भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने पता लगाया है कि डिजिटल क्षेत्र के दिग्गज, नेटवर्क के माध्यम से प्रतिस्पर्धा दबाने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर रहे हैं। सीसीआई के निवर्तमान चेयरमैन अशोक कुमार गुप्त ने श्रीमी चौधरी से कहा कि नियामक यह सुनिश्चित करना चाहता है कि हर कारोबारी को समान अवसर मिले, साथ ही छोटे कारोबारियों को बाजार से बाहर करने के लिए नेटवर्क का इस्तेमाल न किया जाए। संपादिश अंश:
क्या आपको लगता है कि कुछ डिजिटल दिग्गजों के खिलाफ हाल की कार्रवाई से नए दौर के बाजार के नवोन्मेष में किसी व्यवधान के बगैर प्रतिस्पर्धारोधी आचरण पर लगाम लगेगी?
हमें विश्वास है कि प्रवर्तन से नवोन्मेष प्रभावित नहीं होगा। यहां मसला यह है कि टेक्नोलॉजी बाजार क्षणिक है और दूसरी इकाइयां जगह बना रही हैं। हमने पाया कि ऐसा नहीं हो रहा था। वे (प्रमुख कारोबारी) नेटवर्क के प्रभाव की अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उनके कई उत्पाद की श्रृंखला है। और एक बार जब किसी का प्रभुत्व हो जाता है तो वे अपने प्रभुत्व का इस्तेमाल पास के बाजारों में करते हैं और दूसरों को बाहर करने की कवायद करते हैं। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि सबको बराबर का और निष्पक्ष रूप से मौका मिले।
आपको किस तरह की चुनौती का सामना करना पड़ा और भविष्य में सीसीआई को आप किस भूमिका में देख रहे हैं?
प्रतिस्पर्धा रोधी गतिविधियों में डिजिटल मार्केट कमजोर होता है। उदाहरण के लिए उनका सबसे अहम गुण नेटवर्क प्रभाव है, जिसमें आंकड़ों का लाभ मिलता है और इससे लॉक इन इफेक्ट तैयार होता है, जो शुरुआती व्यवधान का काम करता है। प्रतिस्पर्धा कानून के मौजूदा सिद्धांत व नियम प्रतिस्पर्धा रोधी गतिविधियों का समाधान करने के लिए पर्याप्त हैं। जहां नियामकीय खामियां हैं, संशोधित विधेयक में उसे दूर किया गया है।
अलग अलग मामलों में विशिष्ट व्यावसायिक आचरण के प्रभाव के सूक्ष्म एवं साक्ष्य आधारित विश्लेषण की व्यवस्था इस कानून में है। हालांकि निर्णयों की न्यायिक समीक्षा के लिए पर्याप्त साक्ष्य एकत्र करने की जरूरत इस रास्ते को लंबा कर देती है। तेजी से बढ़ते डिजिटल बाजार में लंबी मुकदमेबाजी और देरी से हस्तक्षेप महंगा और व्यर्थ साबित हो सकता है।
नियामकीय मंजूरी में देरी के कारण हाल में फिनटेक क्षेत्र में प्रस्तावित अधिग्रहण नहीं हो सका। आपका क्या कहना है?
प्रस्तावित अधिग्रहणों को मंजूरी देते समय हमें बाजार की मांग के मुताबिक संवेदनशील होने की जरूरत है। हमें निश्चित रूप से देखने की जरूरत है कि संयुक्त इकाई सभी मानदंडों का पालन करती है, लेकिन हमें तेजी से परिणाम देना होगा। हमारी तरफ से देरी से विपरीत असर पड़ सकता है।
प्रतिस्पर्धा विधेयक स्थायी समिति के पास है। आपके पास उसका कोई ब्योरा है?
प्रतिस्पर्धा संशोधन विधेयक में भारतीय बाजारों में उल्लेखनीय वृद्धि को ध्यान में रखा गया है और कामकाज में बहुत बदलाव आया है।
सीसीआई की रिकवरी दर क्यों कम रही है
इनमें से ज्यादातर फैसलों पर अदालतों ने रोक लगा दी है या खारिज कर दिया है। हम बाजार में सुधार पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, जुर्माने पर नहीं।
