जेपी मॉर्गन सूचकांकों में भारतीय सरकारी बॉन्डों को 28 जून को शामिल किए जाने के बाद से फुली एक्सेसिबल रूट (एफएआर) के तहत आने वाली सरकारी प्रतिभूतियों में करीब 60,000 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश प्राप्त हुआ है।
एफएआर प्रतिभूतियों में निवेश 16 अक्टूबर 2023 को 1 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गया। सितंबर 2023 में, जेपी मॉर्गन ने घोषणा की थी कि वह अपने जीबीआई-ईएम में एफएआर के तहत आरबीआई द्वारा जारी सरकारी पत्रों को शामिल करेगा।
क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआईएल) के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 5,000 करोड़ रुपए मूल्य की एफएआर प्रतिभूतियां बेची हैं। बाजार कारोबारियों का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और भू-राजनीतिक तनाव की वजह से एफपीआई ने यह बिकवाली की।
अमेरिकी चुनाव और चीन द्वारा प्रोत्साहन उपायों तथा बाद में उसके शेयर बाजारों में आई तेजी की वजह से पूंजी प्रवाह पर दबाव बढ़ गया। करुर वैश्य बैंक में ट्रेजरी प्रमुख वीआरसी रेड्डी ने कहा, ‘भू-राजनीतिक तनाव की वजह से एफपीआई डेट और इक्विटी, दोनों में बिकवाली कर रहे हैं।’
एफएआर के तहत 38 में से सिर्फ 27 बॉन्ड ही जेपी मॉर्गन बॉन्ड सूचकांक के पात्रता मानदंड को पूरा करते हैं, जिसके लिए 1 अरब डॉलर से अधिक अंकित मूल्य तथा 2.5 वर्ष से अधिक की शेष परिपक्वता अवधि की आवश्यकता होती है। अक्टूबर में भारतीय डेट बाजार में एफपीआई के निवेश में बदलाव देखने को मिला, अप्रैल के बाद पहली बार शुद्ध निकासी हुई।