कच्चे तेल की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि के कारण इनपुट लागत में तेजी से पिछले कुछ सप्ताह के दौरान एफएमसीजी शेयरों की धारणा प्रभावित हुई है। बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच आमतौर पर इसे एक रक्षात्मक दांव माना जाता है लेकिन कच्चे तेल में तेजी के कारण एफएमसीजी कंपनियों के अधिकतर कच्चे माल के दाम बढऩे से निवेशक बिकवाली कर रहे हैं। इनपुट लागत में वृद्धि से एफएमसीजी कंपनियों का मार्जिन प्रभावित होने की आशंका है।
एंटिक स्टॉक ब्रोकिंग के विश्लेषकों ने एक हालिया नोट में लिखा है, ‘पिछली तिमाही के दौरान पाम ऑयल, कच्चे तेल और एसएमपी यानी स्कीम्ड मिल्क पाउडर की कीमतों में 23 से 42 फीसदी की वृद्धि हुई है। क्रूड-लिंक्ड डेरिवेटिव्स में फिलहाल एकल अंक में मुद्रास्फीति दिख रही है लेकिन दो-तीन महीने के अंतराल पर उसमें तेजी दिख सकती है।’
पिछले तीन महीनों के दौरान एसऐंडपी बीएसई एफएमसीजी सूचकांक में करीब 2.7 फीसदी का इजाफा हुआ जबकि एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स में इस दौरान महज 0.8 फीसदी की बढ़त हुई। विश्लेषकों का मानना है कि इन शेयरों की चुनौतियां आगे कहीं अधिक बढ़ सकती हैं क्योंकि रूस-यूक्रेन के बीच भू-राजनीतिक तनाव के कारण कच्चे तेल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। साढ़े चार महीने की चुप्पी के बाद सरकार ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में धीरे-धीरे बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया है। विश्लेषकों का कहना है कि इससे मुद्रास्फीति को बल मिलेगा और उपभोक्ता अपनी खरीदारी में कटौती करने के लिए मजबूर होंगे।
एफएमसीजी कंपनियां कच्चे माल में तेजी की लागत से निपटने के लिए एक बार फिर उत्पादों के दाम बढ़ाने की तैयारी कर रही हैं। ईंधन कीमतों में तेजी के कारण माल भाड़े की लागत भी बढ़ेगी। एंटिक स्टॉक ब्रोकिंग के विश्लेषकों ने कहा कि लगभग सभी स्टेपल कंपनियों ने विशेष तौर पर ग्रामीण भारत में खपत में सुस्ती की बात कही है। ऐसे में इनपुट मूल्य मुद्रास्फीति का समय अधिक खराब नहीं हुआ है।
जेफरीज के विश्लेषकों ने एक हालिया नोट में लिखा है, ‘प्रमुख इनपुट लागत में वृद्धि चिंता की बात है खासकर स्टेपल, पेंट और क्यूएसआर (त्वरित सेवा रेस्तरां) फर्मों के लिए। हम उम्मीद करते हैं कि उत्पादों के दाम बढ़ाए बिना मार्जिन पर जोखिम बरकरार रहेगा। महंगाई दर अधिक होने से खपत को झटका लग सकता है जिसकी झलक ग्रामीण बाजारों के रुझान में मिल रही है। उत्पादों के दाम बढ़ाए जाने से खपत प्रभावित हुई है और निकट भविष्य में मुद्रास्फीति चिंता की बात होगी।’
वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान सकल मार्जिन में सुधार होने के बावजूद जेफरीज का मानना है कि वित्त वर्ष 2023 में यदि कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल और पाम ऑयल की कीमतें 1,500 डॉलर प्रति टन पर बरकरार रहती है तो सालाना आधार पर मार्जिन में 50 से 200 आधार अंकों की कमी आएगी।