Categories: बाजार

वैश्विक फंड: फायदा ज्यादा और घाटा कम

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 1:42 AM IST

वैसे भारतीय निवेशक जो अपने पोर्टफोलियो का वैश्विक तौर पर विशाखण करना चाहते हैं उनके लिए विकल्पों की कमी नहीं है।


वर्ष 1999 में म्युचुअल फंड को विदेशों में 5000 लाख डॉलर तक निवेश करने की अनुमति मिली थी। अब इस निवेश सीमा को बढ़ा कर सात अरब डॉलर कर दिया गया है। हालांकि, यह अलग बात है कि फंड हाउस विदेशी निवेश सीमा में हुई वृध्दि के प्रति अधिक दिलचसपी नहीं दिखा रहे हैं।

पहला भारतीय फंड, प्रिंसिपल ग्लोबल ऑपोर्चुनिटीज, जिसके तहत विदेशों में निवेश करने का प्रावधान था को मार्च 2004 में लॉन्च किया गया था। भारतीय म्युचुअल फंड कंपनियों को विदेश में निवेश करने की अनुमति प्रदान किए जाने के लगभग पांच साल बाद इस फंड को लॉन्च किया गया था। रुपये के मजबूत होते जाने के बावजूद विदेशों में निवेश को ले जाने वाला कोई नहीं था।

इसलिए परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) की धारणाओं में आए बदलाव को देख कर थोड़ी राहत मिलती है। वर्तमान में फंडों का कुल विदेशी निवेश लगभग 5,000 करोड़ रुपये का है। और इन फंडों के निवेशकों को निश्चित ही कोई शिकायत नहीं होगी क्योंकि इस विदेशी निवेश ने ही इक्विटी पर पड़े प्रतिकूल प्रभावों से उन्हें बहुत हद तक बचाया है।

ऐसे फंड अपनी परिसंपत्तियों का एक बड़ा हिस्सा (65 प्रतिशत से अधिक) वैश्विक रुप से निवेशित करते हैं। स्थानीय तौर पर निवेश करने वाले बराबरी के फंडों की तुलना में इनमें कम गिरावट देखी जाती है। मार्च 2008 में घरेलू फंडों की तुलना मेंअधिकांश फंडों में आई गिरावट लगभग 10 प्रतिशत की थी।

अंतरराष्ट्रीय फंडों का एक अय वर्ग भी है जो अपनी परिसंपत्तियों के बड़े हिस्से का निवेश घरेलू तौर पर (कम से कम 65 प्रतिशत) और शेष का निवेश (अधिकतम 35 प्रतिशत) विदेशों में करता है। इन फंडों में अंतरराष्ट्रीय तौर पर 65 प्रतिशत निवेश करने वाले फंडों की तुलना में गिरावट अधिक देखी जाती है।

मार्च 2008 की तिमाही में  फिडेलिटी इंटरनेशनल फंड में सबसे कम गिरावट (लगभग 18.73 प्रतिशत) देखी गई। लेकिन विदेशों में निवेश करने वाले सभी फंड एक जैसे नहीं हैं। प्रत्येक फंड के निवेश करने का अलग प्रावधान और रुझान है। रिलायंस नैचुरल रिसोर्सेज फंड अंतरराष्ट्रीय तौर पर निवेश करने वाले फंडों की श्रेणी में शामिल होने वाला नवीनतम फंड है, जिसके तहत 35 प्रतिशत तक अंतरराष्ट्रीय प्रतिभूतियों में निवेश करने का प्रावधान है।

First Published : May 26, 2008 | 12:32 AM IST