कोविड महामारी की दूसरी लहर में आवाजाही पर लगी पाबंदियां कम करने की प्रक्रिया शुरू होने के बावजूद भारत के हर तीन में से दो परिवार अगले तीन महीनों तक संपर्क-रहित होम डिलिवरी और शारीरिक दूरी बनाए रखने जैसे तरीकों का इस्तेमाल जारी रखेंगे। यह जागरूकता बड़े शहरों तक ही नहीं बल्कि दूसरे एवं तीसरे दर्जे के शहरों में भी देखी जा रही है।
कम्युनिटी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लोकलसर्कल्स के एक सर्वे में यह रुझान देखे गए हैं। सर्वे के नतीजे बताते हैं कि देश के 66 फीसदी परिवार दूसरी लहर के कमजोर होने के बावजूद किसी तरह की कोताही बरतने को तैयार नहीं हैं और इसके लिए वे जरूरी सामान की खरीदारी के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, स्थानीय वेबसाइट या पड़ोस की दुकान को व्हाट्सऐप पर संदेश देने जैसे तरीके अपना रहे हैं। महानगरों के अलावा छोटे शहरों एवं कस्बों में भी लोग दुकानदारों के सीधे संपर्क में आने की जगह घर पर सामान मंगवाने को प्राथमिकता दे रहे हैं। हाल में लगी पाबंदियों के दौरान कई शहरों के प्रशासन ने खुद ही कई स्थानीय स्टोर के फोन नंबर जारी किए थे जहां से लोग जरूरी सामानों की होम डिलिवरी मंगवा सकते थे। वह सिलसिला आगे भी जारी रहने की संभावना है। इस सर्वे में देश भर के 303 जिलों में रहने वाले 40,000 से अधिक लोग शामिल हुए।
अगले तीन महीनों में 33 फीसदी परिवारों ने कहा कि वे लैपटॉप एवं मोबाइल फोन जैसे घर से काम करने के लिए बेहद जरूरी सामान खरीदने की सोच रहे हैं। वहीं 23 फीसदी परिवारों ने एयर कंडीशनर, कूलर और पंखे जैसे जरूरी सामान खरीदने का मन बनाया हुआ है। इसी तरह 22 फीसदी परिवार घरेलू बिजली उपकरणों, बिस्तर एवं साज-सज्जा के सामान खरीदने की सोच रहे हैं। इसका मतलब है कि तीन में से एक परिवार को एक इलेक्ट्रॉनिक गैजेट की जरूरत होगी जबकि हरेक चौथे परिवार को अगले तीन महीनों में व्हाइटगुड्स खरीदना होगा।
लोकलसर्कल्स के सर्वे के मुताबिक पिछले डेढ़-दो महीनों में बच्चों की जरूरतों वाले सामान, जैसे किताबें एवं स्टेशनरी से लेकर उनके खेलकूद एवं मनोरंजन से जुड़े सामानों को लेकर सबसे ज्यादा पूछताछ देखी गई है। वायरस संक्रमण के डर से बच्चों के पूरी तरह घरों के भीतर कैद हो जाने से लोग उन्हें व्यस्त रखने वाले साजो-सामान खरीदने को ज्यादा तरजीह देते हुए नजर आए हैं।
सर्वे से पता चलता है कि 51 फीसदी परिवार अगले तीन महीनों में बच्चों के लिए कई तरह के सामान खरीदने की तैयारी में हैं। इनमें से ज्यादातर लोगों ने कहा कि बच्चों के स्कूल बंद होने के बावजूद उनकी कॉपी-किताब एवं स्टेशनरी की खरीद बेहद जरूरी है और ऑनलाइन क्लास से संबंधित उत्पाद भी इस खरीदारी का हिस्सा बनेंगे। जुलाई से अधिकांश राज्यों में बच्चों के स्कूल ऑनलाइन फिर से चलने लगेंगे लिहाजा पांच में से दो परिवारों को ऐसी खरीद करनी ही होगी।
लोकलसर्कल्स ने इस सर्वे के अलावा खुदरा बाजार एवं स्थानीय दुकानों को खोलने के मुद्दे पर एक फीडबैक भी लिया। इसमें ग्राहकों की यही राय सामने आई है कि राज्य सरकारों एवं जिला प्रशासन को शुरुआत में होम डिलिवरी के लिए ही स्थानीय दुकानों को खोलने की मंजूरी देनी चाहिए।
किसी जिले में अनलॉक के मापदंडों के बारे में पूछे जाने पर अधिकतर लोगों का यही जवाब था कि संक्रमित मामले 500 से कम होने और संक्रमित पाए जाने की दर 2 फीसदी से कम रहने पर बाजार खोले जा सकते हैं।