मैंने एक लिक्विड फंड के अंतर्गत लाभांश पुनर्निवेश विकल्प का चयन किया है। लाभांश पुनर्निवेश के कारण पूंजी बढ़ने पर हमारी कर संबंधी देनदारी क्या होगी? क्या इस पर भी इक्विटी की तरह ही कर चुकाना होता है? -मनोज पृथि
आइए सबसे पहले हम मूलभूत सिध्दांत को समझते हैं। कर के नजरिये से देखा जाए तो लाभांश पुनर्निवेश और बैंक खाते से मिलने वाले लाभांश से किए जाने वाले नए निवेश में कोई फर्क नहीं है। किसी भी अन्य लाभांश की भांति ही प्राप्त होने वाले लाभांश पर कर लगाया जाएगा (लाभांश वितरण कर या डीडीटी के अंतर्गत) और लाभांश पुनर्निवेश के तहत की गई यूनिटों की खरीदारी को नए पूंजी निवेश की तरह ही माना जाएगा।
जब कभी आप यूनिट बेचेंगे तो प्राप्त होने वाले पूंजीगत लाभ पर निवेश की अवधि के हिसाब से अल्पावधि या दीर्घावधि का पूंजीगत लाभ कर लगाया जाएगा। इसलिए, यहां जिसे आप मूल राशि कह रहे हैं वह एकल मूलधन नहीं बल्कि प्रत्येक लाभांश पुनर्निवेश के लिए अलग मूल राशि है। इनमें से प्रत्येक व्यक्तिगत निवेश, निवेश के 365 दिनों बाद दीर्घावधि का निवेश हो जाता है। यह किसी भी प्रकार के फंड का मूल सिध्दांत है।
लिक्विड फंड में यूनिट भुनाने के समय मूल राशि में हुई बढ़ोतरी पर निश्चित रुप से कर लगाया जाएगा। अगर यूनिट खरीदने के दिन से 365 दिनों के भीतर आप उसे भुनाते हैं तो अल्पावधि का लाभ आपकी आय में जुड़ जाएगा और आप जिस कर वर्ग में आते हैं उस हिसाब से कर लगाया जाएगा। अगर कोई व्यक्ति खरीदारी करने के 365 दिनों के बाद यूनिट भुनाता है तो उसे दीर्घावधि का पूंजीगत लाभ कर देना होगा।
पूंजीगत लाभ कर के मामले में लाभांश कोई मायने नहीं रखता है। यही सिध्दांत इक्विटी फंडों पर भी लागू होता है। लेकिन दिया जाने वाला वास्तविक कर अलग-अलग होता है। इक्विटी फंड के मामले में न लाभांश और न ही दीर्घावधि के पूंजीगत लाभ पर कर लगाया जाता है। केवल अल्पावधि के लाभ पर कर देय होता है।
अगर मैं किसी फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (एफएमपी), लिक्विड फंड या ऋण फंड में अपना निवेश एक साल से अधिक अवधि के लिए बनाए रखता हूं तो इस पर किस हिसाब से कर लगाया जाएगा? कृपया लाभांश और ग्रोथ दोनों योजनाओं के हिसाब से बताएं। -डी गुप्ता
अगर ऋण फंडों, जिसमें एफएमपी भी शामिल हैं, को खरीदारी के 365 कदनों के बाद बेचा जाता है तो किसी भी नफा या नुकसान पर दीर्घावधि के नजरिये से कर लगाया जाएगा। यूनिटों को भुनाते समय निवेशकों को दीर्घावधि का पूंजीगत लाभ कर देना होता है। नीचे लाभांश और ग्रोथ दोनो विकल्पों के लिए दीर्घावधि के पूंजीगत लाभ के लिए कर की गणना की गई है।
मैं जानना चाहता हूं कि मासिक आय योजनाओं (एमआईपी) से प्राप्त आय पर किस प्रकार कर लगाया जाता है? -शैलेश रावत
एमआईपी से प्राप्त होने वाले प्रतिफल पर लगाया जाने वाला कर इस बात पर निर्भर करता है कि निवेशक उसे किस तरीके से हासिल करता है। अगर आप लाभांश विकल्प का चयन करते हैं तो एफएमपी सहित सभी ऋण फंडों पर से मिलने वाने लाभांश का की राशि का 12.5 प्रतिशत लाभांश वितरण कर (डीडीटी) के रुप में देय होता है।
अगर आप ग्रोथ योजना का चयन करते हैं तो निवेश की अवधि के मुताबिक प्राप्त होने वाले लाभ पर अल्पावधि या दीर्घावधि के हिसाब से कर लगाया जाएगा। किसी भी ऋण फंड से प्राप्त होने वाले अल्पावधि के लाभों (एक साल से कम अवधि वाले निवेश पर) को आपकी आय में जोड़ दिया जाता है।
एमआईपी से प्राप्त होने वाले दीर्घावधि के लाभों पर बिना इंडेक्सेशन के 10 प्रतिशत या इंडेक्सेशन के साथ 20 प्रतिशत के हिसाब से कर लगाया जाता है। योजनाबध्द निकासी योजना (एसडब्ल्यूपी) के माध्यम से एमआईपी (ग्रोथ विकल्प) में किए गए निवेश से प्राप्त लाभ लाभांश योजनाओं की बनिस्बत ज्यादा कर-प्रभावी होते हैं।
एसडब्ल्यूपी के तहत पूर्वनिर्धारित राशि और अवधि के हिसाब से यूनिटों को भुनाया जाता है। इसके अलावा नकदी के प्रवाह पर भी आपका बेहतर नियंत्रण होता है। हालांकि, नियमित रुप से की जाने वाली निकासी के मामले में आपको रुढ़िवादी होना चाहिए नहीं तो आपकी पूंजी जल्द समाप्त होने का जोखिम रहेगा।
एसडब्ल्यूपी से पूर्वनिर्धारित समयांतराल पर एकसमान राशि प्राप्त होती है। लेकिन इसका महत्त्व तभी होता है जब निवेशक एक साल बाद निकासी की शुरुआत करे। मान लीजिए कि आप किसी फंड में 1 जून 2006 को 1,00,000 रुपये का निवेश करते हैं। सरलता के लिए हम मान लेते हैं कि आपको प्रत्येक महीने 0.9 प्रतिशत का लाभांश मिलेगा।
लाभांश वितरण कर काटने के बाद हर महीने आपके हाथों में 788 रुपये आएंगे। लेकिन ग्रोथ प्लान के मामले में 900 रुपये के मासिक एसडब्ल्यूपी पर आपको केवल दीर्घावधि का पूंजीगत लाभ कर देना होगा। और दीर्घावधि का यह पूंजीगत अभिलाभ कर डीडीटी से काफी कम होता है। नीचे दिए गए तालिका की सहायता से आप इसे बेहतर समझ सकते हैं।