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एफपीआई, एलआईसी व खुदरा निवेश की कीमत रिकॉर्ड ऊंचाई पर

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 4:57 AM IST

मार्च 2021 में समाप्त तिमाही में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई), भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और खुदरा निवेशकों के निवेश की कीमत अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई। द्वितीयक बाजार में खरीदारी के दम पर यह देखने को मिला। बेंचमार्क सेंसेक्स और निफ्टी ने 15 फरवरी को अब की सर्वोच्च ऊंचाई को छू लिया। इसके बाद हालांकि तिमाही की बाकी अवधि में सूचकांक अपने सर्वोच्च्च स्तर से नीचे आए और व्यापक बाजार आगे चलता रहा। मार्च 2021 की तिमाही में भारत का बाजार पूंजीकरण 8.7 फीसदी चढ़कर 204 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया था।
एफपीआई के निवेश की वैल्यू दिसंबर 2020 के आखिर में रही 41.83 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 6.8 फीसदी की बढ़त के साथ मार्च तिमाही में 44.7 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई। इस अवधि में एलआईसी और खुदरा निवेश की कीमत क्रमश: 6.3 फीसदी व 7.4 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 7.24 लाख करोड़ रुपये व 13.63 लाख करोड़ रुपये रही। प्राइम डेटाबेस की तरफ से आंकड़ों के हुए विश्लेषण से यह जानकारी मिली। हालांकि फीसदी के लिहाज से एलआईसी और एफपीआई की शेयरधारिता में कुछ आधार अंकों की कमी आई, वहीं खुदरा निवेशकों की शेयरधारिता 6.9 फीसदी पर अपरिवर्तित रही।
कुल मिलाकर पिछली तिमाही में एनएसई में सूचीबद्ध 863 कंपनियों में खुदरा हिस्सेदारी बढ़ी। इस अवधि में इन कंपनियों के शेयरों में औसतन 5.52 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। दूसरी ओर 713 कंपनियों में खुदरा हिस्सेदारी में गिरावट दर्ज हुई। इन कंपनियों के शेयरों की औसत कीमत हालांकि 15.57 फीसदी बढ़ी।
प्राइम डेटाबेस समूह के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, यह अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले उस मुहावरे को सही करार देता है कि खुदरा निवेशक सर्वोच्च स्तर पर खरीदारी करते हैं और निचले स्तर पर बिकवाली करते हैं।
लगातार 24 तिमाहियों तक बढ़ोतरी दर्ज करने के बाद म्युचुअल फंडों की हिस्सेदारी लगातार चार तिमाहियों में घटी है। सूचीबद्ध कंपनियों में म्युचुअल फंडों की हिस्सेदारी मार्च 2014 के 2.81 फीसदी के मुकाबले बढ़कर मार्च 2020 में 7.96 फीसदी हो गई। तब से यह हालांकि घटकर 7.23 फीसदी रह गई है।
म्युचुअल फंडों की हिस्सेदारी मेंं गिरावट इक्विटी योजनाओं से निकासी की पृष्ठभूमि में हुई है।
कुल मिलाकर देसी संस्थागत निवेशकों (जिसमें देसी म्युचुअल फंड, बीमा कंपनियां व वित्तीय संस्थान शामिल होते हैं) की हिस्सेदारी 10 तिमाही के निचले स्तर 13.03 फीसदी पर आ गई। यह गिरावट म्युचुअल फंडोंं और बीमा कंपनियों की हिस्सेदारी में आई गिरावट के कारण देखने को मिली। मार्च तिमाही के दौरान देसी संस्थागत निवेशकों की तरफ से शुद्ध रूप से 23,124 करोड़ रुपये की निकासी हुई।

First Published : May 10, 2021 | 11:11 PM IST