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एजीआर बदलने से इनकार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 2:28 AM IST

सर्वोच्च न्यायालय ने आज वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल की वे याचिकाएं खारिज कर दीं, जिनमें समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) की गणना में कथित गलतियों को सुधारने की मांग की गई थी। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 1 सितंबर के अपने फैसले में इन कंपनियों को एजीआर बकाया 10 साल की किस्तों में चुकाने और कुल बकाये का 10 फीसदी अग्रिम भुगतान सबसे पहले करने की इजाजत दे दी थी। भुगतान की अवधि 1 अप्रैल 2021 से शुरू हो गई है।
इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च की सहायक निदेशक प्रियंका बंसल ने कहा, ‘वोडाफोन आइडिया (वी) लगभग सभी सर्कलों में बाजार हिस्सेदारी गंवा रही है और नकदी बचाने पर जोर दे रही है, जिसका पता पूंजीगत व्यय में सुस्ती और हाल की स्पेक्ट्रम नीलामी में सुस्त भागीदारी से चलता है। लेकिन वित्त वर्ष 2023 से वी को अपना कर्ज एवं नियामकीय (एजीआर) देनदारी चुकाने और पूंजीगत व्यय के लिए ऊंचे ब्रेक-ईवन एबिटा की जरूरत होगी।’
विशेषज्ञों को लगता है कि यह फैसला इस क्षेत्र में सुधार को पटरी से उतार सकता है। इक्रा लिमिटेड में वरिष्ठ उपाध्यक्ष और समूह प्रमुख सव्यसाची मजूमदार ने कहा, ‘कर्ज के ऊंचे स्तर और अत्यंत कम कॉल दरों को मद्देनजर रखते हुए यह फैसला इस क्षेत्र में सुधार के लिए अच्छा नहीं होगा और इससे हालात ऐसे ही बने रहने के आसार हैं। उद्योग को अगली कुछ तिमाहियों में कर्ज लौटाने और दूरसंचार विभाग को भुगतान के वास्ते बड़ी देनदारी नजर आ रही है। अगला बड़ा भुगतान मार्च-अप्रैल 2022 में होना है। इनकी भरपाई करने के लिए उद्योग के भागीदारों को एआरपीयू के स्तर में अहम सुधार पर ध्यान देने के अलावा धन जुटाने या परिसंपत्ति मुद्रीकरण के रास्ते खोजने होंगे।’ शीर्ष अदालत ने भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया की इस याचिका पर अपना फैसला 19 जुलाई को सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने कहा कि वह एक बार नहीं बल्कि दूसरी और तीसरी बार कह चुकी है कि एजीआर बकाये की दोबारा गणना नहीं की जा सकती है।
वोडाफोन आइडिया के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि एजीरआर के आंकड़े निश्चित नहीं हैं और सर्वोच्च न्यायालय के पास गणना से संबंधित गलतियों को ठीक करने के अधिकार हैं। वकील ने आग्रह किया कि इन गणनाओं को दूरसंचार विभाग के सामने रखा जाए और विभाग को इस पर फैसला लेने दिया जाए। कंपनी ने 58,400 करोड़ रुपये के एजीआर बकाये और 1.8 लाख करोड़ रुपये के कर्ज के कारण अपनी खराब वित्तीय स्थिति के बारे में भी शीर्ष अदालत को बताया।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि उन्हें दूरसंचार विभाग से गलतियों में सुधार को मंजूरी देने से संबंधित कोई निर्देश नहीं मिला है। भारती एयरटेल के वकील ने कहा कि एजीआर बकाये की गणना में दोहराव हुआ है और चुकाई गई रकम उसमें शामिल नहीं की गई है।

First Published : July 23, 2021 | 11:45 PM IST