10 लार्जकैप कंपनियों में लॉन्ग-टर्म वैल्यूएशन से कम पर कारोबार, स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों में दिखी बड़ी तेजी

छोटी कंपनियां पिछले कुछ समय से शेयर बाजार में अपनी बड़ी प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं।

Published by
कृष्ण कांत   
राम प्रसाद साहू   
Last Updated- October 02, 2024 | 9:23 PM IST

भारतीय शेयर बाजारों में तेजी जारी है, लेकिन लार्ज कैप का प्रदर्शन समूचे बाजार से कमतर बना हुआ है। लार्जकैप-आधरित सेंसेक्स पिछले साल अक्टूबर के अंत से 31.9 प्रतिशत तक चढ़ा है और यह मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांक से काफी पीछे है। उदाहरण के लिए, बीएसई मिडकैप सूचकांक इस दौरान 58.4 प्रतिशत तक चढ़ा जबकि बीएसई स्मॉलकैप में 55.6 प्रतिशत की तेजी आई।

यह कोई लघु अवधि का घटनाक्रम नहीं है। लेकिन छोटी कंपनियां पिछले कुछ समय से शेयर बाजार में अपनी बड़ी प्रतिद्वंद्वियों से आगे चल रही हैं। सेंसेक्स जनवरी 2020 से 106.9 प्रतिशत तक चढ़ा है जबकि बीएसई मिडकैप सूचकांक में इस दौरान 220 प्रतिशत और बीएसई स्मॉलकैप में 291.7 प्रतिशत की तेजी आई।

लार्जकैप शेयरों के अपेक्षाकृत खराब प्रदर्शन का कारण घरेलू खुदरा और एचएनआई यानी अमीर निवेशकों द्वारा मझोले और छोटे शेयरों को प्राथमिकता दिया जाना है। इससे ऐसी स्थिति पैदा हो गई जिसमें भारत की कई शीर्ष कंपनियां और उद्योग दिग्गज अब अपने ऐतिहासिक मूल्यांकन और प्रमुख बाजार मूल्यांकन दोनों के मुकाबले नीचे कारोबार कर रहे हैं। यह खासकर बैंकिंग और वित्त, एफएमसीजी, सीमेंट और फार्मास्युटिकल जैसे क्षेत्रों के लिए सचाई है।

उदाहरण के लिए, निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा बैंक एचडीएफसी बैंक इस समय 2.9 गुना की प्राइस टू बुक (पीबी) वैल्यू पर कारोबार कर रहा है, जो उसके 3.1 गुना के 5 वर्षीय औसत पीबी अनुपात और सेंसेक्स के मौजूदा 4.3 गुना के पीबी अनुपात से कम है।

इसी तरह हिंदुस्तान यूनिलीवर अब 13.6 गुना के पीबी अनुपात पर कारोबार कर रहा है जो उसके 20.9 गुना के पांच वर्षीय औसत पीबी से नीचे है। सेंसेक्स का मौजूदा पी/बी अनुपात उसके 5 वर्षीय औसत मूल्यांकन अनुपात 3.4 गुना से 27 प्रतिशत अधिक है जबकि मिड-कैप सूचकांक वर्तमान में अपने 5 वर्षीय औसत मूल्यांकन से 68 प्रतिशत प्रीमियम पर कारोबार कर रहा है।

लार्ज कैप शेयरों का कमजोर मूल्यांकन निवेशकों के लिए एक अवसर है क्योंकि इनमें से अधिकांश कंपनियां उद्योग जगत की अग्रणी हैं और कुछ की बैलेंस शीट और वित्तीय अनुपात उनके प्रतिस्पर्धियों के अनुरूप हैं। उनका मौजूदा मूल्यांकन से उनके लिए निराशावादी वृद्धि और आय परिदृश्य की धारणा बनती है। यहां बीएसई 200 सूचकांक के 10 शेयर दिए गए हैं जिनके मूल्यांकन में हाल की तिमाहियों में बड़ी रेटिंग गिरावट देखी गई है।

एचडीएफसी बैंक

  • एचडीएफसी बैंक का शेयर पिछले साल जुलाई में एचडीएफसी के विलय के बाद से दबाव में रहा है। इसने बेंचमार्क तथा आईसीआईसीआई बैंक और ऐक्सिस बैंक जैसे प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन किया है।
  • इसका कारण विलय के बाद एचडीएफसी बैंक की आय में औसत वृद्धि नहीं होना है, जिसका कारण ऊंचा ऋण-जमा (सी/डी) अनुपात और शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) में कमी है।
  • वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में निजी क्षेत्र के सबसे बड़े ऋणदाता की सकल ब्याज आय सालाना आधार पर 11.9 प्रतिशत तक बढ़ी और शुद्ध लाभ 1.2 प्रतिशत घट (एचडीएफसी के विलय के लिए समायोजन के कारण) गया।
  • सकारात्मक बात यह रही कि एनआईएम 4 आधार अंक तक बढ़ गया और सी/डी अनुपात 6 प्रतिशत तक घटकर पहली तिमाही में 104 प्रतिशत रह गया।
  • ब्रोकरों के अनुसार एचडीएफसी बैंक समायोजन के दौर से गुजर रहा है।

ए​शियन पेंट्स

  • सेंट्रम रिसर्च का कहना है कि 1 प्रतिशत की ताजा कीमत वृद्धि से संकेत मिलता है कि देश की सबसे बड़ी डेकोरेटिव पेंट निर्माता लगातार ऊंची कीमतें वसूलना जारी रखे हुए है और प्रतिस्पर्धा से प्रभावित हुए बगैर दो अंक में बिक्री वृद्धि और परिचालन लाभ मार्जिन में सुधार की उम्मीद बनाए हुए है।
  • कीमत वृद्धि के अलावा कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से कंपनी के सकल मार्जिन के साथ साथ अन्य पेंट निर्माताओं को भी मदद मिलने की संभावना है।
  • जेपी मॉर्गन रिसर्च के विश्लेषकों का कहना है कि जहां प्रतिस्पर्धी तीव्रता ऊंची बनी हुई है, वहीं सतर्क परिचालन मुनाफा मार्जिन अनुमान (एशियन पेंट के लिए 18-20 प्रतिशत पर) से ब्रांड/चैनल खर्च के लिए पर्याप्त गुंजाइश है।
  • मुद्रास्फीति में नरमी आने, संभावित ब्याज दर कटौती और ग्रामीण आय में तेजी को देखते हुए पेंटिंग जैसे डिस्क्रेशनरी खर्चों में सुधार की भी संभावना है। प्रतिस्पर्धी तीव्रता में वृद्धि और सुस्त बिक्री की चिंताओं ने इस क्षेत्र की रेटिंग पर दबाव को बढ़ावा दिया है।

बर्जर पेंट्स इंडिया

  • जून तिमाही में 2.4 प्रतिशत की मूल्य वृद्धि और 11.8 प्रतिशत की बिक्री वृद्धि के साथ कंपनी ने उद्योग के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया। उद्योग के लिए राजस्व में 0.8 प्रतिशत और बिक्री में 8 प्रतिशत की गिरावट आई।
  • सितंबर तिमाही में बिक्री-मूल्य अंतर कम होने का अनुमान है, क्योंकि कंपनी के पोर्टफोलियो के प्रीमियम हिस्से में तेजी आ रही है।
  • कच्चे तेल की कीमतें साल के निचले स्तर पर होने से कंपनी के लिए कच्चे माल की लागत में नरमी आ सकती है।
  • निर्मल बांग रिसर्च का मानना है कि लाभ देर से मिलेगा। हालांकि दूसरी तिमाही और उसके बाद सकल मार्जिन में कुछ सुधार आने की उम्मीद है।
  • पेंट कंपनी का शेयर अपने पांच वर्षीय औसत पीई के मुकाबले 19 प्रतिशत नीचे कारोबार कर रहा है और गिरावट पर इसे खरीदा
    जा सकता है।

बजाज फाइनैंस

n बजाज फाइनैंस के शेयर में भी हाल के महीनों में गिरावट आई है। यह केवल 1.4 प्रतिशत बढ़ा है। ऊंची ऋण लागत और खुदरा ऋणों में विलंब बढ़ने की चिंताओं से इस शेयर पर दबाव पड़ा है।
n रिटेल ऋणदाता का समेकित शुद्ध लाभ वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में एक साल पहले के मुकाबले 13.8 प्रतिशत तक बढ़ा, जबकि सकल ब्याज आय में 28.3 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ।
n वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में ब्याज लागत सालाना आधार पर 38.5 प्रतिशत तक बढ़ी, जबकि फंसे कर्ज के लिए प्रावधान और बट्टे खाते से संबंधित खर्च में 69.3 प्रतिशत की तेजी आई।
n विश्लेषकों को रिटेल उधारी में दबाव और ऊंची ऋण लागत की वजह से अल्पावधि में चुनौतियां बरकरार रहने की आशंका है, जिससे कंपनी की वृद्धि प्रभावित हो सकती है। कंपनी ने नए सेगमेंटों में प्रवेश के साथ वित्त वर्ष 2024-28 के दौरान क्रियान्वयन के लिए अपनी लॉन्ग रेंज स्ट्रैटजी (एलआरएस) की रूपरेखा तैयार की है।

हिंदुस्तान यूनिलीवर

  • सितंबर तिमाही में हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) का प्रदर्शन काफी हद तक पहली तिमाही जैसा ही रहने का अनुमान है, लेकिन ब्रोकरों को अगली कुछ तिमाहियों के दौरान इसमें सुधार की उम्मीद है।
  • मोतीलाल ओसवाल रिसर्च का कहना है कि मार्जिन के मोर्चे पर एफएमसीजी कंपनी मिश्रित मूल्य निर्धारण का माहौल दर्ज कर रही है। कच्चे तेल और सोडा ऐश में गिरावट से कुछ राहत मिली है। लेकिन मक्का, चाय, काफी, मलेशियाई पाम तेल और पाम फैटी एसिड में तेजी के रुझान से मार्जिन को चुनौती हो सकती है।
  • जेपी मॉर्गन को अच्छे मॉनसून की उम्मीद है। 75 प्रतिशत से ज्यादा जिलों में सामान्य/सामान्य से अधिक बारिश हुई है। इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि होने और उपभोक्ता मुद्रास्फीति में सुधार आने से ग्रामीण मांग को बढ़ावा मिलेगा।
  • ग्रामीण मांग में सुधार के अलावा ज्यादा वृद्धि वाले क्षेत्रों से जुड़े पोर्टफोलियो में बदलाव से आगामी तिमाहियों में बिक्री वृद्धि सुधरेगी। मार्जिन वृद्धि भी इस शेयर की रेटिंग में बदलाव के लिए महत्वपूर्ण है।

श्री सीमेंट

  • कोलकाता की श्री सीमेंट को शेयर बाजार में संघर्ष करना पड़ा है। यह शेयर पिछले 12 महीने में महज 3 प्रतिशत तक चढ़ा जबकि सेंसेक्स में करीब 30 प्रतिशत और सीमेंट दिग्गज अल्ट्राटेक सीमेंट में 45 प्रतिशत की तेजी आई।
  • इसका कारण श्री सीमेंट के एबिटा या परिचालन लाभ में तेज गिरावट हो सकती है, जो कि उम्मीद से कम प्राप्तियों और अपेक्षा से अधिक परिचालन और मूल्यह्रास लागत के कारण हुआ है।
  • वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में सीमेंट निर्माता की शुद्ध बिक्री में 1.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई, एबिटा में 4.3 प्रतिशत का इजाफा हुआ और शुद्ध लाभ में सालाना आधार पर 51.3 प्रतिशत की गिरावट आई।
  • पहली तिमाही में मूल्यह्रास एक साल पहले के मुकाबले 107.5 प्रतिशत तक घट गया, क्योंकि कंपनी ने नई क्षमता शुरू की।

बायोकॉन

  • बायोकॉन का अप्रैल-जून तिमाही का प्रदर्शन सभी क्षेत्रों में सुस्त प्रदर्शन और भारत में अपने पोर्टफोलियो को एरिस लाइफसाइंसेज को बेचने की वजह से प्रभावित हुआ।
  • पहली तिमाही में शोध एवं विकास संबंधित खर्च घटाने और मार्जिन सुधारने के बायोकॉन के प्रयास वियाट्रिस अ​​धिग्रहण की वजह से कर्मचारी लागत से प्रभावित हुए, जिससे मार्जिन 18 प्रतिशत के नए निचले स्तर पर आ गया।
  • भारत की सबसे बड़ी बायोफार्मास्युटिकल फर्म कर्ज घटाने और पूंजीगत खर्च में कमी लाने की संभावना तलाश रही है जिससे उसे अपनी बैलेंस शीट मजबूत बनाने में मदद मिल सकती है।
  • मजबूत ऑर्डर, एकीकृत व्यवसाय, बड़े बाजार को देखते हुए जेएम फाइनैंशियल रिसर्च बायोकॉन के परिदृश्य पर बायोसिमिलर व्यवसाय की संभावनाओं के कारण सकारात्मक है। यह शेयर अपने पांच वर्षीय औसत की तुलना में 45 प्रतिशत नीचे कारोबार कर रहा है

इंद्रप्रस्थ गैस

  • इंद्रप्रस्थ गैस (आईजीएल) का शेयर मुख्य सूचकांक के साथ साथ हाल की तिमाहियों में महानगर गैस, गुजरात गैस और अदाणी टोटाल गैस जैसी अपनी प्रतिस्पर्धियों दोनों से पिछड़ा है।
  • इसके लिए आईजीएल के सुस्त राजस्व और अनुमान से कम गैस बिक्री की वजह से आय वृद्धि को जिम्मेदार माना जा सकता है।
  • वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में आईजीएल की शुद्ध बिक्री सालाना आधार पर महज 3.3 प्रतिशत तक बढ़ी जबकि शुद्ध लाभ में 8.4 प्रतिशत की गिरावट आई।
  • अच्छी बात यह है कि आईजीएल कर्ज-मुक्त बनी हुई है और उसने मुक्त नकदी प्रवाह दर्ज किया और 20.2 प्रतिशत पर उसका आरओई इस उद्योग में शानदार है।
  • आईजीएल प्रबंधन ने अब दीर्घावधि आधार पर गैस बिक्री सालाना आधार पर 10-12 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान जताया है। इसमें वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में 5 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई।
  • ब्रोकर इस शेयर पर सतर्क बने हुए हैं।

एसबीआई कार्ड्स ऐंड पेमेंट

  • एसबीआई कार्ड्स का प्रदर्शन शेयर बाजारों में कमजोर रहा है। पिछले एक साल में उसकी कीमत 2.2 प्रतिशत नीचे आई जबकि बीएसई के सेंसेक्स में इस अवधि में करीब 30 प्रतिशत की तेजी आई।
  • शेयर में इस कमजोरी के लिए हाल की तिमाहियों में कंपनी की सुस्त आय के साथ साथ उसके क्रेडिट कार्ड लोन पोर्टफोलियो में फंसे ऋणों में वृद्धि को जिम्मेदार माना जा सकता है।
  • पहली तिमाही में शुद्ध लाभ में सालाना आधार पर 0.2 प्रतिशत और कुल राजस्व में 11.4 प्रतिशत की वृद्धि पिछले तीन वर्षों में सबसे कमजोर रही है। क्रेडिट कार्ड खर्च में सुस्ती और फंसे कर्ज के लिए ऊंचे प्रावधान से भी कंपनी की आय पर दबाव पड़ा।
  • एसबीआई कार्ड्स की ब्याज लागत सालाना आधार पर 34.3 प्रतिशत तक बढ़ गई।

नेस्ले इंडिया

  • कई ब्रोकरों ने पहली तिमाही में नेस्ले इंडिया के कमजोर आंकड़ों के बाद अपने आय अनुमानों में कटौती की थी।
  • विश्लेषकों का मानना है कि प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले तीन साल तक शानदार प्रदर्शन करने के बाद अल्पावधि में कुछ नरमी देखी जा सकती है।
  • हालांकि ऐंटीक स्टॉक ब्रोकिंग का मानना है कि दीर्घावधि के दौरान नेस्ले मजबूत नवाचार और वितरण केंद्रित वृद्धि को बढ़ावा देने में सक्षम होगी।
  • उत्पादन लागत बढ़ने से मुनाफे पर दबाव पड़ सकता है।
  • एचडीएफसी सिक्योरिटीज का कहना है कि ऐतिहासिक तौर पर कंपनी ने लगभग हरेक समस्या से मुकाबला करने में अपनी दक्षता दिखाई है। इस वजह से किसी तरह की तेज गिरावट इस शेयर में खरीदारी का मौका साबित हो सकती है।
First Published : October 2, 2024 | 9:23 PM IST