासकर म्युचुअल फंड्स, रिकॉर्ड स्तर पर निवेश कर रहे हैं। पिछले 12 महीनों यानी हाल के 250 ट्रेडिंग सेशन्स में DIIs ने घरेलू शेयरों में कुल 7.1 लाख करोड़ रुपये लगाये हैं, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इसमें से लगभग तीन-चौथाई यानी 5.3 लाख करोड़ रुपये म्युचुअल फंड्स ने निवेश किया।
इस निवेश में तेजी का मुख्य कारण सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान्स (SIPs) की लोकप्रियता है। इक्विटी म्युचुअल फंड्स में SIP के जरिए घरेलू निवेशक लगातार बचत का एक हिस्सा शेयर बाजार में लगा रहे हैं। इस वजह से DIIs विदेशी निवेशकों (FPIs) की बिक्री से पैदा होने वाली उतार-चढ़ाव को संतुलित करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
जुलाई से FPIs ने भारतीय शेयरों से 40,000 करोड़ रुपये से ज्यादा निकाल लिए हैं। लेकिन DIIs के मजबूत निवेश ने इस भारी बिक्री के प्रभाव को कम कर दिया है। ICICI Securities के अनुसार, DIIs की यह ‘काउंटर-बायिंग’ पिछले किसी भी विदेशी बिक्री के मुकाबले बहुत बड़ी रही है। ICICI के इक्विटी रणनीतिकार विनोद कार्की के अनुसार, “DIIs द्वारा FPI बिक्री के खिलाफ की गई खरीदारी किसी भी पहले की घटना से कहीं ज्यादा है, चाहे वह 2008 का ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस हो या 2022 में ब्याज दर बढ़ने की वजह से हुई बिक्री।”
हालांकि घरेलू निवेशकों का समर्थन मजबूत है, लगातार FPI निकासी ने बाजार पर दबाव डाला है। पिछले 12 महीनों में लार्ज, मिड और स्मॉल-कैप इंडेक्स में लगभग फ्लैट या नकारात्मक रिटर्न रहे।
दिलचस्प बात यह है कि जुलाई में FPI बिक्री से पहले, जून तिमाही (Q1 FY26) में DIIs और FPIs दोनों नेट खरीदार थे। ICICI Securities के अनुसार, ये खरीदारी प्रमोशंस, व्यक्तिगत निवेशकों (सिर्फ स्मॉल-कैप को छोड़कर) और कुछ विदेशी डायरेक्ट निवेशकों की बिक्री से लगभग संतुलित हो गई थी।