म्युचुअल फंड (एमएफ) उद्योग ने इक्विटी योजनाओं के ताजा निवेश प्रवाह में भारी गिरावट दर्ज की है जिससे उद्योग के अधिकारियों और सलाहकारों में चिंता पैदा हो गई है। इससे उद्योग की कंपनियों का राजस्व प्रभावित होने की आशंका गहरा गई है।
उद्योग के आंकड़े के अनुसार इक्विटी योजनाओं ने जून में 13,760 करोड़ रुपये जुटाए, जो 12 महीने के औसत के मुकाबले 28 प्रतिशत कम था। मई में यह निवेश 12,949 करोड़ रुपये था, जो 14 महीने में सबसे कम था।
स्वतंत्र वित्तीय सलाहकार (आईएफए) भरत बगला ने कहा, ‘बाजारों में ताजा सुधार के बावजूद, व्यक्तिगत पोर्टफोलियो कमजोर बने हुए हैं। भरोसा डगमगाया हुआ है जिससे ताजा पूंजी प्रवाह दूर बना हुआ है।’ उद्योग के कारोबारियों का कहना है कि अपनी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लांस (एसआईपी) रोकने की योजना बना रहे निवेशकों द्वारा पूछताछ का सिलसिला तेज हुआ है। तेजस कंसल्टेंसी के सह-संस्थापक रितेश शेठ ने कहा, ‘खासकर वाहन चालक या अन्य असंगठित व्यवसायों से जुड़े छोटे आकार के निवेशकों ने अपने एसआईपी बंद करने शुरू कर दिए हैं। अपने व्यवसायों के लिए अनिश्चित परिवेश को देखते हुए वह नहीं चाहते हैं कि पैसे के अभाव में एसआईपी रकम नहीं चुकाने की वजह से उन्हें किसी तरह के वित्तीय नुकसान का सामना करना पड़े।’
शेठ ने कहा, ‘वेतनभोगी ग्राहकों के लिए, प्राथमिकताएं बदली हैं, क्योंकि वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनके पास आवास ऋण के लिए ईएमआई जैसी देयता को पूरा करने के लिए पर्याप्त नकदी मौजूद हो।’ इक्विटी योजनाओं में बिकवाली जून में मासिक दर मासिक आधार पर 75 प्रतिशत बढ़कर 13,520 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। एसआईपी के जरिये जहां मासिक योगदान 8,000 करोड़ रुपये के आंकड़े के आसपास है, लेकिन उद्योग के कारोबारियों का मानना है कि औसत आकार में कमी आई है। इसका अंदाजा एसआईपी योगदान में आ रही मासिक गिरावट से लगाया जा सकता है।