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बाजार को उम्मीद, फेड 2023 में 50 आधार अंक घटाएगा ब्याज दर

Last Updated- December 11, 2022 | 5:01 PM IST

जेफरीज के इक्विटी र​णनीतिकार क्रिस्टोफर वुड ने ग्रीड ऐंड फियर में निवेशकों को लिखे नोट में कहा है कि बाजार यह मानकर चल रहा है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व साल 2023 में ब्याज दरों में 50 आधार अंकों की कटौती करेगा। बाजारों के लिए अल्पावधि में यही मसला बना रहेगा कि क्या फेडरल रिजर्व महंगाई को 2 फीसदी के नीचे लाने की कोशिश वास्तव में करता है या इस बीच वह 2 फीसदी के लक्ष्य के लिए और लचीले रुख का संकेत देता है।
वुड ने कहा, बाजार अब अगले साल 50 आधार अंकों की कटौती मानकर चल रहा है जब फेडरल फंड की दर फरवरी की शुरुआत में 3.25 से 3.5 फीसदी के उच्चस्तर पर पहुंच गई या मौजूदा स्तर से 100 आधार अंक ऊपर। ग्रीड ऐंड फियर का मानना है कि बाजार खुद ही आगे निकल गए हैं जबकि फेड गवर्नरों ने हाल के दिनों में बातचीत शुरू की है, जिसके जरिये कोशिश हो रही है कि पॉवेल की तरफ से  सृजित किए गए जरूरत से ज्यादा नरम रुख को सही किया जाए।
फेड ने जुलाई की बैठक में फेडरल फंडों की दर 75 आधार अंक बढ़ाकर 2.25-2.50 फीसदी के दायरे में ला दिया। एफओएमसी के बयान ने आर्थिक स्थिति  को लेकर अपने  आकलन को डाउनग्रेड कर दिया और स्वीकार किया  कि खर्च  व उत्पादन के हालिया संकेतक नरम हो गए हैं, वहीं उन्होंने दोहराया कि हाल के महीनों में नौकरी की स्थिति मजबूत रही है  और बेरोजगारी की दर निचले स्तर पर बनी हुई है। विश्लेषकों  ने कहा, अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने अपनी सितंबर समीक्षा बैठक के लिए ब्याज दरों में 25, 50, 75 या 100 आधार अंकों की बढ़ोतरी की  संभावना खुली रखी है।
राबोबैंक इंटरनैशनल के वरिष्ठ अमेरिकी रणनीतिकार फिलिप मारे ने हालिया नोट में लिखा है, जब तक महंगाई 2 फीसदी के नीचे नहीं आती, ब्याज दरें नीचे  घटाकर शून्य पर ले  जाने  का कोई विकल्प नहीं है। अभी एफओएमसी के लिए महंगाई  को 2 फीसदी से नीचे लाना अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए  रखने के मुकाबले ज्यादा अहम है। मंदी की आशंका महंगाई  को नीचे लाने के फेड के मिशन के लिए मूल रूप से कोलेटरल डैमेज की तरह है।इस बीच, शेयर बाजारों में  पिछले एक महीने में तेजी रही है। एसऐंडपी 500, डाउ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज और तकनीकी  दिग्गज नैसडेक में पिछले एक महीने में क्रमश: 6.4 फीसदी, 4.3 फीसदी और 9.9  फीसदी की तेजी आई है।  
भारतीय बाजारों का मूल्यांकन हालांकि कुछ नीचे आया है, लेकिन मोतीलाल ओसवाल सिक्योरटीज का मानना है कि भारत अभी भी वैश्विक समकक्षों के मुकाबले प्रीमियम पर ट्रेड कर रहा है। उनका मानना है कि ऐसे में तात्कालिक लिहाज से बढ़त की सीमित संभावना है।

First Published - August 6, 2022 | 2:00 AM IST

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