कानून

प्रमुख स्टील विनिर्माता फिर लगा सकते हैं अपनी बोलियां

मार्च 2021 में आईबीसी नीलामी के समय जेएसडब्ल्यू स्टील ने भूषण पावर के कुल 47,200 करोड़ रुपये के ऋण में से ऋणदाताओं को 19,700 करोड़ रुपये का भुगतान किया था।

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देव चटर्जी   
Last Updated- May 04, 2025 | 10:53 PM IST

भूषण पावर ऐंड स्टील के परिसमापन के लिए सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश देश में क्षमता विस्तार करने पर विचार करने वाली प्रमुख घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्टील विनिर्माताओं की दिलचस्पी फिर से जोर पकड़ सकती है। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने यह अनुमान जताया है।

देश की ऋणशोध संहिता के तहत किसी समय प्रमुख अधिग्रहण के रूप में रहने वाली इस कंपनी को पहले दिवाला नीलामी प्रक्रिया के दौरान टाटा स्टील और ब्रिटेन की लिबर्टी हाउस से बोलियां प्राप्त हुई थीं। अंततः जेएसडब्ल्यू स्टील ने इसका अधिग्रहण कर लिया था। जेएसडब्ल्यू के तहत भूषण पावर का परिचालन 27.5 लाख टन से बढ़कर 45 लाख टन हो गया।

एक बैंकर ने कहा, ‘वैश्विक प्रमुख कंपनियों सहित भारत में परिचालन करने वाली सभी प्रमुख स्टील कंपनियां इस परिसंपत्ति का मूल्यांकन कर सकती हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगा। इस मामले से परिचित सूत्रों ने कहा कि नवीन जिंदल के नेतृत्व वाली जिंदल स्टील ऐंड पावर भी प्रस्ताव पेश कर सकती है।

कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार सज्जन जिंदल के स्वामित्व वाली जेएसडब्ल्यू स्टील भी परिसमापन प्रक्रिया के तहत नीलामी में भूषण पावर ऐंड स्टील की परिसंपत्तियों के लिए बोली लगा सकती है।

वेरिटास लीगल के सह-संस्थापक और वरिष्ठ साझेदारर राहुल द्वारकादास ने कहा, ‘परिसमापन प्रक्रिया के अनुसार परिसमापन करने वाला परिसंपत्तियों के लिए प्रस्ताव मांगेगा, जो सार्वजनिक नीलामी या निजी बिक्री अथवा किसी मौजूदा प्रयोजन के रूप में हो सकता है। इसका मकसद प्रत्येक परिसंपत्ति के मूल्य को अधिकतम करना का है ताकि लेनदारों को भुगतान किया जा सके। जेएसडब्ल्यू स्टील के भाग लेने पर कोई रोक नहीं लगती है, जब तक कि सर्वोच्च न्यायालय ने कुछ अवलोकन नहीं किए हों।’

मार्च 2021 में आईबीसी नीलामी के समय जेएसडब्ल्यू स्टील ने भूषण पावर के कुल 47,200 करोड़ रुपये के ऋण में से ऋणदाताओं को 19,700 करोड़ रुपये का भुगतान किया था।

नए सिरे से नीलामी में समय लग सकता है और बिना किसी उतार-चढ़ाव के होने की संभावना नहीं है। उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार वर्षों पुराने अधिग्रहण को रद्द करने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से संभावित निवेशकों में बेचैनी होगी। सलाहकार कंपनी कैटालिस्ट एडवाइजर्स के संस्थापक केतन दलाल ने कहा, ‘यह फैसला बुनियादी चिंताओं को जन्म देता है।’ उन्होंने कहा, ‘जब कई सालों के बाद किसी बड़े लेनदेन को पलटा जाता है, तो इससे अनिश्चितता पैदा होती है – खास तौर पर कर्मचारियों, लेनदारों और डाउनस्ट्रीम निवेशकों के संबंध में, जिन्होंने अधिग्रहण की वैधता के आधार पर काम किया।’

उन्होंने कहा कि यह मामला भारत के दिवाला समाधान ढांचे के मामले में मिसाल कायम कर सकता है और लंबे समय से तय सौदों में निवेशकों का भरोसा बदल सकता है।  दलाल ने कहा कि संभावित बोलीदाता भी स्पष्टता चाहते हैं और वे मुकदमेबाजी जोखिम के संबंध में कोई अनिश्चितता नहीं चाहते हैं। दलाल के अनुसार परिसमापन प्रक्रिया अपने आप में बहुत आसान नहीं होती है और प्रत्येक परिसंपत्ति को अलग से बेचना होता है।

First Published : May 4, 2025 | 10:53 PM IST