बढ़ती लागत का दबाव और ब्याज दरों में इजाफे का सीधा असर कंपनियों के नतीजों पर आने के आसार हैं।
एनालिस्टों के मुताबिक निफ्टी में शामिल कंपनियों का औसत अर्निंग ग्रोथ इस साल की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के दौरान 15 फीसदी के करीब रहने के आसार हैं जबकि पिछले साल यह ग्रोथ तीस फीसदी की थी।
ऐसा हुआ तो भारतीय कंपनियों की यह ग्रोथ पिछली नौ तिमाहियों में सबसे कम रहेगी और लगातार दूसरी बार बीस फीसदी से कम लागत के बढ़ते दबाव से इन कंपनियों का ऑपरेटिंग मार्जिन करीब दो फीसदी तक घटने का अनुमान है।
जहां तक इंटरेस्ट रेट सेंसेटिव (यानी वो सेक्टर जिन पर ब्याज दरों में बदलाव का सबसे ज्यादा असर पड़ता है)सेक्टर का सवाल है, जैसे ऑटो, बैंकिंग और रियल एस्टेट, इनके प्रदर्शन पर सबसे ज्यादा असर होने का अनुमान है। हालांकि फार्मा और टेलिकॉम सेक्टर ग्रोथ को बढ़ाने में काफी हद तक मददगार साबित हो रहे हैं।
ब्रोकिंग हाउसों के एक अनुमान के मुताबिक निफ्टी और सेंसेक्स की 44 टॉप की कंपनियों की अर्निंग्स अनुमानों से संकेत मिलते हैं कि इन कंपनियों का रेवन्यू ग्रोथ 25 फीसदी से ज्यादा होगा। लेकिन रेवन्यू में इस ग्रोथ का मुनाफेकी ग्रोथ पर उतना असर नहीं दिख सका है और इसकी वजह बढ़ती लागत और बढ़ते वित्तीय खर्चों का दबाव रहा है। सीएलएसए एशिया पैसेफिक मार्केट्स के अनुमान के मुताबिक सेंसेक्स की तीस कंपनियों के शुध्द लाभ की ग्रोथ 6.1 फीसदी ही रहेगी जबकि पिछले साल यह 34 फीसदी थी।
अगर इसमें अप्रत्याशित कमाई को भी शामिल कर लिया जाए तो फर्म के मुताबिक सालाना आधार पर यह ग्रोथ 14 फीसदी से ज्यादा नहीं होगी। सीएलएसए के मुताबिक पिछले साल की तुलना में ब्याज का खर्च इस बार 71 फीसदी बढ़ सकता है। ड्यूश बैंक के मुताबिक ब्याज, टैक्स, डेप्रिसियेशन और एमॉर्टाइजेशन से पहले की कमाई में इस तिमाही में सालाना आधार पर 19.7 फीसदी की ग्रोथ देखी जा सकती है, जबकि पिछले साल इस दौरान यह 33 फीसदी थी।
मॉर्गन स्टेनली ने नतीजों से पहले के अपने अनुमानों में कहा है कि नकारात्मक ऑपरेटिंग लिवरेज, अन्य आय में कमी और लाभ की वृध्दि दर में गिरावट की वजह कंपनियों को अपनी अर्निंग्स का आकलन फिर से करना पड़ सकता है। उसके मुताबिक निवेशक और एनालिस्ट का ध्यान इन कंपनियों की गाइडेंस पर जरूर रहेगा लेकिन नतीजों के इस महीनों में दूसरे और कारण यह तय करने में मददगार होंगे कि आगे इन कंपनियों की कमाई कैसी रहेगी और इनके पूंजीगत खर्चे कैसे रहेंगे।