लगभग 10 कंपनियां अब से लेकर अगले सप्ताह के अंत तक बाजार में अपने आईपीओ पेश करने जा रही हैं। इन आईपीओ द्वारा संयुक्त रूप से करीब 8,000 करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे। स्टेशनरी उतपाद निर्माता डोम्स इंडस्ट्रीज और आवास ऋण सुविधा प्रदान करने वाली इंडिया शेल्टर फाइनैंस के आईपीओ बुधवार को खुल गए हैं।
डोम्स को 6 गुना से ज्यादा और इंडिया शेल्टर को 1.5 गुना आवेदन मिले हैं। औद्योगिक गैस निर्माता आईनॉक्स सीवीए का आईपीओ शुक्रवार को खुलेगा। मुथूट माइक्रोफिन और सूरज एस्टेट डेवलपर्स समेत करीब आधा दर्जन आईपीओ अगले सप्ताह आएंगे।
ये कंपनियां आम चुनाव से पहले दिसंबर में आईपीओ के संबंध में अक्सर देखी जाने वाली सुस्ती एवं अनिश्चितता के चक्र को समाप्त कर देंगी। आईपीओ ट्रैकर प्राइम डेटाबेस के आंकड़े से पता चलता है कि वर्ष 2008, 2013 और 2018 के दिसंबर में कोई आईपीओ नहीं आया था, जबकि दिसंबर 2003 में दो आईपीओ आए।
पांच राज्यों में चुनाव की वजह से राजनीतिक अनिश्चितता के बीच दिसंबर 2023 के पहले पखवाड़े में कोई आईपीओ नहीं आया। हालांकि चुनाव परिणाम पांच में से तीन राज्यों में भाजपा के पक्ष में रहे हैं, इसलिए विश्लेषकों का कहना है कि राजनीतिक परिदृश्य अनुकूल हो गया।
चुनाव नतीजों ने निवेशकों को अगले साल होने वाले आम चुनाव के बाद देश में नीतिगत निरंतरता की उम्मीद बढ़ा दी है। दिसंबर का महीना छुट्टियों के सीजन की वजह से भी पूंजी जुटाने के लिहाज से सुस्त माना जाता है।
इसकी वजह से, कंपनियां अगले सप्ताह के अंत से पहले अपनी शेयर बिक्री पूरी करने पर जोर दे रही हैं, जिसके बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) प्रवाह नरम पड़ सकता है। FPI ने दिसंबर में अब तक 31,471 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे हैं।
इक्विरस के संस्थापक अजय गर्ग ने कहा, ‘पिछले वर्षों के दिसंबर के मुकाबले मौजूदा समय में भारत में हालात काफी अलग हैं। इस दिसंबर में हमने जिस तरह की तेजी देखी है, वह बेमिसाल है। जब आप सेकंडरी बाजार में तेजी पर ध्यान देते हैं, प्राथमिक बाजार के कारोबारी इसका लाभ उठाने की कोशिश करते हैं।
आईपीओ लाने वाली ज्यादातर कंपनियां निजी इक्विटी (पीई) पोर्टफोलियो से जुड़ी होती हैं। पीई हर साल बड़ा निवेश करती हैं और ऐसे बचत पत्रों की संख्या बड़ी है जिनसे निकलने की उन्हें जरूरत बनी हुई है।’ निवेश बैंकरों का कहना है कि कंपनियां 22 दिसंबर से 7 जनवरी के बीच आईपीओ लाने से परहेज करेंगी।