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चार महीने के सबसे ऊंचे स्तर पर बाजार

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 4:47 PM IST

घरेलू बाजार करीब चार महीने के अपने सबसे स्तरों को छू गए हैं। इस तेजी को विदेशी निवेशकों के धन की आवक बढ़ने और जिंसों की कीमतों में गिरावट से सहारा मिल रहा है। सेंसेक्स आज 465 अंक या 0.8 फीसदी उछलकर 58,853 पर बंद हुआ, जो उसका 11 अप्रैल के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है। निफ्टी 127 अंक या 0.7 फीसदी चढ़कर सत्र के अंत में 17,525 पर बंद हुआ।
पिछले 17 कारोबारी सत्रों के दौरान बेंचमार्क सेंसेक्स और निफ्टी केवल तीन सत्रों में गिरावट के साथ बंद हुए हैं। इन तीनों गिरावट में भी हरेक एक फीसदी से कम रही है। महंगे मूल्यांकन को लेकर चिंताएं एक बार फिर उभरी हैं। लेकिन इसके बावजूद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की धनात्मक आवक की बदौलत जून के निचले स्तरों से जारी सुधार में केवल मामूली नरमी के संकेत नजर आए हैं। बेंचमार्क सूचकांक 17 जून को अपने 13 महीनों के सबसे निचले स्तरों से करीब 15 फीसदी चढ़ चुके हैं। इस अवधि में भारत विश्व का सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला बाजार है। इस मामले में दूसरे स्थान पर अमेरिका है।
एफपीआई ने आज 1450 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, जबकि घरेलू पोर्टफोलियो निवेशकों ने मामूली बिकवाली की। एफपीआई जुलाई से घरेलू शेयरों में 22,000 करोड़ रुपये (2.7 अरब डॉलर) निवेश कर चुके हैं।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट्ट ने कहा, ‘एफपीआई एक लंबे समय के बाद शुद्ध लिवाल बन गए हैं। तिमाही नतीजे भी उतने खराब नहीं रहे हैं। भारत के अनुमानित वृद्धि के आंकड़े अच्छे हैं। दर बढ़ोतरी से उभरते बाजारों में निवेश में कमी आ सकती है। उभरते बाजारों में भारत की तुलनात्मक स्थिति काफी बेहतर रहेगी। निवेशकों में यह धारणा है कि मंदी के मामले में भारत सबसे अलग रहेगा।’
वॉटरफील्ड एडवाइजर्स के मुख्य निवेश अधिकारी (सूचीबद्ध निवेश) कुणाल वालिया ने कहा, ‘इस महीने एफपीआई की आवक में सुधार आया है। यह बदलाव कुछ अनुमानों पर आधारित है, जो अभी मजबूत होने हैं। अमेरिका में महंगाई सर्वोच्च स्तर से पार निकल गई है और फेड के 2022 के बाद नरम मौद्रिक नीति अपनाने के आसार हैं। हम सुनिश्चित नहीं हैं कि महंगाई इस साल फेड के सहज स्तर तक गिर जाएगी और क्या अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी के रुझान व्यापक हैं। इसलिए भारत के संबंध में एफपीआई के रुख में मौजूदा सुधार अभी पुख्ता नहीं हुआ है। हालांकि हमारा मानना है कि भारत में एफपीआई की बिकवाली पीछे छूट चुकी है और हम पूरी तरह सुनिश्चितता के लिए एक तिमाही में वृद्धि-महंगाई के समीकरणों पर नजर रखेंगे।’
जिंसों, खास तौर पर तेल की कीमतों में गिरावट से महंगाई के फिक्र को दूर करने में मदद मिली है। इस समय ब्रेंट क्रूड के दाम 97.10 डॉलर प्रति बैरल हैं, जो जुलाई की शुरुआत के स्तरों से 20 फीसदी कम हैं। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से भारत को महंगाई के मोर्चे पर कुछ राहत मिलती है क्योंकि वह इसका शुद्ध आयातक है।

First Published : August 9, 2022 | 10:42 AM IST