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प्राइवेट इक्विटी का रुख कर रहे हैं कारोबारी घराने

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 6:05 PM IST

भारत में प्राइवेट इक्विटी का चलन धीरे धीरे जोर पकड़ रहा है और ज्यादा से ज्यादा लोग इस रास्ते का रुख कर रहे हैं।


अब जब कि कर्ज महंगा हो गया है और फिसलते शेयर बाजार ने पैसा जुटाने के दूसरे रास्ते बंद कर दिए हैं, ऐसे में कारोबारी घराने पैसा जुटाने के लिए फिर एक बार प्राइवेट इक्विटी को जरिया बना रहे हैं। लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में काम कर रही प्राइवेट इक्विटी फर्म टस्कन वेंचर्स के  मुख्य कार्यकारी विशाल शर्मा के मुताबिक अब सवाल अस्तित्व का है।

फर्म ने पिछले साल तीन डील की हैं। हाल के वर्षों में भारतीय कंपनियों ने कई महत्वाकांक्षी विस्तार योजनाओं पर काम शुरू किया है, तब धन की कमी नहीं थी और 9 फीसदी की दर से हो रहे विकास के मद्देनजर ब्याज की दरें भी काफी कम थीं।

लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार की बिगड़ती हालत, कर्ज संकट और कमोडिटी की चढ़ती कीमतों ने इन सारी योजनाओं को बड़ा झटका दे दिया है। आज महंगाई की दर पिछले 13 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर हैं, ब्याज की दरें सात साल के सबसे ऊंचे स्तर पर हैं।

आर्थिक विकास की दर इस साल धीमी होने के आसार हैं और शेयर बाजार 2008 में 30 फीसदी से भी ज्यादा गिर चुका है जिससे कंपनियों की कीमत अच्छी खासी गिर चुकी है। शर्मा के मुताबिक इस मुश्किल समय में कंपनियों को अपनी विस्तार योजनाओं पर फिर से विचार करना पड़ रहा है और इस बुरे समय से निकलने के लिए नए रास्ते तलाशने पड रहे हैं।

एशिया वेंचर कैपिटल जर्नल के मुताबिक इस साल की पहली छमाही में भारत और चीन में प्राइवेट इक्विटी (पीई)निवेश का बाजार स्थिर रहा है। भारत में इस दौरान पीई निवेश 3.2 फीसदी बढ़कर 6.8 अरब डॉलर हो गया है जबकि चीन में यह 3 फीसदी के इजाफे के साथ 5.8 अरब डॉलर पर पहुंचा है।

भारतीय प्राइवेट इक्विटी डील खासकर कम लिवरेज वाली रही हैं और पीई फर्मो ने ज्यादातर ग्रोथ कैपिटल डील की हैं और बाद के चरणों वाले यानी लेट स्टेज निवेश किए हैं। इसमें प्राइवेट और सूचीबध्द कंपनियों में छोटी छोटी हिस्सेदारी की खरीद शामिल है।

इसके बावजूद पीई फर्मों को कारोबारी घरानों को पैसा जुटाने के  लिए कंपनी पर अपना कुछ नियंत्रण घटाने के लिए मनाने में कठिनाई आई, जाहिर है पिछले छह सालों से शेयर बाजार में चल रही तेजी ने इस कंपनियों की कीमतों (वैल्युएशंस) में भी अच्छा खासा इजाफा कर दिया था जिसने इस मनव्वल को और मुश्किल किया।

फिर, इन कंपनियों ने भी समझ लिया है कि प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकशों (आईपीओ) के जरिए आसानी से पैसा जुटा लेने के दिन अब लद गए हैं। रिसर्च फर्म वेंचर इंटेलिजेंस के मुख्य कार्यकारी अरुण नटराजन के मुताबिक बाजार जब सुधरेगा तब ये कंपनियां वापस बाजार से पैसा जुटाएंगी लेकिन साथ ही अब पीई निवेश का रास्ता भी अपनाएंगी। लंदन की एमर्जिंग मार्केट्स वेंचर कैपिटल एसोसिएशन के मुताबिक प्राइवेट इक्विटी के सौदों में इस साल उभरते बाजारों की हिस्सेदारी पिछले साल यानी 2007 के 10 फीसदी से ज्यादा ही रहेगी।

First Published : August 23, 2008 | 4:18 AM IST