अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सोमवार (20 जनवरी) को अपने पद की शपथ लेंगे। ट्रंप दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। इसके साथ ही ग्लोबल इक्विटी मार्केट भी ट्रंप 2.0 के लिए तैयार हो रहा है। इनवेस्टर नई प्रशासनिक नीतियों के तहत टैरिफ के बढ़े हुए उपयोग की संभावना को लेकर सतर्क हैं। बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वह हाई टैरिफ के पक्ष में हैं। इससे चीन के साथ ट्रेड वॉर की आशंका फिर से बढ़ गई है। इसके साथ ही H1-B वीजा और बिटकॉइन भी उनके एजेंडे में हैं।
यहां कुछ ब्रोकरेज फर्मों ने डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयानों की व्याख्या की है और उनके प्रशासन का व्यापारिक टैरिफ, इक्विटी मार्केट, क्रिप्टो, H1-B इमिग्रेशन वीजा और अन्य एसेट क्लासेज पर क्या असर हो सकता है, इसे समझाया है।
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10 प्रतिशत का यूनिवर्सल टैरिफ ग्लोबर इक्विटी मार्केट के लिए बड़े असरदार साबित हो सकते हैं और कंपनियों के लिए इस हालात को संभालना चुनौतीपूर्ण होगा। S&P 500 कंपनियों की लागत का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा आयातित सामान पर निर्भर है। 10 प्रतिशत टैरिफ से S&P 500 की अर्निंग्स पर शेयर (EPS) में 3-5 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है।
सबसे ज्यादा प्रभावित बाजार: लैटिन अमेरिका (LatAm), यूरोप (यूनाइटेड किंगडम को छोड़कर) और उत्तर एशिया।
अमेरिका में लाभान्वित सेक्टर: मटीरियल्स, ऑटो और सेमीकंडक्टर।
अमेरिका में सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र: कंज्यूमर सेक्टर, (प्रभाव -6% से -8%) क्योंकि यह चीन से भारी आयात करता है।
चीन में प्रभावित क्षेत्र: टेक हार्डवेयर और उपकरण (15% रेवेन्यू अमेरिका से), बैंक (कम ऋण वृद्धि और एसेट क्वालिटी खराब)।
भारत: भारत में 95% एनालिस्ट्स का मानना है कि यूनिवर्सल टैरिफ का उनके स्टॉक्स पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह बाजार तुलनात्मक रूप से बेहतर प्रदर्शन कर सकता है।
कैपिटल मार्केट अभी एक स्थिर मैक्रोइकोनॉमिक सेनेरियो की उम्मीद कर रहे हैं, जबकि नीतिगत अनिश्चितता अपने चरम पर है। ट्रंप प्रशासन की आर्थिक नीतियां विरोधाभासी हैं। नए राष्ट्रपति के तहत उच्च विकास और मुद्रास्फीति के साथ रिफ्लेशनरी नीतियों की संभावना के कारण फेडरल रिजर्व 2025 के दौरान फेडरल फंड्स टारगेट रेट को 4.5% पर स्थिर रखने की संभावना है।
2025 की शुरुआत में इनवेस्टर्स के सामने सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नीति एजेंडे में कई विरोधाभास हैंं। टैरिफ लगाने या इमिग्रेशन पर सख्ती जैसे मुद्दे मुद्रास्फीति को बढ़ाने वाले हैं।
क्रिप्टो पर ध्यान: संस्थानिक इनवेस्टर्स क्रिप्टो को नजरअंदाज नहीं कर सकते, क्योंकि ट्रंप प्रशासन इसे मुख्यधारा में लाने की तैयारी में है। हालांकि, बिटकॉइन को सोने के विकल्प के रूप में नहीं देखा जाता है, बल्कि इसे एक डिजिटल विकल्प मानते हैं।
चीन के लिए असर: चीन के निर्यातकों पर ट्रंप प्रशासन की टैरिफ-सम्बंधित नीतियों से नकारात्मक असर पड़ सकता है। हालांकि, यह चीनी कंपनियों को अमेरिका में उत्पादन इकाइयां स्थापित करने का अवसर भी प्रदान कर सकता है।
ट्रंप अपने अभियान में किए गए वादों को पूरा करते हुए चीन पर टैरिफ दरों को तेज़ी से बढ़ा सकते हैं। 2025 में टैरिफ का प्रभाव: यह चरणबद्ध तरीके से लागू होंगे और Q2-2025 से मुद्रास्फीति को बढ़ा सकते हैं।
जोखिम: यदि ट्रंप ने शपथ लेते ही टैरिफ लागू कर दिए, तो यह मुद्रास्फीति में तेजी से बढ़ोतरी कर सकता है।
इमिग्रेशन पर प्रभाव: नए आप्रवासी आगमन की दर धीमी हो सकती है।